Worst Habits for Your Brain : हमारा दिमाग एक कमाल की चीज है, लेकिन हमारी कुछ आदतें इसे नुकसान पहुंचा सकती हैं। अच्छी बात ये है कि जिन आदतों से दिमाग को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, उन्हें बदलना सबसे आसान भी है। हार्वर्ड से जुड़े मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के जेनेटिक्स एंड एजिंग रिसर्च यूनिट के निदेशक, रुडोल्फ टान्ज़ी के अनुसार, चार ऐसी मुख्य आदतें हैं जो हमारे दिमाग पर बुरा असर डालती हैं: बहुत ज्यादा देर बैठना, सामाजिक मेलजोल की कमी, पर्याप्त नींद न लेना, और लगातार तनाव में रहना।
क्या आप भी घंटों कुर्सी पर चिपके रहते हैं? एक औसत वयस्क दिन में साढ़े छह घंटे बैठता है, और यह आदत आपके दिमाग पर भारी पड़ सकती है। 2018 के एक शोध में पाया गया कि ज्यादा देर तक बैठना दिमाग के उस हिस्से में बदलाव से जुड़ा है जो याददाश्त के लिए जरूरी है। इस शोध में 45 से 75 साल के लोगों के दिमाग के 'मेडियल टेम्पोरल लोब' (MTL) की MRI स्कैनिंग की गई। यह वो हिस्सा है जो नई यादें बनाता है। नतीजों से पता चला कि जो लोग सबसे ज्यादा देर बैठते थे, उनके MTL पतले थे। शोधकर्ताओं का मानना है कि MTL का पतला होना याददाश्त में कमी और डिमेंशिया का शुरुआती संकेत हो सकता है।
क्या करें: टान्ज़ी सलाह देते हैं कि हर 15 से 30 मिनट में थोड़ा चलें। अपने फोन पर टाइमर सेट करें। घर में टहलें, किचन काउंटर के सहारे पुश-अप्स करें, कुछ स्क्वैट्स या लंजेस करें, या पड़ोस में छोटी सी वॉक पर निकल जाएं।
अकेलापन सिर्फ डिप्रेशन से ही नहीं जुड़ा है, बल्कि यह अल्ज़ाइमर के खतरे को भी बढ़ाता है और दिमागी क्षमता में गिरावट ला सकता है। जुलाई 2021 के एक अध्ययन में सामने आया कि जो लोग कम सामाजिक होते हैं, उनके दिमाग के ग्रे मैटर (जो जानकारी प्रोसेस करता है) में ज़्यादा कमी आती है।
क्या करें: कोविड के दौरान सामाजिक मेलजोल बनाए रखना मुश्किल रहा है, लेकिन टान्ज़ी कहते हैं कि फायदे के लिए बहुत सारे लोगों से बातचीत करना जरूरी नहीं है। दो या तीन ऐसे लोग ढूंढें जिनके साथ आप कुछ भी शेयर कर सकें, वे कहते हैं। इस ग्रुप को अपना 'सोशल पॉड' बनाएं। उन्हें नियमित रूप से टेक्स्ट या कॉल करें, या हफ़्ते में एक बार ज़ूम पर बातचीत करें। टान्ज़ी कहते हैं, आप सार्थक और दिमागी रूप से उत्तेजक बातचीत चाहते हैं, इसलिए ऐसे लोगों को चुनें जिनकी आप परवाह करते हैं और जो आपकी परवाह करते हैं।
CDC के अनुसार, एक तिहाई वयस्क सात से आठ घंटे की जरूरी नींद नहीं लेते। दिसंबर 2018 के एक शोध में पाया गया कि जब लोग हर रात सात घंटे से कम सोते हैं, तो उनकी याददाश्त, तर्कशक्ति और समस्या-समाधान जैसे दिमागी कौशल कमज़ोर हो जाते हैं।
क्या करें: ज्यादा सोने पर ध्यान न दें। बेहतर तरीका यह है कि आप खुद को सोने के लिए ज्यादा समय दें। टान्ज़ी कहते हैं, सामान्य से एक घंटा पहले बिस्तर पर जाएं। इससे देर रात जागना कम होगा और आपके दिमाग और शरीर को पर्याप्त नींद लेने के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा। अगर आप जाग जाते हैं, तो अपने दिमाग को आराम करने का समय दें। टान्ज़ी कहते हैं, किताब पढ़ने की कोशिश करें, लेकिन टीवी या लैपटॉप देखने से बचें, क्योंकि वे उत्तेजित कर सकते हैं। भले ही आप कुछ देर जागते रहें, फिर भी आपके पास उस अतिरिक्त घंटे की भरपाई करने का समय होगा।
लगातार तनाव दिमाग की कोशिकाओं को मार सकता है और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (जो याददाश्त और सीखने के लिए ज़िम्मेदार है) को सिकोड़ सकता है। टान्ज़ी कहते हैं कि बड़े वयस्कों के लिए तनाव का एक बड़ा कारण हर बात में मेरी मर्ज़ी चलेगी वाला रवैया है। यह उच्च उम्मीदों वाली मानसिकता नकारात्मक प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकती है, जिससे जब चीजें आपकी मर्ज़ी से नहीं होतीं तो तनाव का स्तर बढ़ जाता है।
क्या करें: अपनी प्रतिक्रियाओं में लचीलापन लाएं। जब आपको लगे कि आप परेशान होने वाले हैं, तो गहरी सांस लें और खुद को याद दिलाएं कि आपको हमेशा नहीं पता होता कि क्या सबसे अच्छा है, और स्वीकार करें कि दूसरे तरीके भी ठीक हो सकते हैं। साथ ही, खुद से मैं अभी ठीक हूँ का मंत्र दोहराकर खुद को शांत करें।
Brain Changes During Pregnancy
Published on:
21 Jun 2025 06:25 pm