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एमपी के विख्यात हिंगोट युद्ध में कई घायल, सैंकड़ों लोगों ने बरसाए ‘आग के गोले’

Hingot- मध्यप्रदेश के विख्यात परंपरागत हिंगोट युद्ध में इस बार भी कई लोग घायल हो गए हैं। प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर के पास गौतमपुरा में मंगलवार को यह लड़ाई हुई जिसमें सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया।

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Many injured in the famous Hingot battle in Gautampura in Indore

Many injured in the famous Hingot battle in Gautampura in Indore

Hingot- मध्यप्रदेश के विख्यात परंपरागत हिंगोट युद्ध में इस बार भी कई लोग घायल हो गए हैं। प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर के पास गौतमपुरा में मंगलवार को यह लड़ाई हुई जिसमें सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया। गौतमपुरा के योद्धा तुर्रा दल और कलंगी के योद्धा रूणजी दल के रूप में युद्ध में शामिल हुए। दोनों दलों ने खूब अग्नि बाण चलाए। बारूद भरी हिंगोट एक-दूसरे पर फेंकी। करीब डेढ़ घंटे तक चले हिंगोट युद्ध को देखने हजारों लोग आ जुटे थे। हर साल दिवाली के दूसरे दिन पड़वा पर यह अनोखा युद्ध आयोजित किया जाता है।

हिंगोट युद्ध की परंपरा करीब 200 साल पुरानी है। माना जाता है कि मराठा योद्धा, मुगलों का सामना करने के लिए हिंगोटों का इस्तेमाल करते थे। मुगल सेना जब गांवों में लूटपाट करने आती तो स्थानीय मराठा योद्धा उनपर हिंगोट बरसाने लगते थे। इसी ने प्रतीकात्मक युद्ध और उत्सव का रूप ले लिया।

गौतमपुरा में धोक पड़वा पर परंपरागत हिंगोट युद्ध इस बार करीब डेढ़ घंटे तक चला। सैंकड़ों लोगों ने हिंगोट के रूप में आग के गोले बरसाए। बताया जाता है कि इस दौरान करीब 5 लोग घायल हुए हैं जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है।

पाबंदी लगाने के लिए एमपी हाई कोर्ट में याचिका

बता दें कि हिंगोट युद्ध पर पाबंदी लगाने के लिए एमपी हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की चुकी है। याचिका में इसे अमानवीय परंपरा बताते हुए जल्लीकट्‌टू की तरह इस पर भी रोक लगाने की मांग की गई है। कोर्ट में यह मामला अभी भी चल रहा है ​जबकि प्रतीकात्मक युद्ध की परंपरा भी हर साल निभाई जा रही है।

हिंगोट युद्ध में दो दल तुर्रा दल और कलंगी दल होते हैं। तुर्रा दल गौतमपुरा गांव के योद्धाओं का होता है जबकि कलंगी दल रूणजी गांव के योद्धाओं का होता है। दोनों दल पड़वा के दिन शाम को गौतमपुरा के युद्ध मैदान में आमने-सामने खड़े हो जाते हैं और आग से जलते हिंगोट को एक-दूसरे पर फेंकते हैं।