
बिलावली तालाब की लिंबोदी और मुंडी चैनल सूखी, राऊ-कैलोद व करताल की ओर से आ रहा पानी
इंदौर. 140 साल पहले शहर के बाशिंदों की प्यास बुझाने के लिए बनाया गया बिलावली तालाब कैचमेंट एरिया में निर्माण और गाद भरने से क्षमता का आधा भी नहीं भर सका है। तालाब की लिंबोदी और निहालपुर मुंडी, बिजलपुर की ओर से आने वाली चैनल पूरी तरह सूखी पड़ी है। कैलोद, करताल, राऊ और मौरोद की ओर से आने वाली चैनल भी सिकुड़ गई है। बायपास और इसके आसपास के निर्माण भी तालाब के पानी में रुकावट बन रहे हैं। इधर, प्रशासन ने तालाब की इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए बिलावली और पीपल्यापाला के कैचमेंट एरिया का सर्वे करवाने का निर्णय लिया हैं।
शहर में बारिश की स्थिति सामान्य रहने के बाद भी बिलावली तालाब बीते तीन सालों से अपनी क्षमता का आधा भी नहीं भर पा रहा है। दूसरी ओर छोटा बिलावली तालाब मैदान बन गया है। सावन माह में कभी लबालब रहने वाला यह जल स्त्रोत अपनी क्षमता से आधा भी नहीं भर सका है। तालाब पर 25 साल से आ रहे रामनिवास भाई के अनुसार बीते पांच साल से तालाब में पानी लगातार कम होता जा रहा है। हमने तो तालाब को पाल के ऊपर लगी जाली तक भरा हुआ देखा है। मिट्टी खोदने के नाम पर कई स्थानों पर गड्ढे कर दिए गए।
विकास मित्र 2050 के किशोर कोडवानी का कहना है, पांच साल से नगर निगम अफसर इस तालाब को लेकर प्रयोग कर रहे हैं। बिना तकनीकी जानकारी के तालाब की गाद निकाली जा रही है। लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी तालाब की हालात खराब है। बुधवार को संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने नगर निगम, जल संसाधन विभाग की बैठक लेकर शहर की तालाबों के कैचमेंट एरिया के सीमांकन व सर्वे कराने के निर्देश दिए। मालूम हो, पिछले दिनों होलकर कॉलेज में हुई बैठक में प्रबुद्धजनों द्वारा बिलावली तालाब को लेकर कई सवाल उठाए गए थे।
तालाब की राह में रोड़ा
कैलोद, करताल, राऊ और मौरोद की ओर से आने वाली चैनल भी सिकुड़ गई है। बायपास और इसके आसपासके निर्माण भी तालाब के पानी में रुकावट बन रहे हैं। साथ ही चैनल का पानी तालाब के आगे गड्ढ़ा खोदकर रोक रहे हैं।
Published on:
08 Aug 2019 03:50 pm
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