
Is Gen Alpha Disrespectful or Just Misunderstood?
'Gen Alpha' वह नई पीढ़ी है, जिनका जन्म 2010 के बाद हुआ है। इस पीढ़ी की संख्या अगले कुछ वर्षों में बेबी बूमर्स (1946-1964) से भी अधिक हो जाएगी, और अनुमान है कि 2025 तक इनकी संख्या लगभग 2 बिलियन तक पहुंच जाएगी। यह पीढ़ी डिजिटल तकनीक के युग में पली-बढ़ी है, जिसमें स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं।
जेन अल्फा (Gen Alpha) के बच्चों का जीवन डिजिटल उपकरणों के बिना अधूरा लगता है। ये बच्चे अधिकतर समय वीडियो देखने, गेम खेलने और अन्य डिजिटल गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं। इसका प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ रहा है। इसके चलते, बच्चे शारीरिक गतिविधियों और पारंपरिक खेलों से दूर होते जा रहे हैं, और उनकी सामाजिक और भावनात्मक विकास में भी बाधाएं आ रही हैं।
उत्तर प्रदेश के हरदोई के प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ. विशाल मिश्रा के अनुसार, माता-पिता अक्सर बच्चों को अपने कामों से ध्यान हटाने के लिए या खुद को आराम देने के लिए मोबाइल या टैबलेट दे देते हैं। इस कारण बच्चे लंबे समय तक स्क्रीन पर व्यस्त रहते हैं, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। यह न केवल बच्चों के चिड़चिड़ेपन का कारण बनता है, बल्कि उनके दिमाग की विकास प्रक्रिया को भी रोकता है।
डॉ. मिश्रा बताते हैं कि बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ने से उनका मस्तिष्क समय से पहले परिपक्व हो जाता है, लेकिन इसके साथ ही उनकी सोच और सामाजिक व्यवहार में असंतुलन भी देखने को मिलता है। अधिक स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों के मस्तिष्क में संचार की प्रक्रिया कमजोर हो जाती है, जिससे उनकी बौद्धिक क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने से न्यूरॉन्स पर भी असर पड़ता है, जो कि उनके बुद्धिमत्ता को प्रभावित करता है।
डॉ. मिश्रा का सुझाव है कि माता-पिता को बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की बजाय आउटडोर खेलों और शारीरिक गतिविधियों में शामिल करना चाहिए। इससे न केवल बच्चों का चिड़चिड़ापन कम होगा, बल्कि उनके व्यवहार में भी सुधार आएगा। पारंपरिक खेल और सामाजिक गतिविधियाँ बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के लिए लाभकारी होती हैं।
'Gen Alpha की इस नई पीढ़ी के सामने डिजिटल उपकरणों का उपयोग एक चुनौती बन गया है। माता-पिता को चाहिए कि वे इन उपकरणों का प्रयोग सीमित करें और बच्चों को प्राकृतिक गतिविधियों और पारंपरिक खेलों में अधिक समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे न केवल बच्चों का समग्र विकास होगा, बल्कि उनका सामाजिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी सुदृढ़ होगा।
Published on:
05 Sept 2024 12:28 pm
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