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क्या वाकई गोरी त्वचा वालों को Skin Cancer का खतरा ज्यादा होता है? जानिए वैज्ञानिक वजह

Skin Cancer: आजकल कैंसर से जुड़ी कई बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में हाल ही में एक रिसर्च के मुताबिक, स्किन कैंसर गोरी त्वचा वालों को दूसरों की तुलना में अधिक हो सकता है। जानिए इससे जुड़ी अहम जानकारी।

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भारत

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MEGHA ROY

Sep 12, 2025

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Skin cancer causes in fair skin|फोटो सोर्स – Freepik

Skin Cancer Causes In Fair Skin: आजकल कैंसर की गिनती उन बीमारियों में होती है जिनका नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं। इनमें से स्किन कैंसर (Skin Cancer) एक ऐसा रोग है जिसकी दर साल दर साल बढ़ रही है। दिलचस्प बात यह है कि रिसर्च बताती है कि गोरी त्वचा वाले लोग (Fair-skinned people) इस बीमारी की चपेट में दूसरों की तुलना में कहीं ज्यादा आते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है? चलिए इसे वैज्ञानिक वजहों से समझते हैं।आइए जानते हैं कि वैज्ञानिक इस बारे में क्या कहते हैं और कौन-से जेनेटिक कारण इसके पीछे जिम्मेदार हैं।

स्किन कैंसर होने के प्रमुख वजह

धूप और UV किरणों का सीधा असर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल दुनियाभर में स्किन कैंसर के लाखों मामले सिर्फ UV किरणों के कारण होते हैं। लंबे समय तक बिना सुरक्षा के धूप में रहना, टैनिंग के लिए धूप सेंकना और ओजोन परत की कमी ये सभी कारक त्वचा पर हानिकारक असर डालते हैं और स्किन कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ा देते हैं।

मेलानिन की कमी और खतरा बढ़ना

हमारी त्वचा में मेलानिन (Melanin) नाम का पिगमेंट होता है, जो न सिर्फ रंग तय करता है बल्कि UV किरणों से सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। गहरी त्वचा वालों में मेलानिन ज्यादा होता है, इसलिए उनकी त्वचा सूरज की रोशनी को कुछ हद तक झेल लेती है।वहीं, गोरी त्वचा वालों में मेलानिन की मात्रा कम होने से UV किरणें सीधे डीएनए को नुकसान पहुंचा देती हैं और यही नुकसान आगे चलकर कैंसर कोशिकाओं में बदल सकता है।

जेनेटिक फैक्टर भी जिम्मेदार

वैज्ञानिकों का कहना है कि गोरे लोगों में MC1R नाम का एक जीन स्किन कैंसर से जुड़ा होता है। ये जीन त्वचा में मेलानिन बनने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। जब इसमें खराबी होती है, तो त्वचा को सूरज की UV किरणों से बचाने वाला मेलानिन कम बनता है। इसी कारण गोरे लोग मेलानोमा जैसे खतरनाक स्किन कैंसर के ज्यादा शिकार होते हैं।

शोध क्या कहते हैं?

अमेरिका केNational Cancer Institute की एक स्टडी के अनुसार, Caucasian आबादी (गोरी त्वचा वाले लोग) में melanoma का जीवनभर का खतरा लगभग 2.6% तक होता है। वहीं अफ्रीकी और एशियाई मूल के लोगों में यह आंकड़ा 0.1% से भी कम है। यह अंतर साफ बताता है कि त्वचा का रंग और मेलानिन स्किन कैंसर की संभावना को गहराई से प्रभावित करते हैं।

हर साल कितने मामले सामने आते हैं?

साल 2024 में केवल अमेरिका में ही करीब 2 लाख से ज्यादा नए melanoma केस रिपोर्ट हुए।2025 के अनुमानित आंकड़े बताते हैं कि invasive melanoma (खतरनाक स्टेज) के 1 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हो सकते हैं।यानी, यह बीमारी सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि लगातार बढ़ रही एक वास्तविक हेल्थ क्राइसिस है।

शुरुआती लक्षणों पर दें ध्यान

  • धूप में खुला रहने वाला कोई घाव लंबे समय तक न भर रहा हो
  • त्वचा पर मौजूद तिल का आकार, रंग या किनारा अचानक बदलने लगेतिल से खून आना या उसमें खुजली/जलन होना
  • त्वचा पर नया उभरा हुआ या असामान्य निशान दिखे जो धीरे-धीरे बढ़ रहा हो

बचाव ही सबसे अच्छा इलाज

वैज्ञानिक मानते हैं कि स्किन कैंसर का 80% खतरा सिर्फ UV एक्सपोजर से जुड़ा होता है। ऐसे में बचाव सबसे बड़ा हथियार है।
SPF 30+ सनस्क्रीन धूप में निकलने से पहले जरूर लगाएं।

  • सनग्लासेस और हैट पहनें, ताकि आंखों और चेहरे की सुरक्षा हो सके।
  • दोपहर की तेज धूप (10 AM से 4 PM) के बीच बाहर निकलने से बचें।
  • नियमित स्किन चेकअप कराते रहें, खासकर अगर आपकी त्वचा पर तिल या निशान हैं।