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आँखों पर पट्टी बांधकर भागवत- सबसे ज्यादा घातक शोक और मोह

  शोक और मोह जैसे शत्रुओं को काबू में रखने के लिए परमात्मा का आश्रय जरूरी - गीता भवन में जगदगुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य के आशीर्वचन

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आँखों पर पट्टी बांधकर भागवत- सबसे ज्यादा घातक शोक और मोह

इंदौर। शोक और मोह यदि मनुष्य के नियंत्रण में नहीं रहे तो इसका नुकसान व्यक्ति के साथ परिवार और समाज को भी उठाना पड़ सकता है। कई विकार मनुष्य के शत्रु माने गए हैं लेकिन इनमें भी सबसे ज्यादा घातक शोक और मोह को माना गया है। मनुष्य जिस तरह अपने जीवन संग्राम में अन्य शत्रुओं पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है। इन दोनों पर नियंत्रण पाने में बड़ी मशक्कत करना पड़ती है। परमात्मा की कृपा के बिना मनुष्य अपने अवगुणों से मुक्त नहीं हो सकता।
सोमवार को रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य महाराज ने गीता भवन में आयोजित सत्संग सभा के दौरान आशीर्वचन देते हुए उक्त विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में आध्यात्मिक मंडल की ओर से गोपालदास मित्तल, विष्णु बिंदल, संजय मंगल, टीकमचंद गर्ग, राम ऐरन आदि ने आचार्यश्री का स्वागत किया। उन्होंने गीता भवन में राममंदिर स्थित रामदरबार की पूजा-अर्चना एवं आरती भी की। आचार्यश्री माउंट आबू में 13 जुलाई से चातुर्मास पर प्रस्थान के पूर्व आज गीता भवन पधारे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उनकी अगवानी की। वे मंगलवार को भोपाल एवं वहां से माउंट आबू के लिए प्रस्थित होंगे।