
No scientific evidence to show liver detox is safe and effective
विश्व लिवर दिवस (World liver day) पर डॉक्टरों ने लोगों को लिवर डिटॉक्स (Liver detox) या सफाई करने की प्रचलित आदत के खिलाफ चेतावनी दी है. विशेषज्ञों का कहना है कि लिवर अपने आप में ही विषाक्त पदार्थों को छानने वाला एक अंग है और इसे किसी खास डिटॉक्स (Liver detox) की जरूरत नहीं होती. बल्कि कुछ डिटॉक्स उपाय लिवर को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.
हाल के वर्षों में, कई मशहूर हस्तियों और तथाकथित प्रभावशाली लोगों ने दूध थीस्ल जैसे मसाले (Milk thistle), हल्दी (Turmeric), लौकी (Ash gourd) और आंवला (Indian gooseberry) जैसे प्राकृतिक जड़ी बूटियों और मसालों के मिश्रण को बढ़ावा देकर लिवर डिटॉक्स (Liver detox) को प्रचलित किया है.
लेकिन, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इन जड़ी बूटियों के इस्तेमाल से लिवर को होने वाले संभावित नुकसान के बारे में चेतावनी दी है.
सर गंगा राम अस्पताल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और उपाध्यक्ष डॉ. पीयूष रंजन का कहना है कि, "डिटॉक्स डाइट का मतलब तरल पदार्थ, फलों और सब्जियों पर आधारित आहार होता है, जिसमें उपवास भी शामिल होता है. इस तरह के उपचार के काम करने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है और यह भी स्पष्ट नहीं है कि इससे कौन से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं."
उन्होंने आगे कहा कि, "इन उपचारों के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न जड़ी बूटियों में लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व हो सकते हैं."
आम तौर पर यह माना जाता है कि लिवर को साफ रखने या "डिटॉक्स" करना रोजाना के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है और खासकर ज्यादा खाने पीने के बाद इसकी बहुत जरूरत होती है.
हाल ही में, एक पॉडकास्ट में अभिनेत्री सामंथा रुथ प्रभु को लिवर के स्वास्थ्य और "डिटॉक्स" के लिए "डंडेलियन" जैसी जड़ी बूटियों के फायदों के बारे में बात करते हुए सुना गया था.
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्ली के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपटोबिलरी साइंसेज विभाग के सलाहकार डॉ. सुराक्षिथ टीके का कहना है कि, "वास्तव में, लिवर अपने आप में ही एक सक्षम अंग है जो बिना किसी खास डिटॉक्स के विषाक्त पदार्थों को छान सकता है. लिवर को डिटॉक्स करने का दावा करने वाले उत्पादों को किसी सरकारी संस्था द्वारा विनियमित या अनुमोदित नहीं किया जाता है और उनकी प्रभावशीलता के समर्थन में कोई पर्याप्त सबूत नहीं है."
सीके बिड़ला अस्पताल, दिल्ली में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के सलाहकार डॉ. विकास जिंदल ने कहा कि, "लिवर के स्वास्थ्य से जुड़े डिटॉक्स के मिथक खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि ये अक्सर ऐसे तरीकों को बढ़ावा देते हैं जो फायदे के बजाय नुकसान पहुंचा सकते हैं. सख्त आहार से लेकर अप्रमाणित सप्लीमेंट्स तक, ये मिथक पोषक तत्वों की कमी, डिहाइड्रेशन और यहां तक कि लिवर को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए कोई भी डिटॉक्स आहार लेने से पहले स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना जरूरी है."
डॉक्टर लिवर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह देते हैं. असली डिटॉक्स का मतलब है अपने शरीर के प्राकृतिक डिटॉक्स मार्गों को आहार, व्यायाम, नींद, हाइड्रेशन और संभावित रूप से सही सप्लीमेंट्स के जरिए रोज़ाना सपोर्ट करना.
Published on:
19 Apr 2024 02:10 pm
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