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तीन साल की मासूम को संथारा, एमपी हाईकोर्ट सख्त, जारी किए आदेश

MP High Court: मध्य प्रदेश में तीन साल की बच्ची को संथारा पर हाईकोर्ट में लगाई थी जनहित याचिका, हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती, 3 साल की मासूम को संथारा दिलाने वाले माता-पिता के लिए आदेश जारी...

MP High court on Santhara to the innocent Children
MP High Court: इंदौर हाईकोर्ट खंडपीठ में जनहित याचिका पर आदेश (फोटो सोर्स: एक्स)

MP High Court: तीन साल की बालिका को बीमारी के चलते उसके माता-पिता द्वारा संथारा दिलाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई है। इस पर जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ में सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया कि नाबालिग, मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को संथारा पर रोक लगाई जाए।

ये है मामला

यह घटना 21 मार्च की है। बच्ची ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थी। उसे माता-पिता एक जैन संत के पास ले गए, जहां संत ने बालिका की दूसरे दिन मृत्यु की भविष्यवाणी की थी। साथ ही उसे संथारा दिलाने के लिए कहा था। इस पर माता-पिता ने उसे संथारा दिलाया था। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड ने इसे सबसे कम उम्र में संथारा का रेकॉर्ड बताते हुए उन्हें सर्टिफिकेट जारी किया था।

इसके खिलाफ प्रांशु जैन ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी। इसमें केंद्र सरकार, कानून मंत्रालय, चेयरमैन मानव अधिकार आयोग, राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी, संभागायुक्त, पुलिस कमिश्नर और कलेक्टर को पार्टी बनाया गया है।

सुनवाई में दिखी कोर्ट की सख्ती

कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान ये तथ्य रखा गया कि किसी की मौत की भविष्यवाणी कैसे की जा सकती है। संथारा के लिए उसे लेने वाले की इच्छा जरूरी है। चूंकि जिसे संथारा दिलाया गया, वो बेहद छोटी बालिका थी। ऐसे में उसके परिजन उसके जीवन जीने का अधिकार छीने जाने की सहमति कैसे दे सकते हैं। कोर्ट ने बच्ची के माता-पिता को भी मामले में पार्टी बनाने के आदेश जारी किए ताकि, सर्टिफिकेट जारी होने की बात की पुष्टि हो सके। बालिका की मृत्यु को लेकर प्रमाण-पत्र जारी करने वाली संस्था से भी जानकारी मांगी गई है।

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