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‘डिग्री’ और ‘मार्कशीट’ के लिए नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर, नई व्यवस्था शुरु

MP News: पहले चरण में करीब 8 लाख विद्यार्थियों का शैक्षणिक डेटा डिजिटलीकृत किया जा रहा है....

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फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय अब पुराने ढर्रे से बाहर निकलकर पूरी तरह डिजिटल युग में कदम रख रहा है। विवि ने अपने 50 साल पुराने रिकॉर्ड को डिजिटल फॉर्मेट में बदलने का अभियान शुरू किया है। यानी 1970 से लेकर 2020 तक पासआउट लाखों विद्यार्थियों की डिग्रियां और मार्कशीट अब धूल खाती अलमारियों में नहीं, बल्कि एक क्लिक पर उपलब्ध होंगी।

पहले चरण में करीब 8 लाख विद्यार्थी

इस परियोजना के पहले चरण में करीब 8 लाख विद्यार्थियों का शैक्षणिक डेटा डिजिटलीकृत किया जा रहा है। इसके लिए विवि ने आइटी कंपनी को काम सौंपा है। खास बात यह है कि संवेदनशील और गोपनीय रिकॉर्ड को बाहर न भेजकर कंपनी ने विवि के नालंदा परिसर में ही अस्थायी दफ्तर बना लिया है।

80 हजार का डेटा पहले ही ऑनलाइन

राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विवि को रिकॉर्ड डिजिटल करने के निर्देश दिए थे। डीएवीवी ने पिछले साल यूजी अंतिम वर्ष के करीब 80 हजार विद्यार्थियों का डेटा ऑनलाइन किया।

डिजिटलीकरण पूरा होने के बाद विद्यार्थियों को उनकी डिग्री और मार्कशीट डिजीलॉकर से तत्काल उपलब्ध होगी। काम के लिए आइटी कंपनी को दो साल का समय दिया है। डीएवीवी के पास 50 साल का डिजिटल डेटा बैंक होगा। - डॉ. प्रज्वल खरे, कुलसचिव, डीएवीवी

सीधे डिजीलॉकर से जुड़ेंगे दस्तावेज

डिजिटलाइजेशन का सबसे बड़ा लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा। अब उनकी अंकसूचियां और डिग्रियां डिजीलॉकर से लिंक होंगी। इसका फायदा होगा कि किसी भी सरकारी नौकरी, उच्च शिक्षा संस्थान या विदेश में एडमिशन के लिए विद्यार्थियों को तुरंत प्रमाणपत्र मिल सकेगा। बीए, बीकॉम, बीएससी, एमए, एमकॉम, एमएससी सहित सभी प्रमुख कोर्स का डेटा इसमें शामिल होगा।