24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Fake Remdesivir: सामने आई सच्चाई: नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से हुई दो मौतें

fake remedesvir: पुलिस ने गैर इरादतन हत्या की धारा भी बढ़ाई, अस्पतालों से मांगी, बैच नंबर के आधार पर लोगों को किया सतर्क

3 min read
Google source verification

इंदौर

image

Manish Geete

May 11, 2021

remdesivir.png

इंदौर। कालाबाजारी करने वालों ने हदे ही बार कर दी है, अब नकली इंजेक्शन बेच कर कमा रहे हैं पैसा।

इंदौर. गुजरात की फैक्टरी से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाकर बेचने वाले मास्टरमाइंड सुनील मिश्रा की कॉल डिटेल से अहम जानकारी सामने आई। पुलिस ने कॉल डिटेल में मिले नंबरों पर बात की तो पता चला कि आरोपी से लिए नकली इंजेक्शन के कारण दो लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस के कॉल के बाद इंजेक्शन खरीदने वालों को उसके नकली होने का पता चला। पुलिस ने केस में गैर इरादतन हत्या की धारा बढ़ा दी है।

यह भी पढ़ेंः ग्लूकोज और नमक मिलाकर नकली कंपनी बना रही थी रेमडेसिविर, MP के इन शहरों समेत देशभर में बेच डाले 1 लाख से ज्यादा इंजेक्शन

गुजरात की कंपनी में तैयार हुए नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के मामले में मास्टरमांइड सुनील मिश्रा निवासी रीवा को गुजरात में गिरफ्तार किया गया। पुलिस आरोपी को लेकर यहां आई तो पता चला कि वह सैकड़ों की संख्या में नकली इंजेक्शन बेच चुका है। विजयनगर पुलिस ने पहले कुछ आरोपियों को पकड़ा तो सुनील मिश्रा द्वारा इंजेक्शन उपलब्ध कराने की जानकारी मिली और फिर गुजरात में फैक्टरी पकड़ी जा सकी।

30 हजार में खरीदे 6 इंजेक्शन लेकिन भाई नहीं बचा

विजयनगर पुलिस ने सुनील मिश्रा के मोबाइल की कॉल डिटेल निकाली, उससे पता चला कि अप्रेल में उसकी 70 नंबरों पर उसकी लगातार बात हुई। पुलिस इन नंबरों पर संपर्क कर सुनील मिश्रा की जानकारी ले रही है। पुलिस ने खजराना इलाके के युवक से बात की तो उसने बताया, 26 अप्रेल को सुनील से 6 रेमडेसिविर इंजेक्शन 30 हजार रुपए में खरीदे थे। फेसबुक के जरिए सुनील से संपर्क हुआ था। यह इंजेक्शन कोरोना संक्रमित उसके भाई को लगे। युवक ने बताया, इंजेक्शन लगने के बाद भी भाई की स्थिति बिगड़ी और शुक्रवार को उसकी मौत हो गई। पुलिस ने जब बताया कि सुनील ने नकली इंजेक्शन दिए तो वे ज्यादा परेशान हो गए। युवक ने बताया, सुनील जब इंजेक्शन देने आया तो मॉस्क व टोपी लगाए था इसलिए चेहरा नहीं देख पाया।

यह भी पढ़ेंः नकली रेमडेसिविर ले सकता है आपकी जान, ब्लैक में हो रही है सप्लाई

39 हजार खर्च करने के बाद भी मामा को खोया

वहीं, दूसरा मामला राऊ इलाके का है। यहां के युवक ने अपने मामा के इलाज के लिए 25 अप्रेल को सुनील से 6 इंजेक्शन खरीदे। इसके लिए 39 हजार रुपए दिए। दो दिन पहले मामा की कोरोना के चलते मौत हो गई। उसे भी जानकारी नहीं थी कि इंजेक्शन नकली थे। पुलिस ने उससे शिकायत करने के लिए कहा तो युवक बोला, जब मामा ही नहीं रहे तो अब शिकायत क्या करूं?

धारा बढ़ा दी है, अन्य मामलों की कर रहे जांच

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या की धारा बढ़ाई दी है। जांच कर रहे हैं कि इसके इस्तेमाल से किसी की मौत तो नहीं हुई? रेमडेसिविर की कालाबाजारी में पकड़ाए आरोपियों की संपत्ति की जानकारी के लिए नगर निगम का पत्र लिखा है।

-आशुतोष बागरी, एसपी (पूर्व)

सिटी अस्पताल डायरेक्टर सरबजीत सिंह मोखा लगाते थे नकली रेमडेसिविर, तीन पर एफआइआर दर्ज

इस तरह आता इंजेक्शन

पुलिस ने धीरज साजनानी, दिनेश चौधरी, सिद्धार्थ उर्फ प्रवीण, असीम भाले को गिरफ्तार किया है। असीम अभी रिमांड पर है। वह सुनील मिश्रा से ये इंजेक्शन खरीदता रहा। मिश्रा इन्हें सूरत की फैक्टरी से लाकर बेचता। सूरत में कौशल बोहरा व पुनीत शाह इस फैक्ट्री को संचालित कर रहे थे। गुजरात पुलिस ने इन्हें पकड़ा। सुनील ने इंदौर में करीब 700 व देवास में 200, जबलपुर में 100 इंजेक्शन बेचे हैं। पुलिस ने इस मामले में सुनील, पुनीत व कौशल को भी आरोपी बनाया है। गुजरात से आरोपियों को रिमांड पर लाकर पूछताछ की जाएगी। पुलिस मामले में नकली दवाई का उत्पादन करने की धारा भी बढ़ाएगी।

यह भी पढ़ेंः Fraud: किसानों से एक करोड़ की फसल लेकर व्यापारी और दो बेटे फरार

इंजेक्शन कितने घातक, कंपनी व लैब से लेंगे जानकारी

सभी नकली इंजेक्शन में बैच नंबर 246039-ए का इस्तेमाल किया गया। इंदौर में बेचे गए 700 इंजेक्शन में से अभी 14 ही जब्त हुए है। आरोपियों ने जिन अस्पताल के मरीजों के परिजन को इंजेक्शन बेचने की जानकारी बताई है उन्हें पत्र लिखकर पुलिस ने पूछा है कि इनका इस्तेमाल हो चुका है या अभी उनके पास है? अगर इस बैच नंबर के इंजेक्शन उनके पास किसी परिजन ने दिए हैं तो उनका इस्तेमाल नहीं करें। सभी इंजेक्शन पर मॉयलान कंपनी का नाम है। उन्हें भी पत्र लिखकर पूछा है कि इस बैच नंबर का इस्तेमाल उन्होंने कभी किया है। इन इंजेक्शन को पुलिस फॉरेंसिक लैब भेजकर पता करेगी कि उसमें क्या भरा है, इस्तेमाल कितना घातक है?

यह भी पढ़ेंः कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी : वार्ड, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर काम करेंगे क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप