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Men Mental Health : पिता बनना आसान नहीं, नई जिम्मेदारियों के साथ बढ़ता है मानसिक दबाव

Men Mental Health after Baby : पिता बनना एक खूबसूरत एहसास है, लेकिन इसके साथ कई जिम्मेदारियां और मानसिक दबाव भी आते हैं। अक्सर पुरुष इस तनाव के बारे में खुलकर बात नहीं करते, जिससे उनकी मानसिक सेहत प्रभावित हो सकती है।

भारत

Manoj Vashisth

Jun 18, 2025

Men Mental Health
Men Mental Health (फोटो सोर्स : Freepik)

Men Mental Health : पिता बनना जिंदगी के सबसे खूबसूरत एहसासों में से एक है। एक तरफ जहां घर में नन्हे मेहमान के आने की खुशी होती है, वहीं दूसरी तरफ ढेर सारी नई जिम्मेदारियाँ भी आ जाती हैं। इन जिम्मेदारियों के साथ, अक्सर पुरुषों में मानसिक दबाव (Mental Health) भी बढ़ जाता है, जिसके बारे में शायद ही कभी खुलकर बात की जाती है।

क्यों बढ़ता है मानसिक दबाव? (Why Does Mental Pressure Increase)

सोचिए, पहले आप अपनी ज़िंदगी अपने हिसाब से जीते थे, लेकिन अब सब कुछ बच्चे के इर्द-गिर्द घूमने लगता है। रातों की नींद उड़ जाती है, बच्चे की हर ज़रूरत पूरी करनी होती है, और आर्थिक चिंताएं भी बढ़ जाती हैं। कई बार पुरुष सोचते हैं कि उन्हें मजबूत दिखना है, सारी परेशानियों को अकेले झेलना है, और अपनी भावनाओं को दबाना है। समाज में भी यही धारणा बनी हुई है कि पुरुष रोते नहीं, वे हमेशा चट्टान की तरह अडिग रहते हैं। इसी वजह से वे अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते, जिससे अंदर ही अंदर तनाव बढ़ता रहता है।

Men Mental Health : पुरुषों की मेंटल हेल्थ पर चर्चा क्यों नहीं?

आंकड़े क्या कहते हैं?

गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलियाई और अंतरराष्ट्रीय शोध की 2024 की समीक्षा में पाया गया हर 10 में से 1 पुरुष पिता बनने के बाद डिप्रेशन महसूस करता है। इसे 'पैरेंटल डिप्रेशन' या 'पोस्टपार्टम डिप्रेशन' का पुरुष संस्करण भी कह सकते हैं। यह सिर्फ महिलाओं को ही नहीं होता, पुरुषों को भी होता है। नींद की कमी, चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, उदासी, या फिर किसी भी चीज़ में मन न लगना - ये सब डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं।

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Men Mental Health : क्या करें?

सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि यह सामान्य है। अगर आप ऐसी किसी भी भावना से गुज़र रहे हैं, तो आप अकेले नहीं हैं।

खुलकर बात करें: अपनी पार्टनर, दोस्त या परिवार के किसी सदस्य से अपनी भावनाओं को साझा करें। मन हल्का होगा।

मदद मांगें: बच्चे की देखभाल में मदद लेने से न हिचकिचाएँ। पार्टनर, दादा-दादी, या किसी दोस्त की मदद लें।

अपनी नींद पूरी करें: भले ही थोड़ी-थोड़ी देर के लिए ही सही, नींद लेना बहुत ज़रूरी है।

नियमित व्यायाम करें: थोड़ा बहुत टहलना या योग करना भी तनाव कम करने में मदद करता है।

अपने लिए समय निकालें: हॉबीज़ के लिए थोड़ा समय निकालें, या कुछ ऐसा करें जिससे आपको खुशी मिलती हो।

जरूरत पड़े तो पेशेवर मदद लें: अगर आपको लगता है कि आप इन भावनाओं से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, तो किसी मनोवैज्ञानिक या थेरेपिस्ट से बात करने में संकोच न करें। यह कमज़ोरी नहीं, बल्कि समझदारी है।

याद रखें, एक खुश और स्वस्थ पिता ही बच्चे की अच्छी परवरिश कर सकता है। तो अपनी मानसिक सेहत (Mental Health) पर ध्यान देना उतना ही ज़रूरी है जितना कि शारीरिक सेहत पर।