
Poison in your fruits
Poison in your fruits : यह खुलासा छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर की रिसर्च में हुआ है। छत्तीसगढ़ सहित देशभर में में फलों को पकाने में वे केमिकल इस्तेमाल हो रहे हैं जिन पर सरकार ने पाबंदी लगाई हुई है।
फलों को पकाने और उनकी सेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए डीडीटी (DDT) , इथरेल (Ethrel) और जिब्रलिक (Gibberellic Acid) का उपयोग धड़ल्ले से जारी है। यह केमिकल इतने खतरनाक हैं कि इनसे त्वचा की गंभीर बीमारियां हो सकती है। यही नहीं, टाइप-2 डाइबिटीज, पीसीओडी का खतरा भी बढ़ सकता है। कीट वैज्ञानिक का कहना है कि हाल में विभिन्न देशों ने महाराष्ट्र के अंगूर को केमिकल की बहुत अधिक मात्रा की वजह से एक्सपोर्ट क्वालिटी में रिजेक्ट कर दिया है। यह प्रश्न महाराष्ट्र की विधानसभा में पहुंचा है। यही रिजेक्टड अंगूर और इस जैसे कई फल देश के विभिन्न राज्यों में पहुंच रहे हैं।
साइंटिफिक रिपोर्ट के मुताबिक बाजार में बिकने वाले सैकड़ों फलों में तीस से अधिक पेस्टीसाइड पाए गए हैं। इनमें से दो दर्जन से ज्यादा कीटनाशक बेहद खतरनाक हैं। जिन्हें कई मुल्कों में बंद कर दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक सीमा के बाद यह पेस्टीसाइड (Pesticide) का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए बड़ी बीमारियों को न्योता देने जैसा है। सेब को मंडी में लाकर कई महीनों तक कोल्ड स्टोर में रखा जाता है। इससे पहले बाकायदा इसकी वेक्सीनेशन होती है ताकि ये अधिक समय तक टिके रहे। इसी तरह अंगूर को टिकाऊ बनाए रखने के लिए डाइक्लोवास 26 ईसी नाम के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। अंगूरों के बागानों से गुच्छे तोड़नेके बाद इन्हें केमिकल के घोल में डूबोकर निकाला जाता है।
- फलों को खाने से पहले तीन घंटे पानी में डूबाे कर रखें। इससे केमिकल का असर कम हो जाएगा।
- छिलके वालो फलों का इस्तेमाल करने से पहले उनके छिलके उतार दें।
- मौसमी फलों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।
- हाईब्रीड फलों का इस्तेमाल कम से कम करें।
- पानी में नमक व बेकिंग सोडा मिलाकर फल को 15 मिनट के लिए भिगोएं, इससे केमिकल हटाने में मदद मिलेगी।
- वैक्स किए सेब को यदि गैस चूल्हे के बर्नर के करीब ले जाया जाए तो सेब तुरंत सिकुड़ना शुरू कर देता है।
- अगूर को नमक के पाने में थोड़ी देर डुबोकर रखने से अलग सा रंग छोड़ेगा, जो विभिन्न केमिकल हैं।
- यदि केले का डंठल हरा है और केले के छिलके पीले हैं तो यह पूरी तरह से केमिकल में डुबोकर निकाले हुए केले हैं। हालांकि
- मक्खियां उन फलों पर नहीं बैठती, जिन पर केमिकल प्रोसेस किया गया हो।
- सेब- 0.6086
- आम - 0.6568
- केला - 0.2221
- अंगूर - 0.5837
- गाजर - 0.3469
(मात्रा म्यू ग्राम में। 'म्यू' माइक्रो शब्द को संक्षिप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला वैज्ञानिक प्रतीक है। एक माइक्रोग्राम एक मिलीग्राम का 1/1,000 हिस्सा होता है)
Published on:
06 Jul 2024 03:03 pm
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