31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

टीबी से हर साल होती हैं लाखों लोगों की मौत, आज मानते हैं टीबी डे

टीबी (टयूबरकोलोसिस) एकहैं गंभीर संक्रामक बीमारी है। टीबी से हर वर्ष विश्वभर में लाखों लोगों की मौत होती है। WHO के मुताबिक 2017 में विश्व में एक करोड़ से अधिक नए मरीजों की पहचान हुई थी।

3 min read
Google source verification
tuber culesis

टीबी से हर साल होती हैं लाखों लोगों की मौत, आज मानते हैं टीबी डे

टीबी (टयूबरकोलोसिस) एकहैं गंभीर संक्रामक बीमारी है। टीबी से हर वर्ष विश्वभर में लाखों लोगों की मौत होती है। WHO के मुताबिक 2017 में विश्व में एक करोड़ से अधिक नए मरीजों की पहचान हुई थी। वर्ष 2017 में विश्व में 16 लाख से अधिक लोगों की मौत टीबी से हुई थी। भारत मेंं करीब 25 करोड़ लोगों को टीबी स्क्रीनिंग की जरूरत है। 2030 तक WHO की ओर से विश्व को टीबी मुक्त करने की योजना है जबकि भारत सरकार ने इस लक्ष्य को 2025 तक पाने का निर्णय लिया है। दुनियाभर में 24 मार्च को विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस मनाते हैं। 2019 की थीम 'इट इज टाइम... है।

क्या है टीबी (क्षय रोग)
टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। इसमें लापरवाही जानलेवा हो सकती है। फेफड़ों से शुरू होकर ब्रेन, मुंह, लिवर, किडनी, गले, हड्डी तक फैलती है। खांसने और छींकने से निकलीं बूंदों से इसका इन्फेक्शन होता है। इसे प्रारंभिक अवस्था में न रोका जाए तो जानलेवा हो सकती है। टीबी की दवा समय पर न लेने से बीमारी का स्वरूप बदल जाता है। बीमारी बिगड़कर एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का रूप ले लेती है।

ऐसे पहचानें टीबी को
शुरू में इसके मरीज को हल्का बुखार रहता और थकान होती है। दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होना, तेज बुखार आना और कमजोरी भी हो सकती है। शुरुआत में रोगी के कंधे व पसलियों में दर्द और रात में बुखार आना। खांसते समय खून आना, कई बार पूरे लक्षण सामने नहीं आते हैं। भूख न लगना, लगातार वजन कम होना और सीने में दर्द होता है। सर्दी में भी पसीना आना, सांस उखड़ना या सांस लेने में परेशानी हो सकती है।

लापरवाही से डीआर टीबी का खतरा
टीबी का इलाज आसानी से होता, लेकिन लापरवाही खतरनाक है। टीबी का इलाज शुरुआती चरण में न होने से डीआर टीबी होती है। डीआर (ड्रग रेजिस्टेंस) टीबी कई प्रकार की, इससे खतरा बढ़ता है। डीआर टीबी में दवाइयोंं का असर नहीं होता है। इसका इलाज जटिल होता है। शुरुआती स्टेज में मोनो रेजिस्टेंस (एक दवा का असर न होना), इसके बाद पॉली रेजिस्टेंस, इसमें दो दवाइयां भी काम नहीं करती हैं। तीसरा एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस), कई दवाएं भी बेअसर और चौथे रिफॉपीसिन रेजिस्टेंस टीबी में मुख्य दवा भी काम नहीं करती हैं। अंतिम स्टेज एक्सडीआर यानी एक्सटेंसिव ड्रग रेजिस्टेंस की बीमारी है। अगर किसी मरीज को एक्सडीआर होने पर इलाज बहुत मुश्किल होता है।

किन्हें टीबी का अधिक खतरा
जिन लोगों की इम्युनिटी कम होती है, उन्हें टीबी का खतरा अधिक रहता है। एचआईवी मरीजों की इम्युनिटी कमजोर होती है, इन्हें भी ज्यादा खतरा रहता है। नशा करने या ड्रग्स लेने वालों को आशंका 2-3 गुना अधिक होती है। रोगी के संपर्क में आने से टीबी के संक्रमण का खतरा अधिक रहता है साथ गर्भवती महिला और स्मोकिंग करने वाले को टीबी का खतरा सबसे अधिक है ।

टीबी होने के संभावित कारण
गलत और दूषित खानपान, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है। साथ ही धूल भरे वातावरण और टीबी के मरीजों के बीच रहने से भी खतरा रहता है। इसके बैक्टीरिया शरीर में होते हैं, लेकिन अच्छी इम्युनिटी से दबे रहते हैं।

टीबी की जांचें और इलाज
टीबी की जांच के लिए एक्सरे, ब्लड व बलगम टेस्ट कराते हैं। जरूरत पड़ने पर कुछ मरीजों का स्किन टेस्ट भी कराते हैं। टीबी से बचाव के लिए कई प्रकार के टीके लगाए जाते हैं। टीबी के इलाज के लिए सरकार की तरफ से डॉट्स सेंटर बनाये हैं। डॉट्स सेंटर पर जांच और इलाज मुफ्त में उपलब्ध होता है। किसी को इसकी आशंका है तो तत्काल सरकारी हॉस्पिटल जाएं।

इस तरह टीबी से करें मुकाबला
इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए प्रोटीन डाइट भरपूर मात्रा में लें। दाल, अंडा, पनीर, बीन्स ज्यादा मात्रा में लेना फायदेमंद होता है। भीड़भाड़ वाली और गंदी व बिना धूप वाली जगहों पर न रहें। टीबी के मरीज से थोड़ा दूर रहें, कम-से-कम एक मीटर की दूरी रखें। मरीज को हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहना चाहिए। पंखा चलाकर खिड़कियां खोल दें ताकि बैक्टीरिया बाहर निकल जाएं। मरीज मास्क पहने, मास्क नहीं है तो खांसते समय मुंह को ढकें। मरीज यहां-वहां थूके नहीं, थूकने के लिए प्लास्टिक बैग पास रखें।

डॉ. विनोद कुमार गर्ग, टीबी एक्सपर्ट


बड़ी खबरें

View All

स्वास्थ्य

ट्रेंडिंग

लाइफस्टाइल