
मोहित पांचाल. मालवा-निमाड़ की राजनीति में 17 अजेय योद्धा हैं यानी वे अब तक विधानसभा का चुनाव नहीं हारे हैं। इस फेहरिस्त में भाजपा विधायकों की संख्या कांग्रेस की तुलना में तीन गुना से अधिक है। कुछ तो ऐसे हैं, जिन्हें पार्टी ने अलग-अलग सीट से लड़ाया लेकिन उन्होंने वहां भी जीत हासिल की। एक बार फिर वे मैदान में हैं। सवाल यह है कि उनका अजेय योद्धा का तमगा बरकरार रहे या छिनेगा? हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मालवा-निमाड़ पर पूरे मध्यप्रदेश की निगाह है। इनमें कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। अलग-अलग या एक ही सीट से जीत का सिलसिला कायम रखने वालों में भाजपा के 13 तो कांग्रेस से 4 विधायक हैं।
भाजपा के दिग्गज
रमेश मेंदोला: इंदौर-2 से तीन बार से विधायक।
मालिनी गौड़: इंदौर-4 से तीन बार से विधायक।
महेंद्र हार्डिया: इंदौर-5 से चार बार से विधायक।
उषा ठाकुर: इंदौर-1 से 2003 में विधायक बनीं, 2013 में तीन नंबर से विजयी हुईं और 2018 में महू से जीतकर मंत्री बनीं।
नीना वर्मा: धार से लगातार दो बार विधायक रहीं।
विजय शाह: हरसूद से लगातार सात बार विधायक बने।
गायत्री राजे पंवार: देवास सीट से दो बार से विधायक।
आशीष शर्मा: खातेगांव से लगातार दो बार से विधायक।
डॉ. मोहन यादव: उज्जैन दक्षिण से लगातार दो बार से विधायक।
चेतन्य कश्यप: रतलाम शहर से लगातार दो बार से विधायक।
यशपालसिंह सिसौदिया: मंदसौर से लगातार चार बार से विधायक।
ओमप्रकाश सखलेचा: जावद से 4 बार से विधायक।
कैलाश विजयवर्गीय: 1990 में इंदौर-4 से विधायक बने, तीन बार इंदौर-2 के विधायक रहे और दो बार महू का प्रतिनिधित्व किया।
कांग्रेस के दिग्गज
सचिन यादव: कसरावद से लगातार दो बार से विधायक।
उमंग सिंघार: गंधवानी से लगातार तीन बार से विधायक।
हनी बघेल: कुक्षी से लगातार दो बार से विधायक।
झूमा सोलंकी: भीकनगांव से लगातार दो बार से विधायक।
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Updated on:
21 Nov 2023 09:22 am
Published on:
21 Nov 2023 09:21 am
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