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‘एलिमनी’ को लेकर हाईकोर्ट ने बदला फैसला, हटाई ‘गुजारा भत्ता’ की शर्त

MP News: हाईकोर्ट ने तलाक के आदेश में से गुजारा भत्ता देने वाली शर्त को हटाने के लिए निर्देश जारी करते हुए गरोठ प्रथम अतिरिक्त न्यायालय को फाइल लौटा दी है।

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MP News: तलाक के बाद पत्नी या पति को मिलने वाले गुजारा भत्ते को लेकर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इसके लिए प्रक्रिया तय कर दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि गुजारा भत्ता पाने के लिए दोनों में से एक का कोर्ट के समक्ष आवेदन करना जरूरी है। आवेदन लिखित में भी हो सकता है, या कोर्ट के समक्ष मौखिक तौर पर भी किया जा सकता है।

जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस गजेंद्रसिंह की कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ एमपी के मंदसौर जिले के गरोठ के प्रथम अतिरिक्त न्यायाधीश के फैसले को बदल दिया है। गरोठ कोर्ट में पति ने तलाक के लिए आवेदन दिया था। केस की सुनवाई के दौरान उसकी पत्नी कभी कोर्ट में पेश नहीं हुई। इसी बीच कोर्ट ने उनका तलाक मंजूर कर दिया। साथ ही हिंदू विवाह अधिनियम के अन्य नियमों के तहत पत्नी को हर माह 7 तारीख के पहले 12 हजार रुपए देने का आदेश जारी कर दिया।

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फैसले के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में अपील की। सुनवाई के दौरान पत्नी मौजूद नहीं थी। ऐसे में कोर्ट ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के आधार पर फैसला सुनाया है। जिसमें साफ किया है कि पत्नी को गुजारा भत्ता कैसे और कितना दिया जाएगा, इसके जो नियम है, उनके साथ ही ये भी देखना होगा कि उसके द्वारा आवेदन किया है या नहीं। कोर्ट बगैर किसी आवेदन के इस तरह से फैसला नहीं दे सकती है।

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने तलाक के आदेश में से गुजारा भत्ता देने वाली शर्त को हटाने के लिए निर्देश जारी करते हुए गरोठ प्रथम अतिरिक्त न्यायालय को फाइल लौटा दी है।