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क्या है सिस्टिक फाइब्रोसिस, जो सांस और संतान, दोनों पर डालती है असर

Cystic Fibrosis Symptoms: सिस्टिक फाइब्रोसिस एक जन्मजात बीमारी है जो फेफड़ों, पाचन और पसीने की ग्रंथियों को प्रभावित करती है। लक्षण, जांच और इलाज जानें।

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भारत

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Dimple Yadav

Dec 13, 2025

Cystic Fibrosis Symptoms

Cystic Fibrosis Symptoms (photo- freepik)

Cystic Fibrosis Symptoms: सिस्टिक फाइब्रोसिस एक जन्म से होने वाली (जेनेटिक) गंभीर बीमारी है, जो इंसान के फेफड़ों, पाचन तंत्र और प्रजनन अंगों को प्रभावित करती है। पुराने समय में इस बीमारी को ठीक से समझा नहीं जा सका था। लोग मानते थे कि जिन बच्चों की त्वचा नमकीन लगती है, वे ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहते। बाद में वैज्ञानिकों ने इसकी असली वजह खोजी।

साल 1949 में रिसर्च से पता चला कि सिस्टिक फाइब्रोसिस CFTR नाम के एक प्रोटीन में खराबी की वजह से होती है। यह प्रोटीन शरीर में नमक और पानी का संतुलन बनाए रखने का काम करता है। जब इसमें खराबी होती है, तो शरीर में गाढ़ा और चिपचिपा म्यूकस बनने लगता है, जिससे कई अंग सही से काम नहीं कर पाते।

सिस्टिक फाइब्रोसिस क्यों होता है?

यह बीमारी क्रोमोसोम 7 पर मौजूद CFTR जीन में बदलाव की वजह से होती है। यह बीमारी तभी होती है जब बच्चे को माता-पिता दोनों से खराब जीन मिले। वैज्ञानिक अब तक 2,000 से ज्यादा तरह के म्यूटेशन खोज चुके हैं। इन म्यूटेशन की वजह से फेफड़ों में गाढ़ा बलगम जमा होता है। बार-बार इंफेक्शन होते हैं। पाचन ठीक से नहीं हो पाता।

किन लोगों को ज्यादा खतरा होता है?

यह बीमारी ज्यादातर यूरोपीय मूल के लोगों में पाई जाती है।

गोरे लोगों में: लगभग 1 में से 3,500

अश्वेत लोगों में: 1 में से 15,000

एशियाई लोगों में: 1 में से 30,000

शरीर पर इसका क्या असर होता है?

फेफड़े: गाढ़ा म्यूकस सांस की नलियों को बंद कर देता है, जिससे बार-बार खांसी, इंफेक्शन और सांस की तकलीफ होती है। यही बीमारी में मौत का सबसे बड़ा कारण है।

पाचन तंत्र: अग्न्याशय (पैंक्रियास) सही से एंजाइम नहीं छोड़ पाता, जिससे खाना पचता नहीं, वजन नहीं बढ़ता और विटामिन की कमी हो जाती है।

आंतें: नवजात बच्चों में आंत बंद हो सकती है। बड़े बच्चों और बड़ों में कब्ज या पेट दर्द की समस्या होती है।

पसीने की ग्रंथियां: पसीने में ज्यादा नमक निकलता है, इसलिए त्वचा नमकीन लगती है और डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है।

लक्षण क्या होते हैं?

  • लगातार खांसी और बलगम
  • बार-बार फेफड़ों का इंफेक्शन
  • वजन न बढ़ना
  • तैलीय दस्त
  • साइनस की समस्या

सिस्टिक फाइब्रोसिस की जांच कैसे होती है?

इस बीमारी की जांच स्वेट टेस्ट (पसीने में नमक की मात्रा जांचना), जेनेटिक टेस्ट, नवजात स्क्रीनिंग टेस्ट के जरीए होता है। इसका इलाज पूरी जिंदगी चलता है, जिसमें एंटीबायोटिक्स, बलगम पतला करने की दवाएं, छाती की फिजियोथेरेपी शामिल हैं। खास दवाएं जो CFTR प्रोटीन को ठीक करने में मदद करती हैं। गंभीर हालत में लंग ट्रांसप्लांट भी किया जाता है।