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Lockdown sideeffect: 30 प्रतिशत लोगों में हावी होने लगा चिड़चिड़ापन, भविष्य की अनिश्चितता को लेकर 53 प्रतिशत लोग परेशान

लाॅकडाउन फेज वन में लोगों की मानसिक स्थितियों पर सर्वे रिपोर्ट 63 प्रतिशत लोगों ने लाॅकडाउन को माना परिवार के साथ समय व्यतीत करने का अवसर 49 प्रतिशत को घेरने लगा अकेलापन, भविष्य को लेकर भी अवसादग्रस्त हो रहे

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Lockdown Side effect

कोरोना महामारी को रोकने के लिए लाॅकडाउन लोगों की मनःस्थिति को बदल रहा है। लाॅकडाउन वन में ही करीब तीस प्रतिशत लोगों में चिड़चिड़ापन, भविष्य को लेकर अनिश्चितता घेरना शुरू कर दिया है जबकि 53 प्रतिशत भविष्य की परियोजनाओं की अनिश्चितता को लेकर घबराए हुए हैं। 49 प्रतिशत लोगों को अकेलापन सता रहा तो 63 प्रतिशत इस सुकून में हैं कि वह परिवार के साथ वक्त दे पा रहे हैं।

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दरअसल, कोरोना महामारी देश में न फैले इसलिए पूरे देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच लाॅकडाउन के प्रथम फेज की घोषणा की गई थी। इस दौरान जो जहां था वह वहीं अपने घरों में कैद रहा। इस लाॅकडाउन के दौरान मनोविज्ञानियों की एक टीम ने आॅनलाइन सर्वे किया। इस टीम में शामिल प्रो.अनुभूति दुबे, प्रो.धनंजय कुमार, डाॅ.गरिमा सिंह के साथ कई शोधार्थियों ने आॅनलाइन सर्वे का अध्ययन कर नतीजा निकाला। प्रो.अनुभूति दुबे के मुताबिक विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म यथा फेसबुक, मैसेंजर, व्हाट्सअप गु्रप पर प्रश्नावली डाला गया। इसमें चार सौ लोगों ने हिस्सा लिया। इस सर्वे में करीब 220 महिलाओं ने भी हिस्सा लिया। जबकि सर्वे में भाग लेने वालों में 68 प्रतिशत 18 वर्ष से 40 वर्ष की आयुवर्ग से रहे। सर्वे में जिन लोगों ने प्रतिभाग किया है उनमें से 92 प्रतिशत अपने घरों में थे जबकि 8 प्रतिशत घर से दूर किसी दूसरे शहर में।

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सर्वे रिपोर्ट के अध्ययन के अनुसार 30 प्रतिशत लोगों ने माना कि उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ रहा। भविष्य को सोचकर मन दुःखी होने लग रहा। परेशान मन चिड़चिड़ापन बढ़ा रहा। यानी स्वभाव में लगातार बदलाव दिख रहा।
20 प्रतिशत लोग जीवन बाधित होने से भयाक्रांत होना शुरू कर दिए हैं। दस प्रतिशत लोग आने वाले दिनों में अनजान भय से परेशान होकर अवसाद की स्थिति में हैं।
लाॅकडाउन में 53 प्रतिशत लोग इस वजह से परेशान हैं कि जो उनकी भविष्य की परियोजनाएं हैं वह सब अनिश्चित हो चुकी हैं।
49 प्रतिशत लोगों को पहला फेज बीतते बीते अकेलापन घेरने लगा है। जबकि सर्वे का सबसे सुखद पहलू यह है कि 63 प्रतिशत को इस बात का सुकून है कि वह लोग अपने परिवार के साथ समय व्यतीत कर पा रहे हैं।

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हालांकि, भविष्य के प्रति तमाम अनिश्चिताओं के बीच भारतीयों में एक सकारात्मक सोच भी आया है। पचास प्रतिशत ने कहा कि वह अपनी जीवनशैली बदल लिए हैं और 54 प्रतिशत ने कहा कि वह इस तरह की स्थिति में जीने के लिए आदत डालने का प्रयास कर रहे हैं।
लाॅकडाउन के बाद करियर की दृष्टि से कई बदलाव आने वाले हैं। तमाम नौकरियों पर संकट है, कई प्रकार के उद्योग-धंधे भी पटरी पर आने में वक्त लगाएंगे ऐसे में 51 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह भविष्य में कुछ नया करने की प्लानिंग करना शुरू कर दिए हैं।
सर्वे में 50 प्रतिशत ने कहा कि वह शांति महसूस कर रहे हैं तो 15 प्रतिशत ने बताया कि वह खुश हैं। 54 प्रतिशत ने कहा कि वह पाजिटिव महसूस कर रहे और पाजिटिव सोचने की कोशिश में हैं। वह यह मान रहे कि यह समय परिवार के साथ समय बीताने के लिए एक अवसर सरीखा है।

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सर्वे में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में 70 प्रतिशत ने बताया कि वह लाॅकडाउन में काफी समय कोरोना महामारी से संबंधित बातचीत, जानकारी लेने में व्यतीत कर रहे हैं। इसमें ऐसे समाचार को तरजीह दे रहे हैं जो कोरोना महामारी से संबंधित अपडेट हो। यथा, केस, इलाज, व्यवस्था, नए-नए शोध आदि।
प्रो.अनुभूति दुबे ने बताया कि इस सर्वे में यूपी, मध्य प्रदेश, कर्नाटक के बंगलुरू, तमिलनाडु, उत्तराखंड के लोग शामिल होकर प्रश्नावली का जवाब दिए।

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