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Breast Cancer Risk: मेनोपॉज के बाद वजन बढ़ना सिर्फ मोटापा नहीं, हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर का संकेत- स्टडी

Breast Cancer Risk: एक नई रिसर्च आई है, जिसमें साफ-साफ कहा गया कि पीरियड्स बंद होने के बाद अगर वजन ज्यादा हो जाए तो ब्रेस्ट कैंसर का डर दोगुना हो जाता है।आइए जानते हैं कि रिसर्च क्या कहती है और साथ ही बचाव कैसे किया जा सकता है।

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भारत

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MEGHA ROY

Nov 06, 2025

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Post-menopausal health risks|फोटो सोर्स – Freepik

Breast Cancer Risk: आजकल हर तरफ मोटापे की बातें सुनने को मिलती हैं, न? खासकर मेनोपॉज के बाद तो ये मुसीबत और बढ़ जाती है।हाल ही में एक नई रिसर्च आई है, जिसमें साफ-साफ कहा गया कि पीरियड्स बंद होने के बाद अगर वजन ज्यादा हो जाए तो ब्रेस्ट कैंसर का डर दोगुना हो जाता है।दरअसल, जब उम्र बढ़ती है और ओवरी हार्मोन बनाना बंद कर देती है, तो शरीर एस्ट्रोजन को फैट से निकालने लगता है। जितनी ज्यादा चर्बी, उतना ज्यादा एस्ट्रोजन।और यही अतिरिक्त हार्मोन ब्रेस्ट की कोशिकाओं को बेकाबू कर देता है कभी-कभी कैंसर तक ले जाता है। आइए जानते हैं कि रिसर्च क्या कहती है और साथ ही बचाव कैसे किया जा सकता है।

मोटापा और हार्ट डिजीज का है गहरा रिश्ता

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक हाल की रिपोर्ट के अनुसार, हार्ट डिज़ीज़ और हाई BMI से पीड़ित महिलाओं में मेनोपॉज़ के बाद ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज़्यादा बढ़ जाता है। इस अध्ययन में यूरोप और ब्रिटेन के करीब 1.68 लाख महिलाओं के डेटा की जांच की गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि शुरुआत में इनमें से कोई भी महिलाओं को दिल की बीमारी या डायबिटीज नहीं थी, लेकिन करीब 11 साल के फॉलो-अप के बाद 6,793 महिलाओं को मेनोपॉज के बाद ब्रेस्ट कैंसर का सामना करना पड़ा।रिसर्च के अनुसार, जिन महिलाओं का BMI 25 से अधिक था और जो दिल से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित थीं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 31 प्रतिशत तक बढ़ गया। वहीं, जो महिलाएं दिल की बीमारियों से प्रभावित नहीं थीं, उनमें यह जोखिम 13 प्रतिशत बढ़ा पाया गया

शरीर की चर्बी कैसे बढ़ाती है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा?

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, शरीर में बढ़ी हुई चर्बी ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कई तरह से बढ़ा सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, मेनोपॉज के बाद जब ओवरी एस्ट्रोजन का उत्पादन बंद कर देते हैं, तब शरीर का फैट टिश्यू ही इस हार्मोन का मुख्य स्रोत बन जाता है। ऐसे में अगर शरीर में वसा अधिक है, तो एस्ट्रोजन का स्तर भी बढ़ जाता है। यह बढ़ा हुआ एस्ट्रोजन स्तन कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि को बढ़ावा देता है, जो आगे चलकर ब्रेस्ट कैंसर का रूप ले सकती है।इसके साथ ही, अधिक वजन होने से इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या भी बढ़ती है। जब शरीर इंसुलिन को प्रभावी रूप से उपयोग नहीं कर पाता, तो खून में इसका स्तर बढ़ जाता है, और ऊँचा इंसुलिन लेवल भी कैंसर के खतरे खासतौर पर ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ा पाया गया है।

कैसे कर सकते हैं बचाव?

  • मोटापा तो सारी मुसीबतों का बाप है। BMI को हेल्दी रेंज में रखो, बस। ज्यादा चर्बी मत जमा होने दो।
  • रोज 20-30 मिनट की वॉक, योग या कोई भी एक्सरसाइज। कुल मिलाकर हफ्ते में 150 मिनट। इतना कर लोगी तो शरीर खुश, तुम खुश।
  • ये दोनों हार्मोन को उल्टा-पुल्टा कर देते हैं। जितना दूर रहोगी, उतना अच्छा।
  • सबको ना कह दो। घर का बना, हल्का-फुल्का खाना। वजन अपने आप कंट्रोल में आएगा।