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कोरोना का तोड़ ढूंढने में लगे चीन को नहीं मिल पा रहे ट्रायल के लिए मरीज, जानें क्यों

चीन ( China ) में कोरोना ( Coronavirus ) की दवा बनाने के लिए चल रहे कई क्लिनिकल ट्रायल ( Clinical Trial ) को रोकना पड़ गया।

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Clinical Trial

Clinical Trial

नई दिल्ली। कोरोना वायरस का इलाज खोजने के लिए पूरी दुनिया में कई शोध किए जा रहे हैं। चीन ( China ) कोरोना वायरस ( coronavirus ) की दवा की खोजने में लगा हुआ है। लेकिन चीन की इस कोशिश के आड़े एक मुश्किल ये आ रही है कि दवा के क्लिनिकल ट्रायल के लिए कोरोना के मरीज नहीं मिल रहे हैं।

चीन ( China ) में कोरोना वायरस के संक्रमण पर काबू पा लिया गया है। इसके बाद चीन में कोरोना के मरीज मिलने मुश्किल हो गए हैं। चीन के एक विशेषज्ञ डॉक्टर ने बताया है कि ट्रायल के लिए मरीज नहीं मिलने की वजह से कई स्टडीज़ को रोकना पड़ा है।

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चीन के पब्लिक रिकॉर्ड के मुताबिक मध्य अप्रैल से अब तक करीब 45 ट्रायल को इसलिए बंद करना पड़ा क्योंकि ट्रायल के लिए कोरोना के मरीज ही नहीं मिल सकें। चीन ने बहुत जल्दी संक्रमण पर काबू पा लिया। इसलिए अब यहां बड़े पैमाने पर क्लिनिकल ट्रायल की संभावना खत्म हो गई है।

दिसंबर में वुहान में वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बाद संक्रमण के कुल 82,367 मामले सामने आए हैं। गुरुवार को वायरस संक्रमण के 26 मामले सामने आए, इसमें 15 मामले विदेशों से आने वाले लोगों के थे। चीन में फिलहाल 1,081 लोगों का इलाज चल रहा है।

हालांकि चीन ने संक्रमण के शुरुआती दिनों में कुछ दवाओं के क्लिनिकल ट्रायल किए हैं। इसमें एक एंटी वायरल मेडिकेशन रेमिडिसिवीर शामिल है। इस अमेरिकी दवा का इस्तेमाल इबोला के संक्रमण में भी हुआ था। दवा बनाने वाली कंपनी गिलियड ने कहा कि चीन में ट्रायल के लिए मरीज नहीं मिल रहे हैं।

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अब इसके 5 दूसरे ट्रायल अमेरिका और यूरोप में हो रहे हैं। अमेरिका और यूरोप में वायरस संक्रमण अब भी तेजी से फैल रहा है। द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में गंभीर लक्षण वाले 68 फीसदी मामलों में दवा ने असर किया जिनमें करीब 53 मरीजों पर इसका सकारात्मक असर देखा गया है।