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लॉकडाउन बना लोगों के जी का जंजाल, ड्राइवर को ट्रक में ही गुजारने पड़े 47 दिन

सुनील कुमार पिछले छह साल से दिल्ली ( Delhi ) की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी ( Transport Company ) में काम कर रहे है। लॉकडाउन में फंसने की वजह से उन्हें अपने ट्रक में ही 40 दिन से ज्यादा का समय बिताना पड़ा।

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Truck Driver

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नई दिल्ली। देशभर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए लंबे समय तक लॉकडाउन ( Lockdown ) चल रहा है। इस वजह से लोगों को कई कठिनाईयों से दो-चार होना पड़ रहा है। ऐसा ही कुछ उत्तराखंड के रहने वाले सुनील कुमार के साथ भी हुआ। जिन्हें लॉकडाउन की वजह से 47 दिनों तक ट्रक में ही रहना पड़ा।

सुनील ( Sunil ) उत्तराखंड के चम्पावत जिले के रहने वाले है और वो पेशे से एक ट्रक चालक ( Truck Driver ) है। वह बीते शनिवार को 47 दिनों के वक़्त के बाद अपने घर पहुंचे, जहां पर प्रशासन ने उन्हें एहतियात के तौर पर 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन में रखा।

सुनील कुमार पिछले छह साल से दिल्ली में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम कर रहे हैं। वह लॉकडाउन में फंस गए थे और इसी वजह से उन्हें राजस्थान सीमा के पास अपने ट्रक में 40 दिन से ज्यादा का समय काटना पड़ा। सुनील ने बताया कि राजस्थान पुलिस ने मुझे आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी और दिल्ली पुलिस ने मुझे वापस जाने की।

ऐसे में मैंने ट्रक में ही रुकने का फैसला किया। हम अपने ट्रक में कुछ दिनों के लिए एक स्टोव और राशन रखते हैं। मैंने ट्रक में खाना ( Food ) पकाया और बाद में पास की एक किराने की दुकान से खाद्य सामग्री खरीदी। हमारे लिए इतने लंबे समय तक इंतजार करना बहुत मुश्किल था।

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सुनील ने कहा कि दिन और रात का अंतर अब और मायने नहीं रखता। कभी-कभी मैं सितारों की गिनती करके अपनी रातें बिताता। मुझे उम्मीद थी कि लॉकडाउन 24 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा और फिर मैं घर या हैदराबाद जा सकूंगा। लेकिन इसे और बढ़ा दिया गया और इसलिए मेरी मुश्किलें बढ़ गईं। '

सुनील कुमार ने कहा कि ट्रक में रहना उनके लिए आसान कतई नहीं थे। इस दौरान उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि वह अपने मोबाइल ( Mobile ) फोन को चार्ज नहीं कर सकते थे और इसलिए अपने परिवार के सदस्यों से बात नहीं कर सकते थे।

किसी तरह मैं ट्रक में ये मुश्किल समय बिताने में कामयाब रहा। यह बहुत कठिन समय था। इस दौरान मैंने अपने परिवार को याद किया, खासकर अपनी गर्भवती पत्नी ( Wife ) को। मैं कई बार ये भी सोचने लगा कि क्या किसी दिन मैं अपने घर पहुंचूंगा भी या नहीं।

आखिरकार जब लॉकडाउन में ढील दी गई और ट्रकों को 3 मई को सप्लाई करने की अनुमति दी गई, तब जाकर हम 5 मई को दिल्ली पहुंचे। जहां मैंने अपना ट्रक अपने परिवहन कार्यालय में छोड़ दिया। मैंने अपनी राज्य सरकार की वेबसाइट पर वापसी के लिए पंजीकरण किया।

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इसके बाद मेरी स्वास्थ्य जांच की गई फिर मैं अपने राज्य के अधिकारियों की मदद से 9 मई की सुबह अपने गृह जिले चंपावत पहुंच गया। मैं बहुत खुश महसूस कर रहा हूं कि मैं आखिरकार घर हूं। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि अब भी कभी-कभी नींद में भी मुझे लगता है कि मैं ट्रक में हूं।