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H5N1 बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ा! WHO अलर्ट, जानिए ये वायरस कैसे बन सकता है जानलेवा

Bird Flu Outbreak Risk: H5N1 बर्ड फ्लू को लेकर WHO और वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ी। इंसानों में फैलने का कितना खतरा है, लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जाए, पूरी जानकारी।

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भारत

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Dimple Yadav

Dec 19, 2025

Bird Flu Outbreak Risk

Bird Flu Outbreak Risk (photo- freepik)

Bird Flu Outbreak Risk: H5N1 बर्ड फ्लू, जिसे आम भाषा में एवियन इन्फ्लुएंजा कहा जाता है, पिछले कई सालों से वैज्ञानिकों और हेल्थ एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। यह वायरस मुख्य रूप से पक्षियों को संक्रमित करता है, लेकिन समय-समय पर इंसानों में भी फैल चुका है, जिससे भविष्य में किसी बड़े स्वास्थ्य संकट का डर बना रहता है।

यह वायरस सबसे पहले 1990 के दशक के आखिर में चीन में सामने आया था और तब से दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में लगातार फैलता रहा है।

WHO के आंकड़े क्या कहते हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक 2003 से अगस्त 2025 तक 25 देशों में H5N1 के 990 इंसानी मामले देखे गए। इनमें से 475 लोगों की मौत हो गई। यानी मृत्यु दर करीब 48%, जो इसे बेहद खतरनाक बनाती है।

अमेरिका और भारत में क्या स्थिति है?

अमेरिका में 18 राज्यों में 1,000 से ज्यादा डेयरी फार्म प्रभावित हुए। 18 करोड़ से ज्यादा पक्षी संक्रमित या मारे गए। कम से कम 70 इंसानी मामले, ज्यादातर फार्म वर्कर्स शामिल थे। कई लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा और एक मौत भी दर्ज की गई। भारत में जनवरी में नागपुर के एक वाइल्डलाइफ रेस्क्यू सेंटर में तीन बाघ और एक तेंदुए की मौत H5N1 से हो गई। यह दिखाता है कि वायरस अब सिर्फ पक्षियों तक सीमित नहीं है।

इंसानों में H5N1 के लक्षण क्या होते हैं?

अगर कोई इंसान H5N1 से संक्रमित होता है, तो इसके लक्षण तेज फ्लू जैसे होते हैं, जैसे तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, बदन दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कभी-कभी आंखों में जलन (कंजक्टिवाइटिस) शामिल है। फिलहाल इंसानों में इसका फैलाव बहुत कम है, लेकिन हेल्थ एजेंसियां इस वायरस पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

क्या इंसानों में महामारी बन सकता है H5N1?

भारत की अशोका यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक फिलिप चेरियन और गौतम मेनन ने एक रिसर्च की है, जिसमें यह समझने की कोशिश की गई कि अगर H5N1 इंसानों में फैलने लगे तो हालात कैसे बिगड़ सकते हैं। यह स्टडी BMC Public Health जर्नल में प्रकाशित हुई है। प्रोफेसर गौतम मेनन कहते हैं कि “H5N1 से इंसानों में महामारी का खतरा असली है, लेकिन सही निगरानी और तेज़ पब्लिक हेल्थ एक्शन से इसे रोका जा सकता है।”

रिसर्च में क्या सामने आया?

महामारी की शुरुआत एक संक्रमित पक्षी से इंसान में हो सकती है। सबसे बड़ा खतरा तब होता है जब वायरस इंसान से इंसान में फैलने लगे। शुरुआत में अगर सिर्फ 2 केस मिलने पर उनके संपर्क में आए लोगों को क्वारंटीन कर दिया जाए, तो वायरस को रोका जा सकता है। लेकिन अगर केस 10 तक पहुंच गए, तो वायरस के समाज में फैलने की संभावना बहुत बढ़ जाती है

मॉडलिंग कैसे की गई?

वैज्ञानिकों ने BharatSim नाम के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया, जो पहले कोविड-19 के लिए बनाया गया था। उन्होंने तमिलनाडु के नामक्कल जिले के एक गांव जैसा मॉडल बनाया, जहां 1,600 से ज्यादा पोल्ट्री फार्म हैं। रोज 6 करोड़ से ज्यादा अंडों का उत्पादन होता है। यहीं से उन्होंने यह देखा कि वायरस फार्म या बाजार से घर, स्कूल और काम की जगहों तक फैल सकते हैं।

रोकथाम के कौन से तरीके असरदार हैं?

रिसर्च के मुताबिक संक्रमित पक्षियों को जल्दी मार देना (Culling) सबसे असरदार है, अगर इंसान संक्रमित न हुए हों, अगर इंसान संक्रमित हो जाए तो मरीज को तुरंत आइसोलेट करना चाहिए। परिवार और करीबी संपर्कों को क्वारंटीन करना चाहिए। अगर संक्रमण तीसरे स्तर तक फैल जाए, तो लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं।

क्वारंटीन में भी है जोखिम

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बहुत जल्दी क्वारंटीन करने से परिवार के लोग लंबे समय तक साथ रहते हैं, जिससे घर में फैलाव बढ़ सकता है। बहुत देर से क्वारंटीन करने पर वायरस काबू से बाहर हो सकता है।

एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

अमेरिका की एमोरी यूनिवर्सिटी की वायरोलॉजिस्ट डॉ. सीमा लखदावाला का कहना है कि हर फ्लू वायरस इंसानों में एक जैसा नहीं फैलता। सभी संक्रमित लोग दूसरों को बीमारी नहीं फैलाते है। अगर H5N1 इंसानों में जम गया, तो हालात 2009 के स्वाइन फ्लू जैसे हो सकते हैं। यह कोविड जितने गंभीर नहीं, लेकिन फिर भी बड़ा असर डाल सकते हैं। अच्छी बात यह है कि H5N1 के खिलाफ दवाएं मौजूद हैं। वैक्सीन का स्टॉक भी तैयार है। फिर भी लापरवाही खतरनाक हो सकती है। अगर यह वायरस इंसानों में फैलने लगे और दूसरे फ्लू वायरस से मिल जाए, तो हर साल नई और अनिश्चित महामारियां आ सकती हैं। पब्लिक हेल्थ सिस्टम पर भारी दबाव पड़ेगा।