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स्वैच्छिक लॉकडाउन से कारोबारी नाराज, कहा- नेता बिना मास्क लगाए हजारों लोगों की सभा कर रहे हैं, हम क्यों बंद रखें

स्वैच्छिक लॉकडाउन को लेकर एसोसिएशन के फैसले पर तकरार।

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स्वैच्छिक लॉकडाउन से कारोबारी नाराज, कहा- नेता बिना मास्क लगाए हजारों लोगों की सभा कर रहे हैं, हम क्यों बंद रखें

इंदौर। मध्य प्रदेश में कोरोना की रफ्तार लगातार बढ़ती जा रही है। संक्रमण को लेकर सबसे खराब हालात आर्थिक राजधानी इंदौर के हैं। हालांकि, आर्थिक मंदी का हवाला देते हुए प्रदेश सरकार पहले ही ये साफ कर चुकी है कि, प्रदेश में अभी कहीं भी लॉकडाउन नहीं लगाया जाएगा। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रदेश के अलग अलग जिलों के व्यापारी स्वैच्छिक लॉकडाउन कर अपने कारोबार तय अवधि के लिए बंद कर रहे हैं। ऐसे ही स्वैचिछिक लॉकडाउन का ऐलान इंदौर के 47 व्यापारिक संगठनों द्वारा भी किया गया था, जिसके तहत संगठनों द्वारा सप्ताह के हर शनिवार-रविवार को स्वैच्छिक लॉकडाउन की घोषणा की थी। लेकिन अब इन संगठनों से जुड़े कारोबारी ही इस लॉकडाउन को मानने के पक्ष में नहीं हैं।

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एसोसिएशन के फैसले से असहमत कारोबारी

47 व्यापारिक संगठनों द्वारा शहर में लगातार बढ़ रहे संक्रमण की रफ्तार को काबू करने के लिए शनिवार और रविवार को सेवैच्छिक लॉकडाउन करने का फैसला लिया था। इन संगठनों का मानना है कि, अगर इन दिनों में बाजार बंद रहेंगे तो लोग घरों से भी नहीं निकलेंगे, जिससे संक्रमण के चैन तोड़ने में मदद मिलेगी। लेकिन संगठनों के इस फैसले से खुद कारोबारी ही सहमत नज़र नहीं आ रहे हैं। इसी वजह से फैसला लिये जाने के बावजूद शनिवार को शहर के कई बाजार आम दिनों की तरह ही खुले रहे। यही नहीं सोशल मीडिया पर कारोबारियों द्वारा एसोसिएशनों के खिलाफ कई तरह के संदेश भी वायरल हो रहे हैं।

राजनेता क्यों नहीं सोच रहे ये बात?

कारोबारियों का मानना है कि, कोरोना संकट जहां लोगों के स्वास्थ के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है। वहीं, इसके कारण कई व्यापार ठप्प होने की कगार पर आ पहुंचे हैं। लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। इसी के मद्देनजर केंद्र या राज्य शासन की ओर से बंद के कोई आदेश नहीं आ रहे हैं। तो फिर हम क्यों अपने कारोबार बंद रखें? कई कारोबारियों का आरोप है कि, प्रदेश में उपचुनाव की तैयारियां भी जोरों पर हैं, जिसके तहत कई राजनेता बिना मास्क लगाए हजारों लोगों को इकट्ठा कर जन सभाएं करने में जुटे हैं। आमजन को इस महामारी से बचाने की सबसे अधिक फिक्र तो इन्हें होनी चाहिए, फिर सिर्फ हम से ही क्यों अपने कारोबार बंद करने को कहा जा रहा है।

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'एसोसिएशन अपनी मर्जी से पहुंची कलेक्टर के पास, हमें पता ही नहीं'

कारोबारियों का आरोप है कि, एसोसिएशन अपनी मर्जी से ही खुद कलेक्टर से बात करने पहुंच गई और स्वैच्छिक लॉकडाउन का फैसला कर लिया। एसोसिएशन द्वारा कारोबारियों से इस संबंध में कोई बातचीत या मशवरा नहीं किया। कारोबारियों का कहना है कि, लॉकडाउन के कारण वैसे भी पिछले कई बड़े त्योहारों का नुकसान हम ही ने सबसे अधिक उठाया है और अब जब फिर से त्यौहार सर पर हैं, तो हमसे फिर अपने कारोबार बंद रखने की बात कही जा रही है।


कारोबारियों ने बयां किया दर्द

बता दें कि, कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए सरकार द्वारा घोषित किये लॉकडाउन के चलते बंद हुए बाजार से कई कारोबारी कर्ज के तले दब गए हैं अब बाजार खुल भी गए हैं, तो कारोबार में कोई खास गति नहीं बची है। कई कारोबारी पिछले कर्ज ही नहीं चुका पा रहे हैं। ऐसे में कोन अपनी खुशी से बाजार बंद करना चाहेगा।

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संगठनों द्वारा की गई बंद की अपील

वहीं, अहिल्या चैंबर के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल के मुताबिक, हम कारोबारियों से लगातार अपील कर रहे हैं। प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि वह इस संबंध में कोई औपचारिक आदेश जारी करें। उधर, मालवा चैंबर द्वारा भी लगाता व्यापारियों से स्वैच्छिक लॉकडाउन की अपील कर रहे हैं।