
Chikungunya cases in Mumbai (photo- freepik)
Chikungunya cases in Mumbai: मुंबई में चिकनगुनिया के मामले इस समय काफी तेजी से बढ़ रहे हैं और आंकड़ों से साफ पता चल रहा हैं कि हालात गंभीर हैं। बीएमसी के एपिडेमियोलॉजी और पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक, जनवरी से जुलाई 2025 के बीच कुल 265 केस सामने आए, जबकि पिछले साल इसी समय में सिर्फ 46 केस थे। पूरे महाराष्ट्र में इस साल 1,512 केस दर्ज हुए, जबकि 2024 में यह संख्या 1,189 थी।
इस साल पहली बारिश मई में ही शुरू हो गई, जिससे मच्छरों के पनपने के लिए एकदम सही माहौल बन गया और इस तरीके की बीमारियों के मामले बढ़ गए। वहीं, चीन में भी हालात बिगड़ रहे हैं, वहां जून के आखिर से अब तक 7,000 लोग चिकनगुनिया की चपेट में आ चुके हैं। डब्ल्यूएचओ (World Health Organization)ने भी चेतावनी दी है कि दक्षिण एशिया में यह बीमारी तेजी से फैल रही है।
यह एक वायरल संक्रमण है जो चिकनगुनिया वायरस के कारण होता है। इसे मादा एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर फैलाते हैं, यही मच्छर डेंगू और जीका वायरस भी फैलाते हैं। ये मच्छर दिन में काटते हैं और एडीज एजिप्टी घर के अंदर और बाहर दोनों जगह सक्रिय रहता है। मरने की संभावना कम होती है, लेकिन बुजुर्गों, छोटे बच्चों और पहले से बीमार लोगों में बीमारी गंभीर हो सकती है।
इसमें अचानक तेज बुखार आता है और साथ में तेज जोड़ों का दर्द होता है, जो इसकी पहचान है। इसके अलावा मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान, मतली और लाल चकत्ते भी हो सकते हैं, जो डेंगू और मलेरिया में भी दिखते हैं। बुखार तो एक हफ्ते में उतर सकता है, लेकिन जोड़ों का दर्द कई बार 3 महीने तक परेशान करता है। इस मौसम में बुखार के कई लक्षण एक जैसे होते हैं, इसलिए खुद से दवा लेने के बजाय डॉक्टर को दिखाना ही सही है।
इसका कोई खास एंटीवायरल इलाज नहीं है। बुखार और दर्द के लिए पेरासिटामॉल जैसी दवाएं, ज्यादा पानी पीना और आराम जरूरी है। वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन अभी यह आम लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं है।
चिकनगुनिया आमतौर पर 4–8 साल के गैप में या कभी-कभी 20 साल बाद भी बड़े पैमाने पर फैल सकता है। ज्यादातर प्रकोप बरसात के बाद होते हैं, जब मच्छरों की संख्या सबसे ज्यादा होती है।
एडीज मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, खासकर शहर और कस्बों में। इसलिए पानी जमा न होने दें। ये मच्छर दिन में काटते हैं, इसलिए बाहर जाते समय पूरी बाजू के कपड़े पहनें, पैरों को ढकें और मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। ये मच्छर ज्यादा दूर नहीं उड़ते, इसलिए बीमारी आमतौर पर उसी इलाके में फैलती है जहां उनके पनपने का मौका मिलता है।
Updated on:
11 Aug 2025 11:40 am
Published on:
11 Aug 2025 11:22 am
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