
Popcorn Lunge (photo- gemini ai)
Popcorn Lung Kya Hai: फेफड़े से जुड़ी कई बीमारियां बेहद गंभीर होती हैं। जिनका सही समय पर इलाज नहीं हो तो ये जानलेवा साबित हो सकता है। इन्हीं में से एक है पॉपकॉर्न लंग (Popcorn Lung)। यह सुनने में भले ही थोड़ा अजीब हो लेकिन यह एक गंभीर फेफड़ों की बीमारी है। मेडिकल भाषा में इसे ब्रॉन्कियोलाइटिस ऑब्लिटेरन्स (Bronchiolitis Obliterans) या ब्रॉन्कियोलाइटिस ऑब्लिटेरन्स ऑर्गनाइजिंग न्यूमोनिया (BOOP) कहा जाता है। इस बीमारी में फेफड़ों की सबसे छोटी नलिकाओं में सूजन और स्कारिंग यानी ऊतकों का सख्त होना शुरू हो जाता है। इससे सांस लेने में कठिनाई, थकान और शरीर में ऑक्सीजन की कमी जैसी गंभीर समस्याएं होने लगती हैं।
फेफड़ों के स्कैन में जब छोटे-छोटे सफेद धब्बे दिखाई देते हैं जो पॉपकॉर्न के दानों जैसे लगते हैं, तभी इस बीमारी का नाम पड़ा पॉपकॉर्न लंग। इसका नाम अमेरिका में तब प्रसिद्ध हुआ जब माइक्रोवेव पॉपकॉर्न फैक्ट्री के कर्मचारियों में यह बीमारी देखी गई। दरअसल, लंबे समय तक डायएसिटाइल (Diacetyl) नामक रासायनिक पदार्थ के संपर्क में रहने से कर्मचारियों को सांस की तकलीफ होने लगी। यह रसायन पॉपकॉर्न में बटर जैसी खुशबू और स्वाद देने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। बाद में वैज्ञानिकों ने पाया कि इसे सांस के माध्यम से अंदर लेने पर फेफड़ों की नलिकाएं खराब हो जाती हैं।
दिल्ली के सीके बिरला हॉस्पिटल के डायरेक्टर और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मित्तल बताते हैं कि यह बीमारी आमतौर पर हानिकारक रासायनिक या विषैले पदार्थों को सांस के जरिए अंदर लेने से होती है। इसके प्रमुख कारण हैं, रासायनिक पदार्थों का संपर्क जैसे डायएसिटाइल, औद्योगिक धुआं या गैस। वेपिंग और ई-सिगरेट का सेवन, जिनमें निकोटिन एरोसोल और अन्य रसायन फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। वायु प्रदूषण और सिगरेट का धुआं, जो फेफड़ों की नलिकाओं को कमजोर करता है।वायरल संक्रमण या ऑटोइम्यून बीमारियां, जो फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकती हैं।
इस बीमारी के लक्षण अक्सर अस्थमा या COPD जैसे लगते हैं, जिससे पहचान में देरी हो जाती है। प्रमुख लक्षण हैं। लगातार सूखी खांसी, चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर सांस फूलना, सीटी जैसी आवाज के साथ सांस आना, सीने में दर्द या जकड़न, ऑक्सीजन की कमी से थकान या कमजोरी हो सकती है। अगर इलाज में देर हो जाए, तो यह स्थिति रेस्पिरेटरी फेल्योर यानी फेफड़ों के फेल होने तक पहुंच सकती है।
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शारदा जोशी के अनुसार, इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाएं (जैसे प्रेडनिसोन) या इम्यूनोसप्रेसिव मेडिकेशन दी जाती हैं, जो सूजन को कम करती हैं। गंभीर मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी की भी जरूरत पड़ सकती है।
धूम्रपान और वेपिंग से पूरी तरह दूरी बनाए रखें, औद्योगिक धुएं या प्रदूषित वातावरण में मास्क का प्रयोग करें। यदि आपको लगातार खांसी या सांस लेने में कठिनाई हो, तो इसे साधारण एलर्जी या सर्दी-खांसी समझकर नजरअंदाज न करें। समय पर फेफड़ों के विशेषज्ञ से जांच करवाएं, क्योंकि पॉपकॉर्न लंग की रोकथाम ही इसका सबसे बड़ा इलाज है।
Published on:
01 Nov 2025 10:18 am
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