27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

लाइलाज Superbug के बढ़ने में मददगार एक आम एंटीबायोटिक की हुई पहचान

Superbug antibiotic resistance : ऑस्ट्रेलिया के Aवैज्ञानिकों ने हाल ही में एक आम एंटीबायोटिक (Antibiotic) के खतरनाक प्रभावों का पता लगाया है, जो लगभग लाइलाज माने जाने वाले सुपरबग्स (Superbug) के बढ़ने में योगदान कर सकता है।

2 min read
Google source verification
A common antibiotic that helped create an incurable superbug has been identified

A common antibiotic that helped create an incurable superbug has been identified

Superbug antibiotic resistance : ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक आम एंटीबायोटिक (Antibiotic) के खतरनाक प्रभावों का पता लगाया है, जो लगभग लाइलाज माने जाने वाले सुपरबग्स (Superbug) के बढ़ने में योगदान कर सकता है। यह शोध मेलबर्न विश्वविद्यालय के नेतृत्व में हुआ, जिसमें पीटर डोहर्टी इंस्टीट्यूट फॉर इंफेक्शन एंड इम्युनिटी और ऑस्टिन हेल्थ भी शामिल थे।

सुपरबग और एंटीबायोटिक प्रतिरोध: गंभीर समस्या Superbugs and antibiotic resistance: A serious problem

सुपरबग (Superbug) एक ऐसा नाम है जो उन बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और कवकों को दिया गया है, जो एंटीबायोटिक (Antibiotic) दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो गए हैं। यह स्थिति रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के नाम से जानी जाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एएमआर आज के समय में वैश्विक स्वास्थ्य और विकास के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। 2019 में एएमआर के कारण लगभग 49.5 लाख मौतें हुई थीं, जो इस गंभीरता का संकेत है।

यह भी पढ़ें : हीमोग्लोबिन बढ़ाने और वजन घटाने में रामबाण है चुकंदर, बनाएं अपनी डाइट का हिस्सा

रिफैक्सीमिन: मददगार या खतरनाक?

शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से एंटीबायोटिक रिफैक्सीमिन (Antibiotic Rifaximin) का अध्ययन किया, जो आमतौर पर लीवर रोगों के उपचार में दिया जाता है। हालांकि, इस एंटीबायोटिक से रोगियों में वैनकॉमाइसिन-प्रतिरोधी एंटरोकोकस फेसियम (VRE) नामक सुपरबग (Superbug) के बढ़ने का जोखिम देखा गया है। वीआरई एक ऐसा संक्रामक जीवाणु है जो अस्पताल में भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

डीएनए में परिवर्तन और गंभीर परिणाम

अध्ययन में पाया गया कि रिफैक्सीमिन (Antibiotic Rifaximin) के प्रयोग से वीआरई के डीएनए में बदलाव हुए हैं, जिससे यह डैप्टोमाइसिन के प्रति प्रतिरोधी हो गया है। डैप्टोमाइसिन एक महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक है, जो मल्टीड्रग-प्रतिरोधी रोगजनकों के इलाज के लिए अंतिम उपाय के रूप में उपयोग किया जाता है।

ग्लेन कार्टर का चेतावनी भरा बयान

मेलबर्न विश्वविद्यालय और डोहर्टी इंस्टीट्यूट के अध्ययन के वरिष्ठ लेखक ग्लेन कार्टर ने बताया, "हमने यह साबित किया है कि रिफैक्सीमिन (Rifaximin) वीआरई को डैप्टोमाइसिन के प्रति प्रतिरोधी बनाता है। यह एक नई और गंभीर समस्या है, जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था।"

अस्पतालों में फैलने का खतरा

यह भी चिंता का विषय है कि डैप्टोमाइसिन-प्रतिरोधी वीआरई अस्पतालों में भर्ती अन्य रोगियों में फैल सकता है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस परिकल्पना की फिलहाल जांच की जा रही है।

यह भी पढ़ें : Blood Sugar को कंट्रोल करता है देसी घी , जानें 8 फायदे

जीनोमिक्स-आधारित निगरानी की आवश्यकता

अध्ययन ने उभरते एएमआर का पता लगाने के लिए जीनोमिक्स-आधारित निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया है। प्रभावी निगरानी और नियंत्रण के बिना, यह समस्या वैश्विक स्तर पर और अधिक गंभीर रूप धारण कर सकती है।

सुपरबग्स (Superbug के बढ़ते खतरे और एंटीबायोटिक प्रतिरोध की समस्या ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों को सतर्क कर दिया है। एंटीबायोटिक दवाओं का सोच-समझकर उपयोग और रोगाणुरोधी प्रतिरोध के खिलाफ नई रणनीतियों की आवश्यकता आज के समय की प्रमुख प्राथमिकताएं बन गई हैं।

--आईएएनएस