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Success Story: मां करती है झाड़ू-पोछा, फुटपाथ पर पढ़कर बेटी ने चुटकियों में दिला दिया फ्लैट

फुटपाथ पर पढ़ाई करके बेटी ने 10वीं में पाया अव्वल स्थान, प्रशासन ने गिफ्ट में दे दिया फ्लैट...।

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इंदौर

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Manish Geete

Jul 11, 2020

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इंदौर। फुटपाथ पर रहकर पढ़ाई करने वाली 10वीं कक्षा की भारती खांडेकर (bharti khandekar) की यह कहानी हर किसी को प्रेरणा देती रहेगी। उसके पिता मजदूरी करते हैं और मां झाड़ू-पोछा करती है। माता-पिता के काम पर चले जाने के बाद फुटपाथ पर ही दो छोटे भाइयों को संभालती और पढ़ाई भी करती थी। कभी-कभी फुटपाथ से हटाने के लिए नगर निगम भी परेशान करने पहुंच जाता था। जैसे ही भारती ने 68 प्रतिशत अंक के साथ जिले की मेरिट लिस्ट में स्थान बनाया, रातोरात भारती और उसका परिवार फुटपाथ से उठकर 'खुद के घर' में पहुंच गया।

यह कहानी है इंदौर के शिवाजी नगर के फुटपाथ पर रहने वाली भारती खांडेकर की, जिसने अहिल्या आश्रम स्कूल से 10वीं की परीक्षा में 68 अंकों के साथ पास की है। भारती रातों रात सुर्खियों में आ गई और वो परिवार के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भूरी टेकरी के फ्लैट नंबर 307 में रहने चले गई। इंदौर नगर निगम ने भारती की लगन को देखने के बाद उसे यह फ्लैट गिफ्ट में दे दिया है।

अब बहुत खुश है पूरा परिवार
कभी ठंड, गर्मी और बारिश में भींगते हुए जो जीवन यापन कर रहे थे, अब नया फ्लैट पाकर पूरा परिवार बेहद खुश है। भारती का पता अब फुटपाथ नहीं बहुमंजिला इमारत के सी-ब्लाक का फ्लैट नंबर 307 है। हालांकि फुटपाथ से उठकर एकदम से खाली फ्लेट में आने के बाद न तो उनके पास सामान है न ही रसोई गैस।

टेबल, कुर्सी और किताबों की व्यवस्था हो गई
प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रशांत दीघे बताते हैं कि इंदौर नगर निगम कमिश्नर ने इस मामले में संज्ञान लेकर भारती के परिवार को वन बीएचके फ्लैट गिफ्ट दिया है। यह भी व्यवस्था की जा रही है कि उसे आगे की शिक्षा के लिये पैसों की दिक्कत न हो। उसे टेबल, कुर्सी, किताबें, कपड़े भी दिए गए हैं।

क्या कहती है भारती
भारती इस सफलता के लिए सबसे पहले पापा-मम्मी को फिर सभी लोगों को धन्यवाद देती है। वो कहती है कि जिन्होंने मुझे मेहनत करके पढ़ाया इस काबिल बनाया. पहली बार छत को देखा है। नगर निगम के सभी अफसरों को मेरा धन्यवाद, जिन्होंने हमें घर दिया। निगम कमिश्नर मैडम प्रतिभा पाल को धन्यवाद, जिन्होंने घर देने के लिए मदद की।

ऐसी थी जिंदगी
भारती बताती है कि फुटपाथ पर रहने के दौरान पढ़ाई करते वक्त मुझे बहुत कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा, क्योंकि बरसते पानी में पढ़ाई करती थी तो कॉपी-किताबें गीली हो जाती थीं। बैग में पानी घुस जाता तो आधे से ज्यादा सामान ऐसे ही बेकार हो जाता और दोबारा लाने की हैसियत नहीं थी। थोड़े बहुत बचे सामान से ही पढ़ाई पूरी करती थी। बड़ी होकर आईएएस अफसर बनना चाहती हूं ताकि आज जैसे मेरी सबने हेल्प की, वैसे ही मैं सबकी मदद करूं।

राशन कार्ड बनते ही मिलेगी गैस
भारती का कहना है कि अभी गैस की व्यवस्था नहीं है, इसलिए चूल्हे पर खाना बना रहे हैं। इस बारे में निगम कमिश्नर मैडम से बात की है। उन्होंने कहा कि पहले राशन कार्ड बनवा लो, इसके बाद गैस कनेक्शन भी दिला देंगे।