सरकार ने किया था ये बड़ा बदलाव
नए नियम दिसंबर को जारी किए गए थे, जिसके तहत ऑनलाइन रिटेलरों द्वारा किसी कंपनी के उत्पाद एक्सक्लूसिव रूप से बेचने पर रोक लगा दी गई थी। वाणिज्य मंत्रालय ने नए नियमों में यह भी कहा था कि ऑनलाइन रिटेल कंपनियां वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री की कीमत को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं करेगी और सभी विक्रेताओं के लिए समान अवसर प्रदान करेगी। हालांकि वॉलमार्ट और अमेजन जैसे प्रमुख हितधारकों ने समय सीमा में विस्तार की मांग की थी। वहीं, अन्य कंपनियों जैसे स्नैपडील और कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की अगुवाई में ऑफलाइन रिटेलरों ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया।
वॉलमार्ट के शेयरों में हुई थी गिरावट
नए नियमों के बाद फ्लिपकार्ट को अपने 25 फीसदी प्रॉडक्ट हटाने पड़ सकते हैं। आपको बता दें कि फ्लिपकार्ट को 50 फीसदी रेवेन्यू स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के जरिए मिलता है, जिसपर सीधा असर पड़ेगा। Cloudtail और Appario Retail ने नए नियमों के लागू होने के बाद से अपने स्टोर से अमेजन के प्रॉडक्ट की बिक्री बंद भी कर दी है। वॉलमार्ट के शेयरों में शुक्रवार दो फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी और अमिजन और वॉलमार्ट के बाजार पूंजीकरण में संयुक्त रूप से 50 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज हुई थी।
16 बिलियन डॉलर की हुई थी डील
आपको बता दें कि वॉलमार्ट इंक ने भारत की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 77 फीसद हिस्सेदारी खरीदी थी। यह डील 16 बिलियन डॉलर में पूरी की गई थी। वॉलमार्ट डील के पूरा होने के साथ ही फ्लिपकार्ट में दो अरब डॉलर की नई शेयरपूंजी लगाएगा ताकि फ्लिपकार्ट के कारोबार का तेजी से विस्तार किया जा सके। कंपनी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था कि, ‘निवेश का काम पूरा होने के साथ वॉलमार्ट के पास अब फ्लिपकार्ट की 77 फीसद हिस्सेदारी आ गई है। फ्लिपकार्ट की शेष हिस्सेदारी कंपनी के सह संस्थापक बिन्नी बंसल, टेनसेंट, टाइगर ग्लोबल और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प के पास है।’
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