
इंदौर। भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) इंदौर पुलिस की बीट व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए अध्ययन करेगा। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, पुलिस की बर्बरता और नागरिकों के प्रति बेरुखी के मामलों में वृद्धि हुई है। मौजूदा व्यवस्थाओं को समझने और उनका विश्लेषण करने के लिए आइआइएम इंदौर छह माह शोध करेगा। इससे पता चलेगा कि सिस्टम और तकनीक के जरिए बीट व्यवस्था में कैसे सुधार हो सकता है।
आइआइएम इंदौर (IIM-Indore) मप्र पुलिस के साथ मिलकर शोध करेगा। इसके लिए दोनों के बीच करार हुआ है। यह अध्ययन निदेशक प्रो. हिमांशु राय (pro. himanshu rai) के नेतृत्व में प्रो वैजयंथी, राजहंस मिश्रा, सौरभ चंद्र और अमित वत्स करेंगे। पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज (पीटीसी) इंदौर और आइआइएम इंदौर संयुक्त रूप से इस पर कार्य करेंगे।
राय के अनुसार 'हमने प्रोजेक्ट के लिए चार लोगों की टीम बनाई है। सबसे पहले पुलिस की वर्तमान बीट व्यवस्था का विश्लेषण करेंगे। यह भी जानेंगे कि कंट्रोल रूम के साथ इनका तालमेल कैसा है और किस तरह की समस्याएं आ रही हैं। वर्तमान बीट व्यवस्था का विश्लेषण करेंगे। यह भी जानेंगे कि कंट्रोलरूम के साथ इनका तालमेल कैसा है और किस तरह की समस्याएं आ रही हैं। वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों का किस तरह बेहतर उपयोग किया जाए, इसे लेकर भी काम होगा।'
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आइआइएम इंदौर के डायरेक्टर प्रो. हिमांशु राय ने बताया कि हम मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए योजना तैयार करेंगे कि नागरिकों और पुलिस के बीच विश्वास किस तरह विकसित किया जा सकता है। अपराध मनोविज्ञान को देखते हुए पुलिस की बीट व्यवस्था कैसी की जाए, इस पर ध्यान दिया जाएगा। इस अध्ययन में लगभग 6 माह का समय लगेगा। इसके अलावा अन्य बिंदुओं पर कार्य करने में लगभग एक साल का समय लगेगा।
इंदौर पुलिस ट्रेनिंग कालेज के एसपी अगम जैन कहते हैं कि बीट व्यवस्था महत्वपूर्ण है। पुलिसिंग में बदलावों की जरूरत है, इसे लेकर आइआइएम सुझाव देगा। इसमें अपराध को समय पर रोका जा सके, रिस्पॉन्स टाइम बेहतर हो सके और तकनीक का बेहतर इस्तेमाल कैसे किया जाए, इस दिशा में काम किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को इंदौर मॉडल आफ बीट पुलिसिंग नाम दिया जाएगा। सफल रहा तो पूरे प्रदेश में लागू होगा।
Published on:
31 Jul 2021 04:23 pm
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