18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एमपी में मिली देश की सबसे छोटी ‘चींटी’, इस शहर पर रखा गया नाम !

MP News: राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्ववि‌द्यालय के वैज्ञानिकों ने मध्य प्रदेश में देश की सबसे छोटी चींटी की खोज की है। यह महज 0.5 mm की होती है। इसके चींटी की 70 से ज्यादा प्रजातियां हो गयी है।

2 min read
Google source verification

इंदौर

image

Akash Dewani

Jun 06, 2025

Smallest Ant of india found in MP

Smallest Ant of india found in MP (फोटो सोर्स- डॉ. आनंद हरसाना सोशल मीडिया)

MP News: राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्ववि‌द्यालय इंदौर के कीट वैज्ञानिकों ने दमोह जिले में देश की सबसे छोटी चींटी (Smallest Ant of india) की खोज की है। हल्के पीले रंग की यह चींटी मात्र 0.5 मिमी लंबी है। यह प्रजाति भारत में पहले कभी दर्ज नहीं हुई थी। वैज्ञानिक ने इसका नाम अग्रालोमिर्मेट 'दमोह एंट' रखा है। दावा है कि यह भारत की सबसे छोटी चींटी है। कीट वैज्ञानिक की टीम ने तीन साल तक 13-14 जिलों का सर्वेक्षण किया।

इंदौर में मिली बस्तर की चापड़ा चींटी

छत्तीसगढ़ के बस्तर में पाई जाने वाली चापड़ा चींटी भी इंदौर में पाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम विवर एंट है। यह आम के पेड़ों पर रहती है और अपने लार्वा से पत्तियों को जोड़कर घोंसला बनाती है। यह लाल रंग की बड़ी चींटी है, जिसमें सामान्य चीटियों की तुलना में ज्यादा एसिड होता है। काटने से मधुमक्खी के डंक जैसा सूजन और दर्द होता है।

यह भी पढ़े- चंबल नदी पर बनेगा एमपी का पहला सिक्स लेन केबल-स्टे ब्रिज, तीन राज्यों से जुड़ेगा एक्सप्रेस-वे

फैक्ट फाइल

  • दुनिया में अब तक 10 लाख कीटों का नामकरण हो चुका है।
  • विश्व में 15,000 चींटी प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं।
  • भारत में 900 प्रजातियां पाई जाती हैं।
  • मध्यप्रदेश में 40 प्रजातियां दर्ज हुई हैं।
  • इंदौर में 30 प्रजातियां पाई जाती हैं।

इस तरह पारिस्थितिक तंत्र में सहायक

  • पौधों पर आने वाले कीटों को नष्ट करती हैं।
  • मृत पशु-पक्षियों को खाकर जैविक संतुलन बनाती हैं।
  • मिट्टी की गुणवत्ता सुधारती हैं, जिससे पौधों की वृद्धि होती है।
  • फलों पर कीटों को नियंत्रित करती हैं।

कैसी होती है ये चींटी

आकार ही चुनौती यह चींटी हल्के पीले रंग की होती है। इसकी लंबाई 0.5 मिमी है। सिर मात्र 0.2 मिमी का है। आकार में बहुत छोटी होने के कारण इसका अध्ययन चुनौतीपूर्ण रहा। इस पर आगे भी शोध जारी रहेगा।

यह भी पढ़े- रात में कब्रिस्तान से आ रही थीं अजीब आवाज़ें, सुबह खुदी मिली महिलाओं की कब्रें

120 विशेषज्ञों की मेहनत का नतीजा

कीट विशेषज्ञ डॉ. आनंद हरसाना ने बताया कि प्रदेश में इससे 120 साल पहले स्विस एंटोमालॉजिस्ट ने मध्य भारत में शोध किया। तब से अब तक क्षेत्र में विशेष रिसर्च नहीं हुआ। प्रदेश के जंगल, पर्वत श्रृंखला चींटी प्रजातियों के लिए अनुकूल हैं। यह कार्य गाइड डॉ. देबजानी डे की सहायता से किया गया। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइसीएआर) नई दिल्ली के कीट विभाग को भेजा है।

अब प्रदेश में चींटियों की 70 प्रजाति हो जाएंगी

सतपुड़ा में मिली दो चींटियों का नामकरण लेपिसियोटा विलसोली एंट और लेपिसियोटा सतपुड़ा एंट किया है। लेपिसियोटा सतपुड़ा एंट को भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी रंगीन चींटी माना जा रहा है। अब तक मप्र में 40 चींटी प्रजातियां थी। अब ये 70 हो जाएंगी।