Heart Attack vs Cardiac Arrest : आज के दौर में दिल से जुड़ी बीमारियां दुनियाभर में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बन चुकी हैं. खास बात यह है कि जिन हार्ट कंडीशन्स को पहले केवल बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, वे अब युवाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही हैं. भारत में भी चलते-फिरते, नाचते-नाचते दिल का दौरा पड़ने से मौत हो रही है और इस तरह की कई खबरें हो रही हैं। दिल का दौरा और कार्डियक अरेस्ट ये दो नाम सुनने में भले ही समान लगें लेकिन असल में इन दोनों के कारण, लक्षण और इलाज की प्रक्रिया अलग-अलग होती है.
देश के कई प्रमुख अस्पतालों और विशेषज्ञों की रिपोर्ट इस ओर इशारा कर रही है कि 40 की उम्र से पहले ही युवा हार्ट अटैक (Heart Attack) और आरेथमिया जैसे घातक रोगों की चपेट में आ रहे हैं. इसका कारण है – तनाव, असंतुलित जीवनशैली, खराब खानपान और बढ़ती मानसिक थकावट. ऐसे में समय रहते जागरूक होना और हार्ट अटैक व कार्डियक अरेस्ट के बीच फर्क समझना बेहद जरूरी हो जाता है.
हार्ट अटैक (Heart Attack) यानी मायोकार्डियल इंफार्क्शन तब होता है जब दिल तक पहुंचने वाली रक्त आपूर्ति बाधित हो जाती है. इसका कारण आमतौर पर कोरोनरी आर्टरी में रुकावट होता है, जिससे दिल की कोशिकाएं मरने लगती हैं और सीने में तेज दर्द महसूस होता है. दूसरी ओर कार्डियक अरेस्ट (Heart Attack vs Cardiac Arrest) एक अचानक उत्पन्न होने वाली स्थिति है जिसमें दिल की विद्युत प्रणाली गड़बड़ा जाती है और दिल धड़कना बंद कर देता है. इसका असर मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों पर पड़ता है और व्यक्ति बेहोश होकर गिर जाता है.
सडन कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज, वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन (अरेथमिया), कार्डियोमायोपैथी या वाल्व में समस्या.
020 से 2023 के बीच 50% हार्ट अटैक के मरीज 40 साल से कम उम्र के थे. यह बेहद चिंताजनक है.” एक दशक पहले तक हार्ट अटैक को 50-60 साल की उम्र से जोड़कर देखा जाता था, लेकिन अब 30 की उम्र के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. तनाव, शराब, धूम्रपान और खराब खानपान इसके पीछे के प्रमुख कारक हैं.
कोविड-19 के बाद दिल की बीमारियों में भारी उछाल आया है. 762 मरीजों के विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ कि महामारी के बाद हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामलों में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. पहले हार्ट अटैक 50 साल की उम्र के बाद होते थे, अब 30 में ही जानलेवा साबित हो रहे हैं. लेकिन हर अचानक मौत हार्ट अटैक (Heart Attack) नहीं होती-कई बार यह अरेथमिया से होती है.”
अरेथमिया: युवा खिलाड़ियों और जिम में कसरत कर रहे लोगों के लिए खतरा
हमने देखा है कि युवा जिम में डांस या स्पोर्ट्स इवेंट्स में अचानक गिर जाते हैं. ये हार्ट अटैक नहीं अरेथमिया के कारण होते हैं.” यह अनियमित धड़कनें कार्डियक अरेस्ट को जन्म देती हैं और यह लक्षण बहुत तेजी से उभरते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय उपमहाद्वीप में हृदय रोगों की जेनेटिक प्रवृत्ति पहले से ही मौजूद रही है, लेकिन हाल की जीवनशैली ने इसे और भी गंभीर बना दिया है. स्कूल स्तर पर ही बच्चों में धूम्रपान की प्रवृत्ति बढ़ रही है. अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड, नींद की कमी, तनाव और व्यायाम का अभाव इसके खतरे को बढ़ा रहे हैं.
12 घंटे या उससे अधिक काम करने वाले प्रोफेशनल्स में हृदय रोगों की संभावना कहीं अधिक होती है. अत्यधिक तनाव और बर्नआउट युवाओं की सेहत पर बड़ा प्रभाव डाल रहे हैं.
‘आर्टेरियोस्क्लेरोसिस, थ्रॉम्बोसिस एंड वास्कुलर बायोलॉजी’ में प्रकाशित शोध के मुताबिक, कोविड संक्रमित लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में दो से चार गुना अधिक पाया गया. इससे साबित होता है कि महामारी के बाद हृदय स्वास्थ्य और भी संवेदनशील हो गया है.
शराब हृदय की धड़कनें असामान्य कर सकती है और धमनियों में फैट जमा कर सकती है, जिससे कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ता है. फ्राइड और प्रोसेस्ड फूड हृदय के लिए ज़हर हैं. जंक फूड और मीठी चीजें ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाकर दिल को नुकसान पहुंचाते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस घातक स्थिति से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति जरूरी है. कर्मचारियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों की उपलब्धता, तनाव प्रबंधन ट्रेनिंग और नियमित हेल्थ चेक-अप अनिवार्य बनाए जाने चाहिए.” हालांकि आनुवंशिक कारणों को रोका नहीं जा सकता, लेकिन जीवनशैली में बदलाव से दिल की बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है. आज किया गया एक छोटा कदम, कल एक लंबी और स्वस्थ जिंदगी की नींव रख सकता है.”
Published on:
12 Jun 2025 12:02 pm