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Liver Tumors: दीपिका कक्कड़ के लिवर ट्यूमर ने सबका ध्यान खींचा, जानिए एक्सपर्ट से क्यों शुगर मरीजों में लिवर रोगों का खतरा बढ़ जाता है

Liver Tumors: दीपिका कक्कड़, जो इंडियन टेलीविजन की जानी-मानी एक्ट्रेस रह चुकी हैं, हाल ही में लिवर ट्यूमर से जूझने की खबर सामने आई है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप भी जानें कि लिवर ट्यूमर का खतरा कैसे होता है और इसका डायबिटीज से क्या संबंध है। इस विषय में हमने एक्सपर्ट से बातचीत की ।

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भारत

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MEGHA ROY

May 25, 2025

Dipika Kakar liver tumor फोटो सोर्स – Instagram- ms.dipika/Freepik

Dipika Kakar liver tumor फोटो सोर्स – Instagram- ms.dipika/Freepik

Dipika Kakar Liver Tumors: हाल ही में टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ के लिवर ट्यूमर से जूझने की खबरों ने सबका ध्यान इस गंभीर बीमारी की ओर खींचा है। एक्ट्रेस ने शुरुआत में इसे एसिडिटी समझकर नजरअंदाज कर दिया। अक्सर लोग बीमारी के शुरुआती लक्षणों को मामूली समझ कर इग्नोर कर देते हैं, खासकर जब बात वजन और शुगर की आती है।


लेकिन क्या आप जानते हैं कि शुगर के 50-60% मरीजों में लिवर से जुड़ी बीमारियों का खतरा अधिक होता है? यानी अगर आपको मधुमेह है, तो आपके लिवर पर भी असर पड़ सकता है।अगर आप लिवर ट्यूमर से जुड़ी सही जानकारी चाहते हैं, तो हमने इस विषय पर डॉ. गौरव गुप्ता (गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट) से खास बातचीत की है। आइए जानते हैं लिवर ट्यूमर के लक्षण, कारण और इससे बचने के उपाय…

क्या है लिवर ट्यूमर जानें गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट से

डॉ. गौरव गुप्ता, जो गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट हैं, वो बताते हैं कि लिवर में होने वाली किसी भी गांठ को ट्यूमर कहते हैं। ये दो प्रकार की होती हैं – बेनाइन ट्यूमर और कैंसरस ट्यूमर।

बेनाइन ट्यूमर

कैंसर रहित ट्यूमर को बेनाइन ट्यूमर कहते हैं। ये ट्यूमर बड़ा आकार लेने पर ही लक्षण दिखाते हैं, जैसे पेट में दर्द, खून या पित्त की नालिकाओं में दबाव के कारण अन्य लक्षण आ सकते हैं।

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कैंसरस ट्यूमर

इस ट्यूमर को कैंसरस या मेलिग्नेंट कहा जाता है। कैंसरयुक्त लिवर ट्यूमर बहुत घातक होते हैं। यह या तो लिवर में ही उत्पन्न होते हैं या शरीर के अन्य हिस्सों से फैलकर लिवर तक पहुंचते हैं। इसे मेटास्टेटिक लिवर कैंसर कहते हैं। यह कैंसर की चौथी स्टेज होता है। लिवर में उत्पन्न होने वाला मुख्य कैंसर हीपेटोसेलुलर कार्सिनोमा होता है, जो उन लोगों में पाया जाता है जिनमें सिरोसिस या क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी या सी होता है। भूख नहीं लगना, वजन घटना, मतली, उल्टी, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना, पीलिया, पेट में सूजन या पानी भर जाना आदि लक्षण हैं।

जब लक्षण दिखें तो करवाएं ये जांच

लिवर हीपेटोसेलुलर कैंसर की जांच के लिए सबसे पहले लिवर फंक्शन टेस्ट किया जाता है। इसमें खून की खास जांच की जाती है, जिससे पता चलता है कि लिवर ठीक से काम कर रहा है या नहीं। इसके बाद एब्डॉमिनल अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। अगर अल्ट्रासाउंड से बीमारी का ठीक-ठीक पता नहीं चलता, तो डॉक्टर सीटी स्कैन कराते हैं। इससे शरीर के अंदर की साफ और गहरी तस्वीरें मिलती हैं, जिससे बीमारी की सही जानकारी मिलती है।

कैसे करें बचाव लिवर कैंसर और लिवर से जुड़ी बीमारियों से

बचाव के लिए वजन और शुगर नियंत्रित रखना जरूरी है। शुगर के 50-60% मरीजों में लिवर डिजीज की आशंका रहती है। नशे से बचें। हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाएं, वैक्सीन इससे बचाव करता है। अगर शुरुआती दौर में बीमारी का पता लग जाए तो केवल सर्जरी से भी इलाज संभव है। लिवर कैंसर गंभीर होने पर कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी आदि का भी सहारा लिया जाता है।लिवर ट्यूमर लाइलाज नहीं है, समय पर उचित चिकित्सा पद्धति से इसका इलाज संभव है।

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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