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इन दवाओं के खाने से आ रहे आत्महत्या के ख्याल, WHO की चेतावनी के बाद भारत में हड़कंप!

WHO ने पहली बार मोटापे के लंबे इलाज के लिए GLP-1 इंजेक्शन जैसे Maujarno और Ozempic पर गाइडलाइन जारी की है। जानें क्यों इसे ‘कंडीशनल’ कहा गया, क्या हैं मानसिक स्वास्थ्य, कीमत और सुरक्षा से जुड़े जोखिम।

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भारत

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Dimple Yadav

Dec 03, 2025

WHO obesity guidelines

WHO obesity guidelines (Photo- freepik)

Mental Health Risks: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में GLP-1 दवाओं, जैसे सेमाग्लूटाइड, लिराग्लूटाइड और टिरजेपाटाइड, Mounjaro को मोटापे के लंबे इलाज के लिए एक बड़े ‘ब्रेकथ्रू’ के रूप में मान्यता दी है। लेकिन साथ ही इन दवाओं को केवल सावधानी के साथ अपनाने की सलाह भी दी है, क्योंकि इनके लंबे समय तक असर, कीमत, साइड इफेक्ट्स और हेल्थ सिस्टम की तैयारी पर अभी सीमित डेटा मौजूद है।

ऑस्ट्रेलिया में डिमांड बढ़ी, दिक्कतें भी बढ़ीं

ऑस्ट्रेलिया में इन दवाओं की इतनी तेज डिमांड हुई कि शॉर्टेज तक बन गई। इसी बीच रेगुलेटरी एजेंसियों ने मानसिक स्वास्थ्य और suicidal thoughts से जुड़े संभावित जोखिमों पर चेतावनी जारी की है। भारत में भी Mounjaro की रिकॉर्ड बिक्री देखने को मिली है, जिससे भविष्य में दवाओं की कीमत, उपलब्धता और पब्लिक हेल्थ पॉलिसी पर बड़ी बहस खड़ी हो गई है।

WHO की नई गाइडलाइन में क्या है?

WHO ने GLP-1 दवाओं को वयस्कों में मोटापे के दीर्घकालिक इलाज में उपयोग योग्य माना है। लेकिन गर्भवती महिलाओं को इस इलाज से बाहर रखा गया। इसे ‘कंडीशनल’ मंजूरी दी गई। क्योंकि अभी लंबे समय की सुरक्षा से जुड़ा डेटा कम है। दवाओं की कीमत बहुत अधिक है। हेल्थ सिस्टम इन्हें बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराने के लिए तैयार नहीं।

Mounjaro क्या है?

Mounjaro एक इंजेक्शन है जो प्री-फिल्ड पेन रूप में आता है। इसे सप्ताह में एक बार डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं।टाइप-2 डायबिटीज और वजन प्रबंधन के लिए दिया जाता है। WHO का कहना है कि ये दवाएं अकेले चमत्कारी इलाज नहीं हैं। इनके साथ डाइट, एक्सरसाइज, काउंसिलिंग जैसी इंटेंसिव बिहेवियरल थेरेपी को जोड़ना जरूरी है, ताकि वजन घटने के साथ जीवनशैली भी सुधरे।

मोटापा क्यों बड़ी चिंता है?

दुनिया में 1 अरब से अधिक लोग मोटापे से प्रभावित हैं। 2024 में मोटापे से 37 लाख से ज्यादा मौतें जुड़ी थीं। WHO के अनुसार GLP-1 दवाएं पब्लिक-हेल्थ के लिए अहम टूल साबित हो सकती हैं, लेकिन इन तक सीमित पहुंच से अमीर-गरीब के बीच हेल्थ गैप और बढ़ सकता है।

भारत के लिए चुनौती दोहरी

भारत में शहरी व मध्यम वर्ग में तेजी से मोटापा बढ़ रहा है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ रहा लेकिन महंगी इंजेक्टेबल थेरेपी सीमित है। पब्लिक हेल्थ बजट भारत में इसे आम लोगों तक पहुंचाने में बाधा बनते हैं।

WHO के अनुसार देशों को क्या करना चाहिए?

WHO ने 3-स्टेप पॉलिसी फ्रेमवर्क सुझाया है कि हेल्दी वातावरण बनाना जहां जंक फूड, सिडेंटरी लाइफस्टाइल को पॉलिसी स्तर पर कम किया जाए। हाई-रिस्क लोगों की शुरुआती स्क्रीनिंग की जाएं, ताकि समय रहते इलाज शुरू किया जा सके।
जिन लोगों को मोटापा है, उन्हें दीर्घकालिक पर्सन-सेंट्रिक केयर मिले। यानि लाइफस्टाइल मैनेजमेंट, दवाएं, काउंसिलिंग
सब हमेशा उपलब्ध हो। WHO ने चेतावनी दी कि अगर कीमत, सप्लाई और हेल्थ सिस्टम तैयार नहीं हुए, तो GLP-1 दवाएं सिर्फ अमीर देशों और अमीर वर्गों तक ही सीमित रह जाएंगी।

ऑस्ट्रेलिया का अनुभव बड़ी डिमांड, बड़ी दिक्कतें

ऑस्ट्रेलिया में तेजी से बढ़ी मांग ने Ozempic, Mounjaro और अन्य GLP-1 इंजेक्शनों की सप्लाई चेन को झकझोर दिया। ये दवाएं मूल रूप से डायबिटीज के लिए थीं, लेकिन वजन कम करने के लिए भारी मात्रा में इस्तेमाल होने लगीं, जिससे डिफॉल्ट मरीजों को दिक्कतें हुईं।