
गजानन गणपति का ध्यान आते ही मन में स्वत: ही ऐसा अनुभव होने लगता है कि समस्त संकटों का नाश होने वाला है। यूं तो भगवान गणेश बड़ी ही आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं परन्तु कुछ मंत्र तथा तंत्र प्रयोग इस प्रकार के हैं कि बड़े चमत्कारी होते हैं और चुटकी बजाते अपना असर दिखाने लगते हैं। ऐसा ही एक मंत्र गणपति गायत्री मंत्र जिसे बहुत ही बड़े संकट के समय प्रयोग किया जाता है।
क्या है गणेश गायत्री मंत्र
यह वास्तव में गायत्री मंत्र में ही गणेश जी के मंत्रों को जोड़कर बना हुआ है। आम तौर पर इसका प्रयोग किसी बड़े अनुष्ठान के समय ही किया जाता है अथवा तांत्रिक बड़ी विलक्षण सिद्धियां पाने की इच्छा से इस मंत्र का प्रयोग करते हैं। मंत्र का प्रयोग बहुत ही साधारण है परन्तु इसके करने में कुछ बातों का ध्यान रखना होता है जिनके बिना लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है। गणेश गायत्री मंत्र इस प्रकार है
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
सुबह सूर्योदय से पूर्व जाग कर स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त हो कर नए स्वच्छ वस्त्र पहनें। वस्त्र पीले या गेरुएं रंग के होने चाहिए। इसके बाद घर के पूजा कक्ष अथवा किसी मंदिर में एक आसन पर बैठ कर गणेश जी का आह्वान करें। उनकी पूजा करें तथा सिंदूर, दर्वा, गंध, अक्षत (चावल), सुगंधित फूल, जनेऊ, सुपारी, पान, फल, प्रसाद आदि अर्पित करें। इसके बाद उपरोक्त गणेश गायत्री मंत्र का 21 बार जप करें। कुछ ही दिनों में आपको इसका असर दिखाई देगा और आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
ध्यान रखें ये सावधानियां
इस मंत्र के प्रयोग में ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है। साथ ही मांस, मदिरा, अंडे, नशा आदि से पूरी तरह से दूर रहना होगा, अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है। साथ ही इस मंत्र के प्रयोग से कोई भी बुरी इच्छा पूरी नहीं की जा सकती वरन स्वयं पर कोई बहुत बड़ा संकट आ गया हो तो उसे टालने के लिए ही इस प्रयोग का सहारा लिया जा सकता है। बुरी इच्छा मन में लेकर मंत्र प्रयोग करने पर उसके दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं।
Published on:
15 Dec 2020 06:45 pm
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