एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसकी यही खासियत इसे दुनिया के तीन सबसे बड़े मोतियों में से एक बनाती है। इस मोती को एक जापानी कारोबारी ने गुरुवार को 320,000 यूरो में खरीदा। वर्ष 1765 के दौरान यूनाइटेड ईस्ट इंडीज कंपनी का एक डच व्यापारी इस मोती को जहाज के जरिये बताविया (अब के जकार्ता) से लाया था और तब से यह कंपनी के अकाउंटेंट हेंड्रिक कोएनराड सैंडर के पास था। नीलामी घर ने बताया कि सैंडर्स के गुजर जाने के बाद वर्ष 1778 में इसकी नीलामी एम्सटर्डम में हुई और फिर रूस की साम्राज्ञी ‘कैथरीन द ग्रेट’ ने इसे हासिल किया। प्राकृतिक मोती अब पहले जैसे नहीं रहे हैं। अधिकतर मोतियों की अब खेती की जाती है। प्राकृतिक मोती अब बहुत ही रेयर पाए जाते हैं। इनके बनने में सालों का समय लगता है। एक प्राकृतिक मोती का जन्म तब होता है, जब बाहरी उत्तेजक सीपी की मसल में स्वाभाविक रूप से फंस जाते हैं। ऐतिहासिक रूप में एक बहुत बड़ी मात्रा में प्राकृतिक मोती फारस की खाड़ी में पाए जाते थे। यह प्राकृतिक मोती आमतौर पर विकृत आकर के होते हैं।