
शिक्षण संस्थानों में काबिल टीचर ले आओ तो अंग्रेजी में सभी हो जाएंगे परफेक्ट
इंदौर . उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी के शिक्षा जगत से जुड़े गरिमापूर्ण कार्यक्रम में आई एम नॉट कम्प्लीट इन इंग्लिश वाक्य दिनभर गुरुवार को प्रदेश में चर्चा का विषय बना रहा। लोगों का कहना था, जिस प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री के ये हाल हैं तो यहां के युवाओं का क्या भविष्य होगा? पत्रिका ने इस मुद्दे को लेकर शिक्षा जगत के विशेषज्ञों से चर्चा की और जाना कि क्या कारण है कि अच्छे और बड़े शैक्षणिक संस्थानों में पढऩे के बावजूद प्रदेश के लोग इंग्लिश बोलने में सहज क्यों नहीं होते? इन बिंदुओं पर चर्चा के बाद जो कारण सामने आए, उनमें बड़ी वजह प्रदेश में काबिल शिक्षकों की कमी है।
कम्यूनिकेशन बड़ी कमजोरी
प्लेसमेंट एक्सपर्ट अतुल एन. भरत बताते हैं, इंदौर में आईआईएम और आईआईटी जैसे राष्ट्रीय संस्थानों के साथ कई अच्छे संस्थान हैं। आमतौर पर इंग्लिश सिर्फ विषय के रूप में पढ़ाई जाती है। ये इंग्लिश उन्हें ट्रांसलेटर बना देती है। प्लेसमेंट के लिए आने वाली कंपनियां भी इंग्लिश और कम्युनिकेशन स्किल को बड़ी कमजोरी बताती हैं। हिंदी प्रदेशों में सबसे कमजोर इंग्लिश हमारे यहां के छात्रों की है। इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के टॉपर भी पसंदीदा पोजीशन नहीं पाते हैं।
रचनात्मक शिक्षा की है कमी
इंग्लिश टीचर सपना मिश्रा का कहना है, स्कूल की शुरुआत से ही इंग्लिश सीखाई जाने लगी है। इसके बावजूद बड़ी कक्षाओं में ध्यान नहीं दिया जाता। लिहाजा बच्चे इंग्लिश में पिछड़ते जाते हैं और बाद में यही उनके कॅरियर में रोड़ा बनती है। सबसे बड़ा कारण इंग्लिश पढ़ाने वाले अच्छे टीचर भी कम हैं। वे एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग नहीं जानते। ग्रामर सिखाने के बाद समझा जाता है कि काम पूरा हो गया। एक धारण यह है कि हम इंग्लिश को विदेशी भाषा ही मानते हैं।
बेहतर शिक्षक ही मौजूद नहीं
कम्युनिकेशन स्किल एक्सपर्ट डॉ.अवनीश व्यास का कहना है, इंग्लिश पर पकड़ के साथ आत्मविश्वास जरूरी है। ग्रामर और शब्दों की समझ से ही इंग्लिश बोलना नहीं आ सकती। स्कूल और कॉलेजों में इंग्लिश पढ़ाने वाले अच्छे टीचर ही नहीं हैं। लंबे समय से इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। स्कूल और कॉलेज के छात्र आत्मविश्वास के साथ फर्राटेदार इंग्लिश बोले इसके लिए अच्छे टीचरों की कमी दूर करना जरूरी है। टीचरों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम लाना चाहिए।
टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम होना चाहिए
पीएचडी गाइड व इंग्लिश एक्सपर्ट डॉ.राजू जॉन का कहना है, काबिल टीचर की कमी का मतलब यह नहीं कि टीचर अच्छा नहीं पढ़ा सकते। पहले पांचवीं कक्षा तक इंग्लिश नहीं पढ़ाई जाती थी। कई टीचर ऐसे स्कूलों में पढ़े और अपने दम पर स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। इस बीच इंग्लिश वक्त की जरूरत बन गई। मौजूदा टीचर को ही काबिल बनाने के लिए ट्रेनिंग जरूरी है। ये ट्रेनिंग सामूहिक रूप से क्लास रूम में या फिर ई-एप्लीकेशन के जरिए दी जा सकती है।
Published on:
18 Jul 2019 04:04 pm
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