एनजीओ की ओर से अधिवक्ता प्रणव सचदेवा ने याचिका दायर कर इन र्इ-कामर्स कंपनियों के खिलाफ विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों व एफडीआई की शर्तों के कथित उल्लंघन के लिए कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि दोनों कंपनियों ने एफडीआई की शर्तों से बचने के लिए कई छोटी कंपनियों का निर्माण कर लिया है और यह कंपनियां भारी मांग वाली वस्तुओं को कम दाम पर बेचकर बाजार पर एकाधिकार की कोशिश कर रही हैं। इससे देश के छोटे कारोबारियों के लिए इ-कॉमर्स के बढ़ते कारोबार में हिस्सेदारी करना मुश्किल हो गया है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि यह कंपनियां 2016 के प्रेस नोट तीन से नियंत्रित होती हैं। उसके मुताबिक र्इ-कॉमर्स कंपनियां अपना स्टॉक नहीं खरीदेंगी और न ही खुले बाजारों में उपलब्ध वस्तुओं व सेवाओं के दामों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेंगी। इसके बावजूद यह ई-कॉमर्स कंपनियां सीधे उत्पादकों से बड़ी छूट पर माल खरीदती हैं और उसे सस्ते दाम पर ग्राहक को बेचती हैं। यह सीधे तौर पर एफडीआई की शर्तों का उल्लंघन है।
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