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घर में हुई इस घटना ने बदल दी राजा राम मोहन राय की जिंदगी, समाज सुधारक बनकर कई कुप्रथाओं के खिलाफ उठाई आवाज़

राजा राम मोहन राय एक प्रसिद्ध समाज सुधारक थे। समाज की कई बुरी प्रथाओं के खिलाफ उन्होने आवाज़ उठाई थी। समाज सुधार के लिए कई आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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raja ram mohan roy

आधुनिक भारत के जनक थे राजा राम मोहन राय, मुगल शासक ने दी 'राजा' की उपाधि

नई दिल्ली। महान समाज सुधारक और कई सामाजिक आंदोलन के प्रणेता राजा राम मोहन राय का आज जन्मदिन है। राजा राम मोहन राय का नाम आधुनिक भारत के जनक के तौर लिया जाता है। 22 मई 1772 को बंगाल के एक ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म हुआ था और वे ब्रह्म समाज के संस्थापक थे। आज़ादी से पहले के कई समाज सुधारक आंदोलनों में राजा राम मोहन राय ने बहुत ही सक्रिय भूमिका निभाई थी और सती, बाल विवाह जैसी कई कुप्रथाओं से भारतीय समाज को निजात दिलाई थी।

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राजा मोहन राय ने राष्ट्र और समाज की कुरीतियों को खत्म करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी भी छोड़ दी थी। राजा राम मोहन राय का सारा जीवन मुख्य तौर पर महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए संघर्ष में बीता था। राजा राम मोहन राय ने स्वयं की भाभी को सती होते हुए देखा था जिससे महिलाओं के दर्द का एहसास उन्हे इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए जागरूक करता रहा।

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उन्होने सती प्रथा को खत्म करने के लिए गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बेंटिक की सहायता से इसके खिलाफ कानून भी बनवाया था। राजा राम मोहन राय मूर्ति पूजा के भी विरोधी थे। दिल्ली के तत्कालीन मुगल शासक अकबर द्वितीय ने उन्हे राजा की उपाधि दी थी।

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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अलावा उन्होने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया था और दोनों ही क्षेत्रों को गति प्रदान की थी। ब्रह समाज के आंदोलन की वजह से उन्होने सती प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ आवाज़ उठाई थी।