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भेल ने की रेलवे बोर्ड से की शिकायत, रेलवे के बड़े टेंडर से किया अलग

Published: Nov 13, 2018 11:33:24 am

Submitted by:

Saurabh Sharma

भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) ने रेलवे बोर्ड से शिकायत की है कि उसे प्रोपल्शन सिस्टम सप्लाई करने के टेंडर से दूर रखा गया है। एेसा सिर्फ इसलिए किया गया है ताकि चुनिंदा कंपनियों की मदद की जा सके।

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भेल ने की रेलवे बोर्ड से की शिकायत, रेलवे के बड़े टेंडर से किया अलग

नर्इ दिल्ली। भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) ने रेलवे बोर्ड से शिकायत की है कि उसे प्रोपल्शन सिस्टम सप्लाई करने के टेंडर से दूर रखा गया है। एेसा सिर्फ इसलिए किया गया है ताकि चुनिंदा कंपनियों की मदद की जा सके। वास्तव में चेन्नर्इ में में रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने 141 इलेक्ट्रिक ट्रेनों के लिए प्रोपल्शन सिस्टम खरीदने का एक टेंडर जारी किया था। भेल की शिकायत के अनुसार इस टेंडर में केवल तीन भारतीय कंपनियों का पक्ष लिया गया था और उसे बाहर रखा गया।

बढ़ सकती है काॅस्ट
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी को लिखे गए पत्र में भेल के एमडी अतुल सोबती ने कहा है कि इससे काॅस्ट बढ़ने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि पात्रता मापदंड में बदलाव के मद्देनजर भेल को बड़े टेंडर के लिए मौके से वंचित किया गया है। पहले के टेंडर में पात्रता का मापदंड था कि कंपनी ने एक एसी रेक सप्लाई किया हो, इसे अब बढ़ाकर 10 कर दिया गया है। इस टेंडर की अनुमानित कॉस्ट 1,200-1,500 करोड़ रुपए की है। यह टेंडर 15 नवंबर को खुल रहा है।

रेलवे को हो सकता है नुकसान
भेल के एमडी के लेटर में साफ लिखा है कि उन्हें बताया गया है कि बल्क टेंडर के लिए तीन कंपनियां ही पात्र हो सकती हैं, जबकि एकमात्र सरकारी कंपनी भेल को दूर रखा गया है। अगर टेंडर की शर्तों को नहीं बदला गया तो भेल को अपनी बोली जमा करने का निष्पक्ष अवसर नहीं मिलेगा। वहीं प्रतिस्पर्धा कम होने से रेलवे को भी सबसे किफायती दाम मिलना मुश्किल हो सकता है आैर नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

इन कंपनियों ने भी की शिकायत
वहीं दूसरी आेर रेलवे के लिए रोलिंग स्टॉक और वैगन बनाने वाली प्राइवेट सेक्टर की एक बड़ी कंपनी टीटागढ़ वैगन्स ने रेलवे से टेंडर की समयसीमा बढ़ाने की गुजारिश की है। ताकि बिड्स अधिक प्रतिस्पर्धी हों। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के जनरल मैनेजर एस मणि को लिखे पत्र में टीटागढ़ वैगन्स ने कहा है, ‘इस प्रॉजेक्ट की वॉल्यूम को देखते हुए टेंडर की समयसीमा कम है। हम इसे दो महीने बढ़ाने का निवेदन करते हैं। एक अन्य बड़े मैन्युफैक्चरर ने भी आरोप लगाया है कि टेंडर की शर्तें केवल एक भारतीय कंपनी का पक्ष ले रही हैं। मैन्युफैक्चरर ने कहा है कि इस बारे में जल्द ही कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया और प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत की जाएगी क्योंकि टेंडर की शर्त ‘मेक इन इंडिया’ मापदंड को पूरा नहीं करती।

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