
sachi ramleela
पूरे देश में दशहरे के पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कई जगहों पर रामलीला का कुछ ना कुछ विशेष महत्व या इतिहास है। रामलीला के अंतिम दिन भगवान राम के हाथ रावण का वध किया जाता है। यह परपंरा सालों से चली आ रही है। देश में कुछ जगह ऐसी भी जहां पर दशानंद की पूजा करते है। इसी कड़ी में आज आपको पीलीभीत के बीसलपुर इलाके की ऐतिहासिक रामलीला के बारें में बता रहे है जों दुनिया में काफी मशहूर है। यहां पर कोई भी रावण का किरदार नहीं निभाना चाहता है। क्योंकि रामलील में रावण की भूमिका निभाने वाले तीन पात्रों की दशहरा के दिन रावण वध के दौरान मौत हो चुकी है। इसके बाद से यहां की रामलीला एतिहासिक हो गई है। लोग इस सच्ची रामलीला कहते हैं। अगर दशहरे के अगले दिन शनिवार पड़ता है तो उस दिन भी रावण वध नहीं होता है। ऐसे में रावण का वध एक और दिन के लिए टाल दिया जाता है। इसके पीछे एक वजह भी है।
यूपी के बीसलपुर की सच्ची रामलीला में दशहरे के दिन रावण वध नहीं किया जाता है। यहां रामलीला के कार्यक्रम के दौरान रावण का किरदार निभाने वाले गंगा विष्णु उर्फ कल्लू मल, अक्षय कुमार और गणेश कुमार की मौत राम और रावण के युद्ध के दौरान हो चुकी है। इसके बाद से यहां रावण का वध विजय दशमी के दिन नहीं किया जाता। इस रामलीला की एक और खास बात यह है कि यहां रामलीला मंच पर नहीं, बल्कि खुले मैदान में की जाती है।
बीसलपुर के रहने वाले गंगा उर्फ कल्लू मल ने साल 1941 में पहली बार रामलीला में रावण की भूमिका निभाई थी। रामलीला के मंचन के समय रावण वध के दौरान राम का तीर लगने से कल्लू मल की मौत हो गई थी। इस रामलीला के दौरान इत्तेफाक से ऐसी तीन घटना घट चुकी है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि तीनों बार ही राम—रावण युद्ध के दौरान रावण का किरदार निभा रहे लोगों की जान गई। कल्लू मल की मौत के बाद से रामलीला ग्राउंड में ही दशानन की एक बड़ी मूर्ति लगा दी गई है। इस पर लिखा गया कि राम के तीर से कल्लू मल बने रावण को मोक्ष प्राप्त हुआ है।
बताया जाता है कि कल्लू मल की मृत्यु के बाद इसी ग्राउंड पर उसका अंतिम संस्कार किया गया था। स्थानीय लोगों के अनुसार उसके अंतिम संस्कार में भारी भीड़ जमा हुई थी। उनकी चिता जलाने के बाद कल्लू मल की अस्थियां और राख लोग उठाकर भाग गए थे। आपको यह जानकर हैरानी हो कि परिवार जनों को तो कल्लू मल की अस्थियां, राख तक नहीं मिल पाई थी।
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कल्लू मल की मौत को इत्तेफाक मान सकते है। 46 साल बाद 1987 में दशहरे के दिन रावण वध लीला का मंचन हो रहा था। मैदान में बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद थे। डीएम और एसपी सहित कई अधिकारी भी वहां मौजूद थे। लीला मंचन के दौरान रावण वध के लिए भगवान राम का किरदार निभा रहे पात्र ने रावण का किरदार निभा रहे विष्णु पर बाण चलाया। तीर लगते ही गंगा विष्णु जमीन पर गिर पड़े। काफी देर तक लोग यही समझते रहे कि विष्णु अभिनय कर रहा है। जब काफी देर तक वह नहीं उठा तो उसे डॉक्टर को दिखाया गया। डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। तब से ही यह रामलीला सच्ची लीला के नाम से मशहूर हो गई।
अब यहां लोग रावण की पूजा करते हैं। यहां जो भी काम होता, वह लंकेश के नाम से शुरू करते है। रावण के परिवार के लोग उन्हीं के नाम से अपने सारे संस्थान चलाते हैं। रावण के नाम से यहां एक मंदिर भी है। उनके परिवार के लोग आज भी जय राम नहीं, जय रावण बोलते हैं। यह रामलीला काफी प्रसिद्ध है और दूर-दूर से लोग यहां रामलीला देखने आते हैं।
Published on:
05 Oct 2022 02:57 pm
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