
Control Type 2 Diabetes and Lower Cancer Risk
Type 2 diabetes diet : डायबिटीज को नियंत्रित रखने के लिए संतुलित आहार जरूरी है, जो ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर रखने में मदद करता है। भारतीय भोजन परंपराएं आधुनिक पोषण विज्ञान से मेल खाती हैं और इन्हें आसानी से डायबिटीज फ्रेंडली डाइट में शामिल किया जा सकता है।
मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (NIHR) के एक अध्ययन में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) और कैंसर (Cancer) के बीच संबंध पाया गया है। शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि जिन्हें हाल ही में टाइप 2 डायबिटीज हुई है, खासकर महिलाओं को, अग्न्याशय और लिवर कैंसर का अधिक खतरा होता है। अध्ययन से संकेत मिलता है कि मोटापे के बिना भी डायबिटीज कैंसर के विकास में योगदान कर सकता है।
डायबिटीज (विशेषकर टाइप 1) को मैनेज करने के लिए भोजन चयन, भोजन का समय और ब्लड शुगर नियंत्रण का संतुलन आवश्यक है। पारंपरिक भारतीय आहार संतुलन, पोषण और समग्र स्वास्थ्य पर केंद्रित होता है। कई परंपरागत आदतें ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती हैं।
भारतीय आहार में जौ, बाजरा और चना जैसे साबुत अनाज शामिल होते हैं, जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) कम होता है। ये खाद्य पदार्थ धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान करते हैं और भोजन के बाद ब्लड शुगर स्पाइक्स को रोकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, हर मौसम में उसी के अनुसार भोजन करना चाहिए। जैसे कि सर्दियों में तिल और घी का सेवन किया जाता है, जबकि गर्मियों में दही और छाछ को प्राथमिकता दी जाती है। यह पाचन, चयापचय और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
भारतीय रसोई में हल्दी, जीरा, धनिया और मेथी जैसे मसाले होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन सूजन को कम करता है और इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाता है, जबकि मेथी ब्लड शुगर कम करने में मदद करती है।
पारंपरिक भारतीय भोजन में सरसों, तिल और नारियल जैसे ठंडे दबाव वाले तेल और घी का उपयोग किया जाता है। ये वसा न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि पोषक तत्वों के अवशोषण में भी मदद करते हैं और ऊर्जा का धीरे-धीरे रिलीज़ सुनिश्चित करते हैं।
एक संतुलित भारतीय भोजन में दालें, फलियां और डेयरी उत्पाद (दही, छाछ, पनीर) शामिल होते हैं। ये खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर को स्थिर रखने, भूख कम करने और मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
पारंपरिक भारतीय खान-पान में इडली, डोसा और कांजी जैसी किण्वित खाद्य सामग्री और अंकुरित अनाज और फलियों का उपयोग किया जाता है। इससे पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है, आंतों का स्वास्थ्य सुधारता है और भोजन का ग्लाइसेमिक लोड कम होता है।
परंपरागत रूप से भारतीय भोजन ज़मीन पर बैठकर ध्यानपूर्वक किया जाता था। धीरे-धीरे खाने, बिना ध्यान भटकाए भोजन करने और सही तरीके से चबाने से पाचन में सुधार होता है और ब्लड शुगर प्रबंधन बेहतर होता है।
डायबिटीज प्रबंधन के लिए पारंपरिक भारतीय आहार एक प्रभावी तरीका हो सकता है। संपूर्ण आहार, मौसमी भोजन, लो-जीआई खाद्य पदार्थ और सही खाने की आदतों को अपनाकर न केवल ब्लड शुगर नियंत्रण में मदद मिल सकती है, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
Updated on:
27 Mar 2025 11:16 am
Published on:
27 Mar 2025 11:14 am
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