
Several employees suspended and two policemen dismissed in MP- File Pic
MP Police: गरीबों के गेहूं-चावल की कालाबाजारी के मामले में जेल में बंद आरोपी की जमानत रोकने के लिए चंदननगर पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में झूठा हलफनामा पेश कर दिया। पुलिस ने शपथ-पत्र पर कहा, आरोपी अनवर हुसैन पर इसके अलावा 8 और केस दर्ज हैं। इनमें बलात्कार जैसे संगीन आरोप भी हैं, लेकिन हकीकत में उस पर पहले चार केस ही दर्ज थे, जिनमें से दो में बरी हो चुका था। सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर पुलिस के एडीसीपी दीशेष अग्रवाल और चंदननगर टीआइ इंद्रमणि पटेल को नोटिस जारी कर पूछा है कि झूठा शपथ-पत्र देने के लिए उन पर क्यों न कार्रवाई की जाए। इसका जवाब उन्हें 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर देना होगा।
चंदननगर थाना में अक्टूबर 2024 में हुसैन के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम और जालसाजी, फर्जी रिकॉर्ड बनाने जैसी धाराओं में केस दर्ज हुआ था। उसकी जमानत पहले जिला अदालत और बाद में हाईकोर्ट इंदौर से खारिज हो गई। हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत आवेदन लगाया। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से हलफनामा दायर करते हुए आपत्ति ली गई।
इसमें उस पर और भी केस होने की बात कही गई, जिसका हुसैन के वकीलों ने विरोध किया। शपथपत्र देते हुए कहा था कि जिन आठ मुकदमों में उनके मुवक्किल को आरोपी बताया गया है, उनमें से चार में तो उनका नाम ही नहीं है। जो चार केस हैं, उनमें से दो में बरी हो चुके हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने एक और हलफनामा दायर किया। इसमें इस बात को मान लिया कि हुसैन पर चार मामले पूर्व में दर्ज थे। पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि आरोपी और उसके पिता के नाम मिलते-जुलते होने के कारण कम्प्यूटर पर गलती हुई थी। कोर्ट ने एमपी पुलिस की इस दलील को खारिज कर आरोपी को जमानत भी दे दी। सुनवाई के समय वीसी के जरिए एडीसीपी अग्रवाल और टीआइ इंद्रमणि पटेल भी जुड़े थे। कोर्ट के सवाल खड़े करने पर उन्होंने ही इसे कंप्यूटर की गलती बताया था।
24 अक्टूबर 2024 को खाद्य विभाग की टीम ने जवाहर टेकरी रोड पर मयूरबाग कॉलोनी में अभिनंदन पेट्रोल पंप के पास 521 बोरी चावल और 152 बोरी गेहूं का अवैध स्टॉक पकड़ा था। विभाग की टीम ने जांच में पाया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीसी) के तहत सस्ती दर पर बांटा गया चावल और गेहूं है, जिसे हुसैन ने जनता से खरीदकर यहां जमा किया है।
कोर्ट ने आदेश में लिखा कि पुलिस ने इस मामले में साफ झूठा बोला। मामला एक व्यक्ति के जीवन और उसकी स्वतंत्रता का है, ऐसे में पुलिस के एडीसीपी और टीआइ को नोटिस जारी किया जाता है कि वे इसका कारण बताएं कि इस गलती के लिए उन पर कार्रवाई क्यों न की जाए। 25 नवंबर को सुनवाई के दो दिन पहले एडीसीपी, टीआइ के साथ ही वे सभी लोग जो मामले में सूचना इकट्ठा करने और हलफनामा देने की प्रक्रिया में थे, वे सभी अपना जवाब कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश करेंगे।
इंदौर. पुलिस ने कुछ माह पूर्व जिस एमडी ड्रग्स को जब्त किया था, वह भोपाल लैब की जांच में उर्वरक बनाने का केमिकल निकला। उक्त केस में जब्त सैंपल की जांच रिपोर्ट अब चर्चा का विषय बनी हुई है। मालूम हो, इस केस में गिरफ्तार आरोपियों का कनेक्शन आजाद नगर थाना के आरक्षक से मिला था। अफसरों ने ड्रग्स तस्कर से आरक्षक की सांठगांठ मिलने पर उसे आरोपी बनाकर जेल भेजा था।
अब पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। जोन के अधिकारी ने कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट की जानकारी दी है। उन्होंने जब्त ड्रग्स के सैंपल की जांच फिर से कराने की अनुमति मांगी है।
पुलिस के मुताबिक फरवरी में आजाद नगर थाना में एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। जब्त एमडी ड्रग्स के सैंपल को जांच के लिए भोपाल भेजा था। जोन-1 डीसीपी कृष्ण लालचंदानी ने बताया, जांच रिपोर्ट में उक्त सैंपल को सोडियम नाइट्रेट बताया गया है। इस संबंध में कोर्ट के समक्ष जानकारी दी है।
तेजाजी नगर पुलिस ने फरवरी में चेकिंग के दौरान रालामंडल-कस्तूरबा ग्राम रोड पर बाइक सवार दो संदिग्ध व्यक्तियों को घेराबंदी कर पकड़ा। तलाशी में दोनों से करीब 200 ग्राम एमडी ड्रग्स मिली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी 2 करोड़ कीमत बताई गई। आरोपियों की पहचान विजय पाटीदार निवासी मंदसौर और मो. शाहनवाज उर्फ शाहरुख शेख (28) निवासी आजाद नगर के रूप में हुई। उस वक्त अधिकारी ने पुष्टि की थी कि आजाद नगर थाने के आरक्षक लखन गुप्ता की संलिप्तता मिली है। लंबे समय से आरक्षक उनके सर्विलांस पर था। जांच में पाया गया कि आरक्षक समन वारंट तामिली की कार्रवाई करते थे। जो एनडीपीएस एक्ट के आरोपी होते थे। ये उनके समन की तामिली में पैसों की डिमांड करते थे। उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते थे।
लालचंदानी ने बताया,एनडीपीएस केस में जब्त ड्रग्स के दो सैंपल लिए जाते हैं। अब दूसरे सैंपल को हैदराबाद की लैब में भेजा जाएगा। उसकी रिपोर्ट करीब एक महीने बाद आएगी। सूत्रों की मानें तो पुलिस कार्रवाई के दौरान ड्रग्स को नहीं पहचानने व कार्रवाई में जल्दबाजी से यह परिणाम सामने आए हैं।
Updated on:
06 Nov 2025 09:59 am
Published on:
06 Nov 2025 09:34 am
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