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जानिए कैसे स्विमिंग पूल में डूबे इंटरनेशनल स्टैंडर्ड

देश का पदक का टोटा किसी से छिपा नहीं रहा। हर भारतीय इस कमी पर दिल ही दिल खून के आंसू बहाता रहा। चंद दिन कोसने के बाद अब सब अपनी-अपनी लीक पर लौट गए।

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Kamal Singh

Sep 04, 2016

swimming pool

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इंदौर.
स्वीमिंग पूल में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड दरकिनार कर दिए गए है, जिससे स्वीमिंग करने वालों की जान खतरे में देखी जा रही है। हाल ही में ओलंपिक गेम्स खत्म हुए। देश का पदक का टोटा किसी से छिपा नहीं रहा। हर भारतीय इस कमी पर दिल ही दिल खून के आंसू बहाता रहा।


चंद दिन कोसने के बाद अब सब अपनी-अपनी लीक पर लौट गए। बेहतर होगा कि एक नजर हम अपने आसपास डालें और देखें खेलों के लिए हमारे पास कितने संसाधन हैं, कितने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं, कितने सिर्फ खानापूर्ति के हैं। यहां हम बात कर रहे हैं शहर के साथ ही प्रदेश के तरण पुष्करों की। राजेश मिश्रा की रिपोर्ट-


इंदौर शहर में दो सरकारी स्वीमिंग पूल हैं- लक्ष्मण सिंह चौहान तरण पुष्कर (महू नाका) और नेहरू पार्क। इसके अलावा करीब 20 स्कूलों, कुछ होटलों और आठ से 10 क्लबों में स्वीमिंग पूल हैं। कुल मिलाकर एक आम आदमी के बच्चे की जद में महू नाका और नेहरू पार्क के तरण पुष्कर ही हैं।


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इंदौर: चौड़ाई मानक से कम

लक्ष्मण सिंह चौहान तरण पुष्कर 1970 में बना। यह18 मीटर गुणा 50 मीटर साइज का है। इंदौर जिला तैराकी संघ के सचिव रवींद्र दुबे बताते हैं कि इसका डाइविंग बोर्ड बेहद ही खराब स्थिति मे है। इसे करीब 10 साल से बंद कर रखा है। किसी भी स्विमर या डाइवर को हम यहां डाइव नहीं करने देते हैं।दुबे बताते हैं यहां करीब 125 से 150 तैराक प्रैक्टिस करते हैं। इनमें सब जूनियर, जूनियर और सीनियर तीनों ही वर्ग के तैराक शामिल हैं। 1997-98 के बाद से अब तक यहां करीब 12 स्टेट और करीब 10 स्कूल स्टेट प्रतियोगिताएं आयोजित करा चुके हैं। दुबे कहते हैं चूंकि हमारे पास नेशनल-इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का कोई स्वीमिंग पूल नहीं है, इसलिए हम कोई भी जूनियर या सीनियर नेशनल स्पर्धा कराने की पात्रता नहीं रखते हैं। हमने कुछ सब जूनियर नेशनल और 2008 में मास्टर्स नेशनल स्पर्धा की मेजबानी की है।


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नेहरू पार्क स्वीमिंग पूल

यह भी नगर निगम का है। यह स्वीमिंग पूल करीब 1968 में बना है। यहां पर डाइविंग के खिलाडिय़ों के लिए सुविधा है। स्वीमिंग के राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा के मानकों के अनुसार यह भी नहीं है।


भोपाल:
प्रदेश की राजधानी भी इस लायक नहीं कि राष्ट्रीय तैराकी स्पर्धा हो सके

प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी एक भी स्वीमिंग पूल ऐसा नहीं है, जो सीनियर वर्ग की नेशनल चैंपियनशिप का आयोजन कर सके। यहां तीन स्वीमिंग पूल हैं। प्रकाश तरण पुष्कर 50 गुणा 21.5 मीटर साइज का है। हाउसिंग बोर्ड का अर्जुन स्वीमिंग पूल है जो 25 गुणा 12.5 मीटर का है। इसके अलावा संजय तरण पुष्कर है जो पिछले करीब 20-25 सालों से खराब पड़ा है। भोपाल में 2011 और 2014 में जूनियर नेशनल आयोजित की गई थी।

भोपाल तैराकी संघ के सचिव रामकुमार खिलरानी कहते हैं कि 2007 में मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्तर के स्वीमिंग पूल की घोषणा की थी, लेकिन राजधानी परियोजना में छोटा पूल बना दिया। खिलरानी का कहना है कि सांसद आलोक संजर से तैराकी संघ ने इस बारे में कहा है। सांसद का कहना है कि प्रस्ताव बनाकर खेल विभाग से घोषणा करवाएंगे।


जबलपुर:
नेशनल स्टैंडर्ड के पूल की मांग

उधर, जबलपुर जिला तैराकी संघ के सचिव सुनील पटेल कहते हैं शहर में सरकारी स्वीमिंग पूल तो एक ही है। यहां करीब 100 स्विमर प्रैक्टिस करते हैं। इसका साइज 50 गुणा 20 मीटर है। यह भी राष्ट्रीय स्पर्धा के मानकों पर खरा नहीं उतरता है। यहां डाइविंग की सुविधा भी नहीं है। शहर में 6-7 स्कूलों में स्वीमिंग पूल हैं, लेकिन वे राष्ट्रीय स्पर्धा के स्तर के नहीं हैं। पटेल का कहना है कि जब हमने स्टेट चैंपियनशिप आयोजित कराई थी, तो महापौर से अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्वीमिंग पूल की मांग की थी।


सिर्फ ग्वालियर में नेशनल स्वीमिंग प्रतियोगिता की सुविधा

प्रदेश में सिर्फ ग्वालियर ही एकमात्र स्थान है, जहां पर सीनियर वर्ग की नेशनल स्पर्धा आयोजित की जा सकती है, वह भी लक्ष्मीबाई नेशनल इंटीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन (एलएनआईपीई) में। यह केंद्र सरकार द्वारा स्थापित संस्थान है। यहां इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का स्वीमिंग पूल और साथ ही प्रैक्टिस पूल है। ग्वालियर जिला तैराकी संघ के सह सचिव राजेंद्र उपाध्याय बताते हैं कि शहर में नगर निगम का एकमात्र तरण पुष्कर है, लेकिन वह 50 गुणा 22.5 मीटर साइज का है। यानी नेशनल स्पर्धा के आयोजन के लिए उपयुक्त नहीं है। इसके अलावा शहर के करीब 10-12 स्कूलों में और कुछ होटलों में स्वीमिंग पूल हैं, लेकिन वे सभी मानक स्तर के नहीं हैं। ग्वालियर को 1992 में जूनियर नेशनल की मेजबानी मिली थी। निगम के पूल में डाइविंग की सुविधा पिछले कई सालों से नहीं है। स्प्रिंग बोर्ड खराब है।


इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का होना चाहिए पूल : राठौर


इस मामले में मध्यप्रदेश स्वीमिंग एसोसिएशन के संयुक्त सचिव और चयनकर्ता योगेंद्रसिंह राठौर का कहना है कि लक्ष्मण सिंह चौहान तरण पुष्कर और नेहरू स्टेडियम को बने करीब 40 साल से ज्यादा हो गए हैं। दोनों में से कोई भी तरण पुष्कर अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं। राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए भी अंतरराष्ट्रीय तैराकी महासंघ (फिना) के मानदंडों के अनुरूप स्वीमिंग पूल होना चाहिए।


तकनीकी परेशानी होती है

राठौर का कहना है कि फिना स्टैंडर्ड से कमतर स्वीमिंग पूल में तैराकों को भी परेशानी होती है। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के पूल में 10 लेन होती हैं। इनमें से लेन 1 और 10 को खाली रखा जाता है और ये पूल में इवेंट के दौरान पैदा होने वाली लहरों को रोकने के काम आती हैं। छोटे स्वीमिंग पूल्स में कम लेन होती हैं और लहरों के कारण तैराकों को तकनीकी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इसका असर उनके टाइमिंग पर पड़ता है। टच स्क्रीन पैड्स न होने से भी टाइमिंग सटीक नहीं दर्ज हो पाता है। इससे तैयारी का सही स्तर नहीं मालूम पड़ता है।




2012 में हुई थी घोषणा, तीन महीने से सीएम के आने का इंतजार

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सितंबर 2012 में आईएमसी सदस्य अजय सिंह नरूका ने कहा था कि जल्द ही इंदौर को एक वल्र्ड क्लास स्वीमिंग पूल की सौगात मिल रही है। यह पूल स्कीम नं. 94 पीपल्या हाना में प्रस्तावित था। इसके लिए पांच करोड़ का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ था। पूल के साथ ही एक बड़ा स्टेडियम और बहुउद्देश्यीय खेल संकुल प्रस्तावित था, जिसमें जिम्नेशियम और हेल्थ सेंटर भी होंगे। इसके टेंडर और वर्क ऑर्डर हो चुके हंै, लेकिन मुख्यमंत्री पिछले तीन महीने से इसे भूमिपूजन के लिए समय नहीं दे पा रहे हैं। जब सीएम समय देंगे तब शहर की इस सौगत की नींव रखी जाएगी।




स्वीमिंग फेडरेशन के पास पैसा कहां है : नानावटी


swimming pool

प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर के स्वीमिंग पूल की कमी को दूर करने में स्वीमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया क्या मदद कर सकता है, यह पूछने पर महासचिव कमलेश नानावटी कहते हैं कि फेडरेशन के पास पैसा कहां है? फेडरेशन तो सरकार पर निर्भर है। वे बताते हैं कि हाल ही में राजकोट में स्थानीय प्रशासन ने स्वीमिंग पूल के लिए 3000 वर्गमीटर जमीन उपलब्ध कराई है। इस पर फेडरेशन स्वीमिंग पूल तैयार करा रहा है। इंदौर में प्रशासन जमीन उपलब्ध करा देगा तो क्या फेडरेशन स्वीमिंग पूल के लिए मदद करेगा? इस पर नानावटी कहते हैं कि फेडरेशन लोगों की मदद से चलता है। यदि जमीन उपलब्ध हो जाती है तो हम एमपी स्वीमिंग एसोसिएशन को फंड रेज करने में मदद करेंगे। यदि जमीन उपलब्ध हो तो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का पूल तैयार करने में करीब दो करोड़ रुपए का खर्च होता है।

international standard compliance at the swimming

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