27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Hand Foot and Mouth Disease: हाथ, पैर और मुंह पर हो रहे दाने? 5 साल से छोटे बच्चों में तेजी से फैल रहा है ये इंफेक्शन, जानिए कैसे बचें!

Hand Foot and Mouth Disease: ठंड या फॉल सीजन में तेजी से फैल रही हैंड, फुट और माउथ डिजीज बच्चों से लेकर बड़ों तक को संक्रमित कर रही है। जानें इसके लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के उपाय डॉक्टरों की सलाह के साथ।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Dimple Yadav

Nov 08, 2025

Hand Foot and Mouth Disease

Hand Foot and Mouth Disease (Photo- Carey Hart/Instagram)

Hand Foot and Mouth Disease: जैसे ही ठंड या फॉल सीजन शुरू होता है, मौसम के साथ कई बीमारियां भी दस्तक देने लगती हैं। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को इस मौसम में वायरल इंफेक्शन जल्दी पकड़ लेता है। इस बार अमेरिका के कई राज्यों जैसे मैरीलैंड, वर्जीनिया, टेनेसी और विस्कॉन्सिन में एक बीमारी तेजी से फैल रही है जिसका नाम है हैंड, फुट एंड माउथ डिजीज (HFMD)।

क्या है हैंड, फुट एंड माउथ डिजीज ?

यह एक वायरल बीमारी है जो एंटरोवायरस (Enterovirus) नामक वायरस परिवार से आती है। नाम से ही समझ आता है कि इसका असर हाथ, पैर और मुंह पर ज्यादा होता है, लेकिन कई बार यह जेनिटल एरिया और हिप्स (नितंबों) में भी दिखाई देती है। यह बीमारी बहुत तेजी से फैलने वाली (super contagious) होती है। यह खांसी या छींक से निकले छोटे-छोटे ड्रॉपलेट्स के जरिए हवा में फैलती है। संक्रमित व्यक्ति के छालों के पानी या छुई हुई चीजों से भी फैल सकती है और अगर कोई बच्चे का डायपर बदलते वक्त सावधानी नहीं रखता, तो उससे भी वायरस फैल सकता है।

इसके लक्षण क्या हैं?

इसका शुरुआत में लक्षण सर्दी-जुकाम जैसे लगते हैं। हल्का बुखार, नाक बहना और भूख कम लगना। थोड़ी देर बाद मुंह, हाथों, पैरों, घुटनों और कभी-कभी हाथों की उंगलियों पर छोटे-छोटे दाने या छाले दिखने लगते हैं। बच्चों में ये छाले अक्सर जीभ या गले के अंदर भी हो जाते हैं, जिससे खाना-पीना मुश्किल हो सकता है। जब दाने सूखने लगते हैं तो हाथ-पैर की त्वचा उतरना (peeling skin) भी देखा जा सकता है।

इलाज क्या है?

यह वायरल इंफेक्शन है, इसलिए एंटीबायोटिक दवाइयां इस पर असर नहीं करतीं। डॉक्टरों के मुताबिक, इसका कोई खास इलाज नहीं होता, बस लक्षणों को कंट्रोल किया जाता है। अगर बच्चा बीमार है, तो उसे बाकी लोगों से अलग रखें (isolation जरूरी है)। ज्यादा पानी और पौष्टिक खाना दें ताकि शरीर कमजोर न हो। ज्यादातर मामलों में यह बीमारी एक हफ्ते में ठीक हो जाती है, लेकिन अगर लक्षण ज्यादा हों तो 10–14 दिन तक भी लग सकते हैं।

कैसे करें बचाव?

हाथ बार-बार धोएं, खासकर बच्चों के डायपर बदलने या सार्वजनिक जगह छूने के बाद। सतहों और खिलौनों को डिसइंफेक्ट करते रहें। अगर बाहर जा रहे हैं तो अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। संक्रमित व्यक्ति से दूरी रखें और जरूरत पड़े तो मास्क पहनें। यह बीमारी बच्चों में ज्यादा होती है, लेकिन बड़ों को भी हो सकती है। इसलिए साफ-सफाई और दूरी बनाए रखना बहुत जरूरी है।