6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Type 2 Diabetes और Cancer से बचाव के लिए यह भारतीय डाइट अपनाएं

Diabetes and cancer link : मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और NIHR के एक अध्ययन में टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर के बीच संबंध पाया गया है। अध्ययन में पाया गया है कि Type 2 Diabetes और Cancer के खतरे को यह भारतीय डाइट कम कर सकती है। जानिए इस डाइट के बारे में और कैसे कम कर सकती है खतरा।

3 min read
Google source verification

भारत

image

Manoj Vashisth

Mar 27, 2025

Control Type 2 Diabetes and Lower Cancer Risk

Control Type 2 Diabetes and Lower Cancer Risk

Type 2 diabetes diet : डायबिटीज को नियंत्रित रखने के लिए संतुलित आहार जरूरी है, जो ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर रखने में मदद करता है। भारतीय भोजन परंपराएं आधुनिक पोषण विज्ञान से मेल खाती हैं और इन्हें आसानी से डायबिटीज फ्रेंडली डाइट में शामिल किया जा सकता है।

टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर का कनेक्शन (Type 2 Diabetes and Cancer)

मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (NIHR) के एक अध्ययन में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) और कैंसर (Cancer) के बीच संबंध पाया गया है। शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि जिन्हें हाल ही में टाइप 2 डायबिटीज हुई है, खासकर महिलाओं को, अग्न्याशय और लिवर कैंसर का अधिक खतरा होता है। अध्ययन से संकेत मिलता है कि मोटापे के बिना भी डायबिटीज कैंसर के विकास में योगदान कर सकता है।

डायबिटीज मैनेजमेंट में भारतीय पारंपरिक आहार की भूमिका (Traditional Indian diet for diabetes)

डायबिटीज (विशेषकर टाइप 1) को मैनेज करने के लिए भोजन चयन, भोजन का समय और ब्लड शुगर नियंत्रण का संतुलन आवश्यक है। पारंपरिक भारतीय आहार संतुलन, पोषण और समग्र स्वास्थ्य पर केंद्रित होता है। कई परंपरागत आदतें ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती हैं।

यह भी पढ़ें : Cholesterol कम करने में मददगार कौंच बीज, सेहत के लिए वरदान, जानिए 5 फायदे

Blood sugar नियंत्रण के लिए पारंपरिक आहार के लाभ

लो-जीआई अनाज का सेवन

भारतीय आहार में जौ, बाजरा और चना जैसे साबुत अनाज शामिल होते हैं, जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) कम होता है। ये खाद्य पदार्थ धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान करते हैं और भोजन के बाद ब्लड शुगर स्पाइक्स को रोकते हैं।

मौसमी और क्षेत्रीय भोजन का सेवन

आयुर्वेद के अनुसार, हर मौसम में उसी के अनुसार भोजन करना चाहिए। जैसे कि सर्दियों में तिल और घी का सेवन किया जाता है, जबकि गर्मियों में दही और छाछ को प्राथमिकता दी जाती है। यह पाचन, चयापचय और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

मसाले जो ब्लड शुगर नियंत्रित करें

भारतीय रसोई में हल्दी, जीरा, धनिया और मेथी जैसे मसाले होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन सूजन को कम करता है और इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाता है, जबकि मेथी ब्लड शुगर कम करने में मदद करती है।

पौष्टिक वसा का सेवन

पारंपरिक भारतीय भोजन में सरसों, तिल और नारियल जैसे ठंडे दबाव वाले तेल और घी का उपयोग किया जाता है। ये वसा न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि पोषक तत्वों के अवशोषण में भी मदद करते हैं और ऊर्जा का धीरे-धीरे रिलीज़ सुनिश्चित करते हैं।

प्रोटीन युक्त पौध-आधारित भोजन

एक संतुलित भारतीय भोजन में दालें, फलियां और डेयरी उत्पाद (दही, छाछ, पनीर) शामिल होते हैं। ये खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर को स्थिर रखने, भूख कम करने और मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं।

यह भी पढ़ें : Tulsi kadha : संक्रमण से बचाव का आसान उपाय, जानें तुलसी के काढ़े के अनगिनत फायदे

किण्वन और अंकुरण की परंपरा

पारंपरिक भारतीय खान-पान में इडली, डोसा और कांजी जैसी किण्वित खाद्य सामग्री और अंकुरित अनाज और फलियों का उपयोग किया जाता है। इससे पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है, आंतों का स्वास्थ्य सुधारता है और भोजन का ग्लाइसेमिक लोड कम होता है।

ध्यानपूर्वक खाने की आदत

परंपरागत रूप से भारतीय भोजन ज़मीन पर बैठकर ध्यानपूर्वक किया जाता था। धीरे-धीरे खाने, बिना ध्यान भटकाए भोजन करने और सही तरीके से चबाने से पाचन में सुधार होता है और ब्लड शुगर प्रबंधन बेहतर होता है।

डायबिटीज प्रबंधन के लिए पारंपरिक भारतीय आहार एक प्रभावी तरीका हो सकता है। संपूर्ण आहार, मौसमी भोजन, लो-जीआई खाद्य पदार्थ और सही खाने की आदतों को अपनाकर न केवल ब्लड शुगर नियंत्रण में मदद मिल सकती है, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।

Diabetes Control Tips: डायबिटीज को लेकर एक्सपर्ट की सलाह

डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।