28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Antiobesity drugs एक अरब लोगों की समस्या का समाधान नहीं कर सकतीं, WHO ने चेतावनी दी

Antiobesity drugs : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि मोटापा कम करने की दवाएं, भले ही कितनी भी प्रभावी या लोकप्रिय हों, अकेले इस वैश्विक समस्या का समाधान नहीं कर सकतीं, जो वर्तमान में एक अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करती है.

2 min read
Google source verification
antiobesity-drugs.jpg

Antiobesity drugs

Antiobesity drugs : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि मोटापा (Obesity) कम करने की लोकप्रिय दवाएं दुनियाभर में फैली इस समस्या का समाधान नहीं हैं, जो अब 1 अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करती है.

मोटापा (Obesity) बच्चों और किशोरों में चार गुना और वयस्कों में दोगुना से अधिक बढ़ गया है, 1990 के बाद से. यानी दुनिया में हर आठ में से एक व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त है. यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2017 के बाद पहली बार वैश्विक स्तर पर विश्लेषण करने के बाद दी है.

यह अध्ययन द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित हुआ है

अध्ययन में पाया गया कि हालांकि अमीर देशों, खासकर यूरोप में मोटापे (Obesity) की दर स्थिर हो गई है, लेकिन कम और मध्यम आय वाले देशों में तेजी से वृद्धि देखी गई है. अध्ययन के अनुसार कुपोषण के कारण कम वजन की समस्या कई देशों में अब मोटापे से पीछे छूट गई है.

नई मोटापा रोधी दवाएं (Antiobesity drugs) , जैसे कि नोवो नॉर्डिस्क की वेगोवी और एली लिली की जेपबाउंड, 2030 तक 80 अरब डॉलर का बाजार बन सकती हैं. लेकिन, अध्ययन के प्रमुख लेखक माजिद एज्जती का कहना है कि ये दवाएं असमानता को बढ़ा सकती हैं. वह इम्पीरियल कॉलेज लंदन में वैश्विक पर्यावरणीय स्वास्थ्य के प्रोफेसर हैं.

अध्ययन के सह-लेखक और डब्ल्यूएचओ के पोषण और खाद्य सुरक्षा विभाग के निदेशक फ्रांसेस्को ब्रांका ने कहा, "ये दवाएं निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण उपकरण हैं, लेकिन इन्हें समस्या का समाधान नहीं समझना चाहिए. असली समाधान खाद्य प्रणालियों और पर्यावरण को बदलने में है."

डब्ल्यूएचओ के सदस्य देशों ने 2022 में मोटापे से निपटने के लिए एक योजना अपनाई थी. इसमें कई तरह के नीतिगत बदलाव शामिल हैं, जैसे स्तनपान को बढ़ावा देना, बच्चों को अस्वस्थ खाने-पीने की चीजों के विपणन पर रोक, पोषण संबंधी लेबलिंग और स्कूलों में शारीरिक गतिविधि के मानक.

अध्ययन के सह-लेखक गुहा प्रदीपा का कहना है कि जलवायु परिवर्तन, युद्ध और कोविड-19 महामारी के कारण स्वस्थ भोजन की लागत बढ़ सकती है और मोटापे व कम वजन दोनों की दरें और भी बढ़ सकती हैं. वह मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन से जुड़े हैं.

डब्ल्यूएचओ के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए एनसीडी रिस्क फैक्टर कोलैबोरेशन के साथ काम किया, जो गैर-संचारीय बीमारियों जैसे मोटापे पर डेटा प्रदान करने वाला वैश्विक वैज्ञानिक नेटवर्क है.

दुनियाभर में मोटापे (Obesity) की दर का व्यापक आंकलन करने के लिए, 1500 से अधिक शोधकर्ताओं ने 190 से अधिक देशों के 22 करोड़ से अधिक लोगों के वजन और ऊंचाई का सर्वेक्षण किया. वयस्कों में मोटापे को शरीर द्रव्यमान सूचकांक (बीएमआई) 30 या उससे अधिक माना गया, जबकि बच्चों में इसका मापन वजन और उम्र के आधार पर किया गया. अध्ययन में पाया गया कि 2022 में करीब 87 करोड़ 90 लाख वयस्क और 15 करोड़ 90 लाख बच्चे संभवत: मोटापे से ग्रस्त थे.