इस संबंध में चिड़ियाघर प्रभारी उत्तम यादव का कहना है कि जेब्रा की इस जोड़ी के लाने के लिए चिड़ियाघर प्रशासन को कोई अतिरिक्त खर्चा वहन नहीं करना पड़ा है। एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जामनगर से इस जोड़ी को पहली बार मध्य प्रदेश के किसी चिड़ियाघर में लाया गया है। इसके बदले में जामनगर चिड़ियाघर को व्हाइट टाइगर दिया गया है।
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जोड़े के लिए बनाया गया है विशेष बाड़ा
जेब्रा को एक विशेष वातावरण में रहने की आदत होती है, जिसके चलते इंदौर चिड़ियाघर में पहले से ही अलग बाड़ा तैयार किया गया है। यह बाड़ा उसी अनुरूप बनाया गया है, जहां अभी तक ये जेब्रा रहा करते थे। यानी वाहन में लोड होकर आने के अलावा जेब्रा को ये मेहसूस नहीं होगा कि वो किसी और स्थान पर आ गए हैं। इसी के साथ चिड़ियाघर के कर्मचारियों को जेब्रा का विशेष ध्यान रखने के निर्देश भी दिए गए हैं।
एमपी का पहला शहर बना इंदौर
प्रदेशवासियों को जानकर खुशी होगी इंदौर में स्थित मध्य प्रदेश का पहला ऐसा चिड़ियाघर है, जहां पर अफ्रीकन जेब्रा को लाया गया है। इसके अलावा देशभर की बात करें तो सिर्फ दो-तीन चिड़ियाघरों में ही ये जानवर मौजूद है। यही कारण है कि चिड़ियाघर में जेब्रा देखने के लिए शहरवासियों में खासा उत्सुक्ता नजर आ रही है।
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इंदौर चिड़ियाघर में 1300 से ज्यादा वन्यप्राणी
52 एकड़ में फैले इंदौर के चिड़ियाघर में 1300 से ज्यादा वन्यप्राणी मौजूद हैं। इनमें 9 शेर, 11 बाघ और 4 तेंदुए मौजूद हैं। इन्ही में 10 शावकों ने बीते 11 महीनों के भीतर जन्म लिया है। इसके अलावा हिरण और सियार की संख्या भी यहां 50 से ज्यादा है। यहां स्नेक और बर्ड हाउस भी बना हुआ है जो ठंड के मौसम में यहां आने वालों को खासा आकर्षित करता है। ऐसे में अगर आप अपना वीकेंड यहां प्लान करते हैं तो ये आपके लिए एक बढ़िया ऑप्शन हो सकता है।