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स्वास्थ्य

युवाओं के फेफड़ों पर ज्यादा असर डालता है कोरोना वायरस: अध्ययन

अध्ययन में पाया गया है कि उम्र बढ़ने के साथ कोरोना वायरस का खतरा ज़रूर बढ़ता है, लेकिन यह भी सामने आया है कि युवाओं के फेफड़े इस वायरस के लिए ज़्यादा संवेदनशील होते हैं।

जयपुरApr 18, 2024 / 11:41 am

Manoj Kumar

young lung more susceptible to covid
अभी तक यह माना जाता रहा है कि उम्रदराज जितना ज्यादा होता है, कोरोना वायरस का खतरा उतना ही ज्यादा बढ़ जाता है. लेकिन एक नई स्टडी में पता चला है कि असल में युवाओं के फेफड़े इस वायरस के लिए ज्यादा संवेदनशील होते हैं.

उम्र बढ़ने के साथ फेफड़े कमजोर होते हैं, वायरस कम फैलते हैं

यह अध्ययन अभी किसी वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित नहीं हुआ है, लेकिन एक रिपोर्ट वेबसाइट पर डाला गया है. इस स्टडी में पाया गया कि उम्रदराज जितना ज्यादा होता है, फेफड़े कमजोर हो जाते हैं और उनमें कोरोना समेत फ्लू वायरस भी कम पनपते हैं. उल्टा, युवाओं के फेफड़ों में ये वायरस ज्यादा आसानी से फैलते हैं.

फ्लू वायरस युवाओं में तेजी से फैलता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाता है

विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैक्सीन सेफ्टी नेट के सदस्य डॉ विपिन एम वशिष्ठ ने बताया है कि, “फ्लू वायरस इंसानों के फेफड़ों की कोशिकाओं में ज्यादा तेजी से फैलता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा मजबूती से जवाब देती है.”

बुजुर्गों में गंभीर बीमारी का खतरा ज्यादा, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता है कारण

उन्होंने बताया कि, “इस अध्ययन से पता चलता है कि सिर्फ वायरस का फेफड़ों में फैलना ही यह कारण नहीं है कि बुजुर्गों को कोरोना ज्यादा गंभीर रूप से होता है, बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना भी एक वजह है.”
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फ्लू वायरस फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, कोरोना वायरस नहीं

स्विट्जरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ बन के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है. उन्होंने देखा कि उम्र के साथ फेफड़े कमजोर कैसे पड़ते हैं और उन पर कोरोना वायरस तथा फ्लू वायरस का कैसा असर होता है. साथ ही उन्होंने फेफड़ों के दूर के हिस्सों में सूजन और वायरस से लड़ने की क्षमता को भी परखा.
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने अलग-अलग उम्र के लोगों के दान किए गए फेफड़ों के टुकड़ों का इस्तेमाल किया. इनमें पाया गया कि फ्लू का H1N1 और H5N1 वायरस फेफड़ों में आसानी से फैलते हैं. वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस का मूल रूप और उसका डेल्टा वैरिएंट कम फैल पाए.
शोधकर्ताओं का कहना है कि, “कोरोना वायरस से फेफड़ों की कोशिकाओं को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचता, लेकिन फ्लू वायरस फेफड़ों की कोशिकाओं को काफी नुकसान पहुंचाता है और शरीर में वायरस से लड़ने की प्रक्रिया को भी जल्दी शुरू कर देता है.”
अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि उम्र के साथ फेफड़े कमजोर हो जाते हैं, जिससे वायरस वहां कम फैल पाते हैं. लेकिन कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है.

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