
spanish flu
महामारी कोरोना वायरस ने फिर से दुनियाभर में हाहाकार मचा दिया है। चीन, अमरीका और जापान सहित कई देशों में हालात बहुत खराब हो चुके है। अस्पताल और मुर्दाघरों जगह नहीं है। कोरोना से पहले भी एक वायरस के कारण करोड़ों लोगों की मौत हुई थी। साल 1918-1920 के बीच पूरी दुनिया में एक फ्लू के कारण हाहाकार मच गया था। इस फ्लू के कारण करीब 10 करोड़ से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस वायरस ने भी दुनियाभर में कोहराम मचा दिया था। हर तरफ लाशे ही लाशे नजर आ रही थी।
इस घातक इस वायरस का नाम था स्पेनिश फ्लू था। इसके कारण अकेले संयुक्त राज्य अमरीका में 6 लाख 75 हजार लोगों को मौत हुई थी। साल 1918 के अक्टूबर महीने में इस स्पेनिश फ़्लू से लगभग 200,000 अमरीकियों को जान गंवानी पड़ी थी। उस दौरान इस फ्लू का इतना ज्यादा खौफ था कि लोगों एक जगह जमा होने पर रोक लगा दिया था। इतना ही नहीं लोगों को जनाजे और मौत का शोक पर भी पाबंधी थी।
स्पेलिश फ्लू के कारण सबसे भयावहता फिलाडेल्फिया में देखी गई थी। जहां महामारी से रोजान हजारों लोगों की मौत हो रही थी। फिलाडेल्फिया के एक शहर के मुर्दाघर में केवल 36 लाशों को रखने की जगह थी लेकिन वहां पर करीब 500 लाशें आ रही थी। ऐसे में मुर्दाघर में काफी भीड़ हो गई थी। इसके लिए प्रशासन ने शहर में अस्थाई मुर्दाघरों का निर्माण किया जिसमें लाशे रखी गई थी। कई लोगों को एक साथ दी दफना गया।
फिलाडेल्फिया और शिकांगो सहित शहरों में सार्वजनिक अंतिम संस्कार पर प्रतिबंध लग गया था। आयोवा में तो सार्वजनिक अंत्येष्टि और यहां तक कि ताबूतों को खोलने पर भी रोक थी। अपवाद के तौर पर सैनिकों की पहचान के लिए उनके दफनाने से पहले उनके परिजनों को ताबूत खोलने की अनुमति थी। लेकिन इसमें भी शर्त थी कि वो केवल कास्केट खोल सकते थे। इस दौरान वो अपने मुंह और नाक को नकाब से ढक लेते थे।
साल 1918 के स्पेनिश फ्लू महामारी को मानव इतिहास की सबसे घातक महामारी माना जाता है। इसकी वजह से दुनिया में करीब 500 मिलियन लोग संक्रमित हो गए थे। बताया जाता है कि उस दौरान विश्व की आबादी का लगभग एक तिहाई थी। साल 1918 में पहली बार यह फ्लू यूरोप में फैला जिसके बाद यह तेजी से संयुक्त राज्य अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों में फैला था। उस समय इस फ्लू का इलाज करने के लिए कोई प्रभावी दवाएं या टीके नहीं थे।
एक रिपोर्ट के अनुसार स्पेनिश फ्लू महामारी के दौरान नागरिकों को मास्क पहनने का आदेश दिया गया था। इस अवधि में स्कूलों, थिएटरों और व्यवसायों को बंद कर दिया गया था। वायरस के घातक वैश्विक मार्च को समाप्त करने से पहले शवों को मशाफ्ट मॉर्गेज में ढेर कर दिया गया था। इस वायरस की वजह से पूरी दुनिया थम सी गई थी।
Published on:
04 Jan 2023 03:17 pm
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