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फिल्म शोले के 50 साल: असल में एमपी के इस शहर में रहते थे हरिराम नाई और जय-वीरू

Film Sholay: फिल्म शोले को 20 साल पूरे हो गए, आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके मुख्य कैरेक्टर जय और वीरू असल में फिल्म के लेखक सलीम खान के बचपन के दोस्त थे, वहीं हरिराम नाई का भी है एमपी से कनेक्शन...

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Film Sholay Completed fifty years

Film Sholay Completed fifty years(photo:FB Video)

Film Sholay: हिंदी सिनेमा की ऐतिहासिक फिल्म शोले को 50 वर्ष पूरे होने पर देशभर के कई सिनेमाघरों में 'शोले रिटर्न' के रूप में एक बार फिर बड़े पर्दे पर प्रदर्शित किया गया। इस फिल्म ने इंदौर से जुड़ी कई भूली-बिसरी यादों को भी ताज़ा कर दिया। शोले का एक चर्चित पहलू यह है कि इसके कई किरदारों के नाम इंदौर के असली लोगों से जुड़े हुए हैं।

इंदौर के एक सैलून संचालक का नाम था हरिराम

इन्हीं में से एक किरदार है हरिराम। इनका नाम फिल्म लेखक सलीम खान ने इंदौर के एक सैलून संचालक के नाम पर रखा था।

नाम पर बनी सहमति

शूटिंग के दौरान सलीम खान ने हरिराम को मुंबई आकर फिल्म में एक छोटा किरदार निभाने का प्रस्ताव भी दिया था, लेकिन दुकान की व्यस्तता के कारण हरिराम ने मुंबई जाने से इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने अपने नाम को फिल्म के किरदार के रूप में इस्तेमाल करने की सहमति दे दी।

अभिनेता केस्टो मुखर्जी ने निभाया था हरिराम का किरदार

इसके बाद अभिनेता केस्टो मुखर्जी द्वारा निभाए गए उस किरदार का नाम हरिराम रखा गया, जो फिल्म में जेल में कैदियों और अधिकारियों की शेविंग करता और सूचनाएं इधर-उधर पहुंचाने वाला पात्र था।

जय-वीरू थे फिल्म लेखक सलीम खान के स्कूली दोस्त

केवल यही नहीं, फिल्म के नायक जय और वीरू के नाम भी सलीम खान के स्कूल के दोस्त जय सिंह और वीरेंद्र बायस के नाम पर रखे गए थे।

तीसरी पीढ़ी संभाल रही विरासत

इंदौर के ये हरिराम अब इस दुनिया में नहीं हैं। पलासिया में जिस गुमटी में वे सैलून चलाते थे, वह जर्जर होने के कारण नगर निगम द्वारा हटा दी गई थी, जिसके बाद उन्हें अन्य स्थान पर जगह दी गई। फिलहाल हरिराम के बेटे नेमीचंद आमेरिया और पोते प्रदीप इंदौर के पलासिया और महालक्ष्मी नगर क्षेत्र में हेयर कटिंग सैलून का संचालन कर रहे हैं। प्रदीप बताते हैं, सलीम खान कई बार इंदौर आए और दादा से मुलाकात कर शोले से जुड़ी पुरानी यादें साझा कीं।

सैलून में बैठकर लिखी थी पटकथा

फिल्म शोले की पटकथा सलीम खान-जावेद अख्तर की मशहूर जोड़ी ने लिखी थी। सलीम खान मूल रूप से इंदौर के निवासी रहे हैं और उन्होंने फिल्म की स्क्रिप्ट का बड़ा हिस्सा पलासिया क्षेत्र में स्थित हरिराम की हेयर कटिंग दुकान पर बैठकर लिखा था। हरिराम इंदौर में सैलून चलाते थे और सलीम खान नियमित रूप से वहीं कटिंग और शेविंग करवाने आते थे। इसी दौरान सलीम खान ने फिल्म के एक किरदार का नाम हरिराम रखने का फैसला किया था।