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IIT Indore ने बनाया ऐसा क्रिस्टल जो गिरगिट की तरह बदलता है रंग

IIT Indore: आइआइटी इंदौर की भौतिकी प्रोफेसर प्रीति ए. भोबे व पीएचडी छात्र बिकाश रंजन साहू ने डबल पेराव्स्काइट नामक पदार्थ से सुरक्षित व टिकाऊ विकल्प तैयार किया है।

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इंदौर

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Manish Geete

Apr 02, 2025

IIT Indore

IIT Indore: आइआइटी इंदौर के वैज्ञानिकों ने तापमान के अनुसार रंग बदलने वाला क्रिस्टल बनाया है। इसमें पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक लेड नहीं है। इसका इस्तेमाल इन्फ्रास्ट्रक्चर डिजाइन, डिफेंस डिवाइस और फैशन इंडस्ट्री में भी हो सकेगा। अभी ऐसे क्रिस्टल बनाने में लेड आधारित पदार्थों का इस्तेमाल होता है। ये जहरीले होते हैं। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

आइआइटी इंदौर (indian institute of technology Indore) की भौतिकी प्रोफेसर प्रीति ए. भोबे व पीएचडी छात्र बिकाश रंजन साहू ने डबल पेराव्स्काइट नामक पदार्थ से सुरक्षित व टिकाऊ विकल्प तैयार किया है। यह शोध केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व भारत-डीईएसवाई जर्मनी सहयोग से किया है।

ठंडे में पीला, तापमान बढ़ा तो भूरा

क्रिस्टल को ठंडे माहौल (-173 डिग्री सेंटीग्रेट) में रखने पर यह पीले रंग का दिखता है। तापमान बढ़ाने पर यह भूरे रंग में बदल जाता है। 200 डिग्री सेंटीग्रेट तक गर्म करने पर यह पूरी तरह भूरा हो जाता है। वापस ठंडा करने पर यह पीला हो जाता है। यह प्रक्रिया कई बार दोहराई जा सकती है। यह 400 डिग्री सेंटीग्रेट तक तापमान सहन करने में सक्षम है।

इसलिए रंग बदलता है एक्स-रे

विवर्तन और एक्स-रे अवशोषण स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर वैज्ञानिकों ने समझने की कोशिश की। उन्होंने पाया कि इसमें लोहे के परमाणुओं के चारों ओर चार्ज का संतुलन बदलने से क्रिस्टल की संरचना में हल्का बदलाव होने और इलेक्ट्रॉन-फोनन इंटरैक्शन के कारण यह रंग बदलता है।

क्रिस्टल का कहां होगा इस्तेमाल?

0-स्मार्ट कपड़ों में, जो तापमान के हिसाब से रंग बदले।

0-तापमान मापने वाले इंडीकेटर, जैसे खाद्य सुरक्षा या चिकित्सा उपकरणों में।

0-बिल्डिंग डिजाइन, जो गर्मी के अनुसार रंग बदल सके, ऊर्जा बचाए।

0-सुरक्षा तकनीक में, जहां संवेदनशील सतहें बनाई जाती हैं।