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100 दिन में ‘छोटा इंदौर’ बनेगा देपालपुर…! जानिए क्या कहते हैं जिम्मेदार

MP News: देपालपुर इन दिनों इंदौर के ‘ट्विन’ के रूप में नई पहचान गढ़ रहा है। 20-25 दिन से स्वच्छता को लेकर यहां प्रचार और नवाचार जारी हैं। ‘छोटा इंदौर’ बनने का सपना यहां घर-घर में पल रहा है। दूसरी तरफ चुनौतियां भी कम नहीं हैं।

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Depalpur will become Little Indore in 100 days

Depalpur will become Little Indore in 100 days (फोटो सोर्स : सोशल मीडिया)

MP News: देपालपुर इन दिनों इंदौर के ‘ट्विन’ के रूप में नई पहचान गढ़ रहा है। 20-25 दिन से स्वच्छता को लेकर यहां प्रचार और नवाचार जारी हैं। ‘छोटा इंदौर’ बनने का सपना यहां घर-घर में पल रहा है। दूसरी तरफ चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सवाल भी है कि क्या 100 दिन में देपालपुर का कायाकल्प हो पाएगा? हालांकि, इंदौर का बुधनी को संवारने का अनुभव यहां काम आ सकता है।

गौरतलब है कि सुपर स्वच्छता लीग के विजेताओं के लिए तय हुआ कि वे अब खुद के साथ एक अन्य शहर को अपना जुड़वा बनाकर उसे भी संवारेंगे। इसी क्रम में इंदौर ने देपालपुर को ‘ट्विन’ बनाया है। ‘ट्विन’ को साफ-सुथरा बनाने के प्रोजेक्ट की शुरुआत करने में इंदौर ने लीग के विजेता बाकी शहरों सूरत और नवी मुम्बई पर बढ़त बना ली है।

इंदौर-देपालपुर की सुपर स्वच्छ जोड़ी

योजना के अनुसार 20 हजार जनसंख्या और 3500 हाउस होल्ड वाले देपालपुर को संवारने में दो से ढाई करोड़ रुपए खर्च होंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदेश सरकार उपलब्ध करवाएगी और रिसोर्सेस नगर निगम इंदौर देगा। यहां 10 टन वेस्ट रोज निकलता है। 7 टन गीला, 3 टन सूखा। इसके व्यवस्थित संग्रहण (कलेक्शन) पृथक्करण (सेग्रीगेशन) और प्रोसेस करने के प्रोजेक्ट पर वहां 20-25 लोगों की टीम जुटी है। व्हीकल दौड़ने लगे हैं। लोगों ने दो डस्टबिन रखने शुरू कर दिए हैं। यानी यात्रा चल पड़ी है भरोसे के साथ। जैसा कि नगर परिषद देपालपुर के उपाध्यक्ष गोपाल कटेसरिया कहते हैं- इंदौर-देपालपुर की सुपर स्वच्छ जोड़ी बनेगी।’ हालांकि गंदी गलियों, आवारा पशुओं और प्लास्टिक के बीच फिलहाल यह सपने जैसा ही है।

ये हो रहे नवाचार

  • इंदौर की तरह देपालपुर में भी जीरो वेस्ट वार्ड की घोषणा होगी।
  • कुल 15 वार्ड में सफाई का माहौल बनाने के लिए पांच एनजीओ को जिम्मेदारी दी गई है। हर एनजीओ के हिस्से में तीन वार्ड आएंगे।
  • कस्बे को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए यहां का हर घर पांच थैले डोनेट करेगा।
  • पब्लिक, पॉलीटिशियन, प्रशासन मिलकर काम करेंगे।

ये हैं चुनौतियां

  • कस्बे में प्लास्टिक का उपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसे रोकना और लोगों को इसका विकल्प देना
  • नालियों का पानी घरों में जा रहे पानी में मिल रहा है। ऐसे में ग्रे वाटर मैनेजमेंट आसान नहीं है।
  • आवारा पशुओं को कस्बे से बाहर करना।
  • सेप्टिक टैंक काफी गहरे बने हुए हैं। सालों से खाली नहीं हुए, जबकि हर 3 साल में खाली होना चाहिए।
  • यूजर चार्ज केवल 30 रुपए है। ऐसे में व्यवस्थाओं को सस्टेन करना मुश्किल होगा। चार्ज बढ़ाना और उसके लिए लोगों की मानसिकता तैयार करना बड़ा काम है।

यह कहते हैं जिम्मेदार

यह स्वच्छता की आदत का विस्तार है:स्वच्छता इंदौर की आदत बन चुकी है। अब इस आदत का विस्तार और विकास देपालपुर तक किया जा रहा है। नगर निगम की टीम प्राइमरी तौर पर असिस्ट कर रही है। हमने 100 दिन का लक्ष्य रखा है। आवश्यकता पड़ी तो बाद में भी एक टीम तैनात करेंगे। - पुष्यमित्र भार्गव, महापौर

चुनौती है पर हो जाएगा: देपालपुर को इंदौर की तर्ज पर स्वच्छ बनाना बड़ी चुनौती है, लेकिन मुश्किल नहीं। यहां इंदौर की तर्ज पर काम हो रहा है। टीम को पूरा भरोसा है कि इंदौर की ही तरह देपालपुर स्वच्छता में निखरेगा।-रोहित सिसौनिया, अपर आयुक्त, स्वच्छ भारत मिशन

मॉनिटरिंग कर रहा हूं: नगर निगम की टीम सपोर्ट कर रही है। नियमित प्रोग्रेस रिपोर्ट की मैं मॉनिटरिंग कर रहा हूं। 100 दिन बाद देपालपुर की टीम खुद ट्रेंड होकर इस थीम पर काम करने लगेगी, ऐसा हमें भरोसा है।- शिवम वर्मा, कलेक्टर इंदौर

हमारी टीम काम को आगे बढ़ाएगी: देपालपुर में काम हो रहा है। हमारी टीम को प्रशिक्षण मिल रहा है। 100 दिन में जो आदर्श काम होगा, उसे हमारी टीम विस्तार से आगे बढ़ाएगी।- बहादुर सिंह रघुवंशी, सीएमओ, देपालपुर